एनपीए से परेशान बैंकों ने सरकार से वसूली के लिए लगाई गुहार

एनपीए
  • सरकारी की चार योजनाएं बन रही हैं मुसीबत

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। सरकार द्वारा आर्थिक मदद के लिए चलाई जा रहीं चार प्रमुख योजनाएं बैंको के लिए मुसीबतें लेकर आयी हैं। इन योजनाओं की वजह से बैंको को भारी आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। यही वजह है कि अब बैंकर्स मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तक से रिकवरी के लिए गुहार लगा रहे हैं। दरअसल प्रदेश में अब तक इन योजनाओं के हितग्राहियों को जो कर्ज दिया गया है उसमें से 20 हजार करोड़ रुपए लगभग डूबत खाते में जा चुके हैं , जिसकी वजह से बैंको का एनपीए तेजी से बढ़ गया है।
यह खुलासा हाल ही में राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति (एसएलबीसी) की बैठक में दी गई जानकारी से हुआ है। इस बैठक में वर्चुअली रुप से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी शामिल हुए थे। यह बात अलग है कि मुख्यमंत्री ने इस मामले में तत्काल कोई ठोस आश्वासन तो नहीं दिया है , लेकिन उन्होंने जिला प्रशासन के पास बैंकों की ओर से दिए गए रिकवरी के मामलों में सहयोग के लिए जिला कलेक्टर्स को निर्देश देने का जरूर भरोसा दिलाया है। इसके साथ ही उनके द्वारा ग्रामीण पथ विक्रेताओं और शहरी स्ट्रीट वेंडर्स को बैंकों का कर्ज चुकाने के लिए प्रेरित करने के लिए कैंप लगाने के निर्देश दिए हैं। इसी तरह से बैंकर्स को मदद के लिए  खुद की हाउसिंग स्कीम में फंसे 2271 करोड़ रुपए की रिकवरी के लिए भी उन्होंने सरकार की ओर से तय राशि जमा कराने का भरोसा दिया है। मुख्यमंत्री द्वारा एक निजी बैंक की तारीफ करने पर सरकारी क्षेत्र के बैंक नाराज दिखे। उनका कहना था कि सरकारी बैंक पैसा लगातार डूबने के बाद भी सरकार प्रायोजित योजनाओं में कर्ज देने में आगे रहते हैं। उनका डूबता पैसा सरकारी अधिकारी रिकवरी कराने में कोई मदद नहीं करते। कर्ज देने के लिए हर स्तर पर दबाव बनाया जाता है, लेकिन सीएम ने एक ऐसे बैंक की तारीफ की जिसकी सरकार प्रायोजित योजनाओं में कोई खास हिस्सेदारी नहीं है। बैठक में मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैस, प्रमुख सचिव वित्त मनोज गोविल, प्रमुख सचिव सीएम मनीष रस्तोगी, उद्योग आयुक्त पी नरहरि सहित सभी बैंकों के अधिकारी मौजूद थे।
बैंकों के 405 मामले रिकवरी के लिए जिला प्रशासन के पास गए
 सरकारी क्षेत्र की 9 बैंकों के रिकवरी के 405 मामले जिला प्रशासन के पास गए हैं। इनमें 298 मामले 30 दिन से ज्यादा पुराने हैं। मप्र सरकार ने इनके निपटारे के लिए 30 दिन की समय सीमा तय की है। इसकी वजह है सरकारी अधिकारी रिकवरी कराने में रुचि नहीं लेते हैं।
 स्ट्रीट वेंडर्स
8 सरकारी बैंकों ने 2.26 लाख स्ट्रीट वेंडर्स को 135 करोड़ रुपए के कर्ज बांटे। इसमें 48 करोड़ रुपए डूब चुके हैं।
सीएम ग्रामीण पथ विक्रेता
14 बैंकों ने 2.10 लाख ग्रामीण पथ विक्रेताओं को 158 करोड़ कर्ज दिया। अब तक 54 हजार ग्रामीण पथ विक्रेता 42 करोड़ रुपए का कर्ज डूबो चुके हैं।
एग्रीकल्चर
 बैंकों की 15 फीसदी या 18,919 करोड़ की राशि डूब चुकी है। मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास योजना 3.5 लाख लोगों को पर 2271 करोड़ बकाया है। 40.2 प्रबतिशत  कर्ज डूब चुका है।

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