बिहाइंड द कर्टन/अब आचार्य श्री भी आए हिंदी के समर्थन में

  • प्रणव बजाज
 आचार्य श्री

अब आचार्य श्री भी आए हिंदी के समर्थन में
अंग्रेजी के बाद हिंदी को संवाद की वैकल्पिक भाषा बनाने के वाद- विवाद के बीच हिंदी को आचार्य विद्यासागर महाराज का भी साथ मिल गया है। उन्होंने हिंदी को लेकर सुझाव देते हुए कहा है की किसी शहर, कस्बे या गांव के लोग यह तय कर लें कि , उन्हें अपनी दुकान पर बोर्ड हिंदी में ही लगाना है। यदि किसी -एक स्थान पर हिंदी में लिखे बोर्ड दिखेंगे तो अन्य लोगों को यह लगेगा कि हिंदी भाषा में लोगों का रुझान बढ़ रहा है। वे भी ऐसा ही करेंगे। अपनी दुकान और संस्थान का नाम पूर्णत: हिंदी में लिखें और किसी शहर में यदि ऐसा होता है तो लोगों के मन में हिंदी के प्रति लगाव बढ़ेगा। उन्होंने लोगों से हिंदी में ही हस्ताक्षर करने का भी आव्हान किया है। उनका कहना है की कोर्ट के फैसले भी हिंदी भाषा में मिलना चाहिए ताकि आम लोग भी उन्हें आसानी से समझ सकें। गौरतलब है की आचार्य श्री इन दिनों सागर जिले की रहली तहसील में हैं।

बोले नाथ, निकाय चुनाव में मतपत्र से हो मतदान
पूर्व सीएम व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने ईवीएम को लेकर एक बार फिर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि कई देश इसकी जगह मतपत्र से चुनाव कराने लगे हैं। उन्होंने कहा की आज भी अमेरिका, यूरोप, जापान में ईवीएम से मतदान नहीं कराया जाता है। उनका कहना है की हमारी समान्य मांग है की मतपत्र से चुनाव कराए जाएं। भारत सहित  कुछ देश ही हैं, जहां ईवीएम से चुनाव होते हैं। इसकी विश्वनीयता को लेकर सवाल उठते हैं। उनका कहना है की कांग्रेस की सरकार आई तो हम निर्वाचन आयोग से मांग करेंगे कि ईवीएम पर लोगों को शक है, इसलिए मतपत्र से चुनाव कराए जाएं। या तो ऐसा सिस्टम लाया जाए,जो एक-दो देशों में है, जिसमें बटन दबाते ही बैलेट निकलता है, जिससे यह पता लगाया जा सकता है की आपने कौन सा बटन दबाया है। आप उस बैलेट को बैलेट बॉक्स में डाल दीजिए। नाथ ने कहा कि ईवीएम को कांग्रेस लेकर आई थी, लेकिन उस समय की टेक्नोलॉजी एकदम अलग थी। उस समय कोई वीवीपैट नहीं था। जिन देशों में आबादी कम है, वे ईवीएम नहीं चाहते, भारत और एक-दो अफ्रीकन देश ही ईवीएम चाहते हैं, इसका क्या मतलब है।

बीडी शर्मा बोले, कांग्रेस की जमीन खिसक चुकी
भाजपा अध्यक्ष बी डी शर्मा ने कहा कि कांग्रेस की जमीन खिसक चुकी है इसलिए कमलनाथ ईवीएम की जगह बैलेट पेपर से मतदान कराने की मांग कर रहे हैं। उन्होंने कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ द्वारा बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग पर पलटवार करते हुए कहा की चुनाव जनता जिताती है बैलेट पेपर नहीं। उन्होंने मीडिया से चर्चा करते हुए कहा की  कांग्रेस और कमलनाथ को यह अच्छे से समझ में आ गया है कि उनके साथ न तो प्रदेश की जनता है और न ही उनकी कोई राजनीतिक जमीन है। इसलिए उन्होंने फिर एक बार बैलेट पेपर का राग अलापना शुरू कर दिया है। शर्मा ने कहा कि हमने तय किया है कि विकास और जनहित की योजनाओं, कामों और अपने मजबूत संगठन के आधार पर निकाय चुनाव लड़ेंगे।  शर्मा ने आरोप लगाया की  कांग्रेस के मन में शहीद पुलिसकर्मियों को लेकर कोई सम्मान की भावना नहीं है, कांग्रेस नेता इस बात की चिंता कर रहे हैं कि इस मामले के आरोपियों को कैसे बचाया जाए।

सरकार व अफसरों को मिली तबादलों से राहत
निकाय चुनाव से पहले सरकार व तीन साल से एक ही जगह पर पदस्थ अफसरों के तबादलों को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग ने बड़ी छूट प्रदान की है। इसकी वजह से कर्मचारियों के साथ ही सरकार ने राहत की सांस ली है। आयोग ने कहा है की उन्हीं अधिकारियों और कर्मचारियों के स्थानांतरण चुनाव के समय किए जाएंगे,जिनकी शिकायतें होंगी। इसकी मुख्य वजह कम समय में चुनाव कराना और ओबीसी आरक्षण की पुर्नविचार याचिका का मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन होना शामिल है। निकाय और पंचायत चुनाव में छोटे स्तर तक ट्रांसफर किए जाते हैं। सरकार अगर कर्मचारियों का ट्रांसफर करती है तो इस प्रक्रिया में करीब एक माह से ज्यादा समय लगेगा। सुप्रीम कोर्ट ने आयोग को चुनाव कराने के लिए जो समय सीमा दी है, उसमें डेढ़ माह के अंदर चुनाव कराया जाना है।  इससे आयोग ने ट्रांसफर पॉलिसी को फिलहाल ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है।  

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