
- जेब काटने का… नया तरीका किया ईजाद
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। बिजली कंपनी अब बंद घरों के मीटरों से भी ज्यादा राशि वसूलना चाहती है। इसलिए भले ही बत्ती न जले लेकिन शुल्क तो देना ही होगा। वो भी 10-20 रुपए नहीं, 0 यूनिट खपत पर भी पूरे 139 रुपए का बिल आएगा। यानी प्रदेश में अब हर उपभोक्ता को बिजली बिल के रूप में 139 रुपए देना ही होगा। बत्ती बिल्कुल न जलाओ फिर भी यह राशि भरनी ही होगी। यानि घर में बंद मीटर या जरा भी बिजली नहीं जलाने के बावजूद बिल देना ही होगा। यह न्यूनतम राशि हर माह उपभोक्ता को जमा करना होगा। मप्र विद्युत नियामक आयोग ने बिजली उपभोक्ताओं से न्यूनतम शुल्क के नाम पर राशि तय की है और बिजली कंपनी घरेलू उपभोक्ताओं से यह राशि वसूलेगी। हालांकि इसे नियम विरुद्ध बताकर कोर्ट में जाने की बात भी कही जा रही है। जानकारी के अनुसार मप्र विद्युत नियामक आयोग ने बिजली उपभोक्ताओं से न्यूनतम शुल्क के रूप में 70 रुपए की राशि तय की है। उपभोक्ता बिल्कुल भी बिजली नहीं जलाए तब भी उसे न्यूनतम 70 रुपए का यह शुल्क देय होगा। इसके साथ ही नियत प्रभार के 69 रुपए भी भुगतान करने होंगे। इस तरह हर माह उपभोक्ता को न्यूनतम 139 रुपए देने होंगे। अभी उपभोक्ताओं को करीब 134 रुपए न्यूनतम भुगतान करना पड़ता है।
यह है नियम
उपभोक्ता संगठनों के अनुसार विद्युत अधिनियम में न्यूनतम शुल्क वसूलने का कोई प्रावधान नहीं है। मप्र विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 45 (3) क में उपभोक्ता से सिर्फ फिक्स चार्ज लेने की बात कही गई है। इसके अनुसार उपभोक्ता जितनी बिजली जला रहा है उसी का बिल बनना चाहिए। न्यूनतम शुल्क नहीं लिया जा सकता। देश के कई राज्यों— गुजरात,दिल्ली और छत्तीसगढ़ में भी वास्तविक खपत और फिक्स जार्च पर ही बिल जारी होता है। उपभोक्ता से 0 खपत पर कोई न्यूनतम शुल्क नहीं लिया जाता। पड़ोसी राज्य गुजरात और छत्तीसगढ़ में 0 खपत पर उपभोक्ता से न्यूनतम ऊर्जा प्रभार नहीं लिया जाता। वास्तविक खपत और फिक्स चार्ज पर ही बिल जारी होता है। दिल्ली में भी यही होता है। इस मामले में बिजली आपत्तिकर्ता राजेन्द्र अग्रवाल का कहना है कि न्यूनतम ऊर्जा प्रभार की वसूली अवैधानिक है। आयोग ने इसे गलत तरीके से लागू किया है। इस संबंध में हम न्यायालय की शरण लेंगे। असल में नियत ऊर्जा प्रभार एक तरह से सर्विस और मेंटेनेंस शुल्क की तरह होता है। न्यूनतम प्रभार लेने का का नियम नहीं है। इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 45, 3, अमें भी इस तरह के शुल्क वसूली का प्रावधान नहीं है।
इलेक्ट्रिसिटी एक्ट में प्रावधान किया खत्म
बिजली के जानकारों का कहना है कि घरेलू बिजली बिल में प्रमुख दो शुल्क शामिल होते हैं। बिजली जो खपत हुई और नियत प्रभार। इसमें 70 रुपए न्यूनतम ऊर्जा प्रभार और 69 रुपए नियत प्रभार है। यानी कंपनी बिजली का उपयोग नहीं करने के बावजूद उपभोक्ताओं से 70 रुपए फ्री का वसूलेगी। जबकि दिसंबर में जारी नए इलेक्ट्रिसिटी एक्ट में न्यूनतम ऊर्जा शुल्क का प्रावधान खत्म कर दिया गया है। विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 45 (3) क में सिर्फ फिक्स चार्ज लेने का जिक्र है। जो बिजली उपभोक्ता इस्तेमाल कर रहा है, उसी का बिल बने। न्यूनतम शुल्क नहीं लिया जा सकता। एसो.आॅफ आॅल मंडीदीप इंडस्ट्री के जनरल सेक्रेटरी सीबी मालपानी का कहना है कि जब नए इलेक्ट्रिसिटी एक्ट में न्यूनतम ऊर्जा प्रभार खत्म कर दिया गया है तो इसकी वसूली का कोई औचित्य नहीं है। बिजली टैरिफ पर हुई आयोग की जनसुनवाई में इस प्रभार के प्रस्ताव का खुलकर विरोध किया था, लेकिन आयोग ने इसमें कोई राहत नहीं दी है, जबकि हमें इसकी काफी उम्मीद थी।