‘आधार’ बताएगा… किसान की कुंडली

आधार कार्ड

– खेती में फर्जीवाड़ा रोकने के लिए राज्य सरकार बड़ा प्रयोग
-प्रदेश में 85 लाख से ज्यादा किसानों की कुंडली हो रही तैयार
भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। 
किसानों के नाम पर होने वाले फर्जीवाड़े को रोकने के लिए सरकार लैंड डिजिटाइजेशन तो करवा रही है साथ ही अब किसानों का आधार कार्ड भी जोड़ा जाएगा। खेती में फर्जीवाड़ा रोकने के लिए राज्य सरकार के इस प्रयोग के तहत अब फसल बीमा और खसरे में किसान का आधार नंबर दर्ज किया जाएगा। इससे आधार नंबर के जरिए तुरंत आॅनलाइन रिकार्ड पता चल जाएगा कि किस जमीन पर कितना मुआवजा दिया गया है और कितना कर्ज लिया गया है। इससे मुआवजे व कर्ज की डुप्लीकेसी रुकेगी। एक ही खेत पर अलग-अलग योजनाओं का नाम लेने की गडबड़ी पर भी रोक लग सकेगी। सरकार ने लैंड डिजिटाइजेशन के तहत इस पर काम शुरू करने की तैयारी कर ली है।  प्रदेश में 85 लाख से ज्यादा किसानों की कुंडली हो रही तैयार हो रही है। प्रदेश में लैंड डिजिटाइजेशन के तहत यह काम हो रहा है। राजस्व विभाग और कृषि विभाग मिलकर काम करेंगे। राजस्व विभाग ने अभी लैंड डिजिटाइजेशन का करीब 80 प्रतिशत काम कर दिया है। अब इसे अपग्रेड मोड में लाया जा रहा है। यानी तकनीकी तौर पर अपग्रेड कर सरकारी सिस्टम में सर्विस डिलीवरी सुधारने काम होगा। इसी के तहत आधार नंबर लिंकअप पर विचार हुआ है।
मालिक का नाम भी पता चलेगा
ऑनलाइन पता चल जाएगा कि कौन सा खसरा किसका है। अभी ऑनलाइन रिकॉर्ड होने पर भी जमीन के मालिक का नाम पता नहीं चलता है। आधार नंबर दर्ज होने से मालिक का नाम भी पता चलेगा। आधार नंबर चेक करके ही कर्ज व मुआवजा दिया जाएगा। यदि किसी एक आधार पर दो बार मुआवजा या कर्ज दिया गया, तो ऑनलाइन ही पता चल जाएगा। सॉफ्टवेयर में इसके लिए ऑटो चैकिंग का सिस्टम भी डाला जा सकता है। अभी इस पर काम चल रहा है। संभावना है कि अगले वित्तीय वर्ष में इसे लाया जाए। गौरतलब है कि किसानों के कर्ज के मामले में जब पिछली सरकार के समय डाटा-स्क्रूटनी हुई थी, तो कई केस ऐसे सामने आए थे, जिनमें खेती की एक ही जमीन पर दो बार मुआवजे या कर्ज ले लिए गए। एक जमीन पर एक ही बार कर्ज लिया जा सकता है। वजह ये कि कर्ज न चुकाने की स्थिति में जमीन जप्त होती है, लेकिन यदि दो जगह से कर्ज है तो किसका हक जब्ती पर रहेगा। इसी तरह मुआवजा डबल लेने के केस भी सामने आए। इसके पीछे की वजह ये रही कि फसल बीमा में रिकार्ड दुरुस्त नहीं पाए गए। साथ ही त्वरित चेकिंग का सिस्टम नहीं है। कर्ज देने का काम बैंक करते हैं, जबकि मुआवजा आपदा राहत व फसल बीमा के तहत दिया जाता है। इस कारण यह पता ही नहीं चल सका कि किस जमीन पर कितना कर्ज व मुआवजा है।

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