अबकी बार ‘हद’ में राजा-महाराजा

  • एक-दूसरे के चुनावी क्षेत्र में जाने से किया परहेज
  • विनोद उपाध्याय
राजा-महाराजा

मप्र की 29 लोकसभा सीटों में से 2 सीटें यानी राजगढ़ और गुना पर पूरे देश की नजर है। क्योंकि राघौगढ़ से कांग्रेस के प्रत्याशी पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और गुना से भाजपा प्रत्याशी केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की साख दांव पर है। गौरतलब है की एक पार्टी में रहने के दौरान भी दोनों नेताओं में कभी नहीं पटी है। लेकिन हैरानी की बात यह है कि अपने अलग-अलग पार्टियों में होने के बाद भी दोनों नेताओं ने एक-दूसरे के क्षेत्र में जाने की कोशिश नहीं की। यानी दोनों नेता अपनी ‘हद’ (संसदीय सीमा-रेखा)में हैं। गौरतलब है कि मप्र में लोकसभा चुनाव में इस बार सिर्फ दो राजघरानों के सदस्य ही मैदान में है। इनमें राजगढ़ सीट से राघौगढ़ के राजा दिग्विजय सिंह और गुना सीट से ग्वालियर के महाराजा ज्योतिरादित्य सिंधिया चुनाव लड़ रहे हैं। पिछले चुनाव में दोनों कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े और दोनों हारे। इस बार सिंधिया भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। खास बात यह है कि चुनावी क्षेत्र सटा होने के बावजूद न तो दिग्विजय प्रचार के लिए गुना-शिवपुरी संसदीय क्षेत्र में पहुंचे और न ही सिंधिया राजगढ़ में पार्टी के पक्ष में सभा करने आए। दोनों ने अभी तक अपनी-अपनी सीमा-रेखा नहीं लांघी है।
टिकट के बाद क्षेत्र में सिमटे
चुनावी शंखनाद होने से पहले दोनों नेताओं ने एक-दूसरे के संसदीय क्षेत्र में जाकर सभाएं और बैठकें की। लेकिन जब से टिकट का बंटवारा हुआ है, दिग्विजय सिंह गुना और सिंधिया राजगढ़ में चुनाव प्रचार के लिए नहीं गए हैं। मप्र की राजनीति में यूं तो राजा महाराजा के बीच अदावत के किस्से पुराने हैं। लेकिन इस बार के लोकसभा चुनाव में न तो राजा मुखर दिखे और न ही महाराजा ने आक्रामकता दिखाई। शुरुआत में जरूर दोनों नेताओं ने बयानों के माध्यम से एक-दूसरे पर निशाना साधा। अभी तक दोनों नेताओं ने एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव प्रचार से भी परहेज किया है। क्योंकि गुना जिले की 4 विधानसभा सीटों में से दो-दो सीट गुना और राजगढ़ लोकसभा में आती हैं। सिंधिया और दिग्विजय अपने क्षेत्र तक ही सीमित बने हुए हैं। न तो सिंधिया चाचौड़ा और राघौगढ़ में गए और न ही दिग्विजय बमौरी और गुना में प्रचार के लिए गए। दो दिन पहले राजगढ़ में भाजपा प्रत्याशी रोडमल नागर की नामांकन रैली में मप्र भाजपा के सभी बड़े नेता मौजूद थे, लेकिन सिंधिया नहीं पहुंचे। वहीं दूसरी ओर 19 अप्रैल को गुना से कांग्रेस प्रत्याशी यादवेन्द्र सिंह नामांकन दाखिल करेंगे। नामांकन रैली में मप्र कांग्रेस के सभी नेता मौजूद रहेंगे, लेकिन दिग्विजय नहीं पहुंचेंगे। राजा-महाराजा का एक- दूसरे के चुनाव क्षेत्र में नहीं पहुंचना राजनीति में चर्चा का विषय है। दोनों चुनाव क्षेत्र में 7 मई को मतदान होना है, इससे पहले यह भी संभावना है कि सीमा-रेखा लांघी जाए।
दोनों की साख दांव पर
गौरतलब है कि 2019 में दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया चुनाव हार गए थे। ऐसे में इस बार के चुनाव में दोनों की साख दांव पर है। इसलिए वे अपनी स्थिति मजबूत करने में लगे हुए है। राजगढ़ लोकसभा सीट पर मप्र के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह 33 साल बाद मैदान में उतरे हैं। उनके चुनाव लडऩे से चुनाव दिलचस्प हो गया है, वहीं भाजपा के लिए ये सीट चुनौती बनती जा रही है। राजगढ़, दिग्विजय का गढ़ है। भाजपा ने रोडमल नागर को फिर से टिकट दिया है, लेकिन उनके खिलाफ एंटी इनकम्बेंसी का माहौल देखते हुए बीजेपी ने अपनी रणनीति बदल दी है। बीजेपी अब यहां पीएम मोदी की लोकप्रियता, राष्ट्रवाद, हिंदुत्व और राम मंदिर जैसे मुद्दों को आगे कर रही है। वहीं गुना-शिवपुरी लोकसभा सीट पर इस बार भाजपा ने मौजूदा सांसद केपी यादव का टिकट काटकर ज्योतिरादित्य सिंधिया को प्रत्याशी बनाया है। वहीं कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा छोडक़र  आए यादवेंद्र यादव पर दांव लगाया है। यादवेंद्र यादव इस बार मुंगावली सीट से भाजपा के ब्रजेंद्र यादव से चुनाव हार गए थे। गुना से कांग्रेस के दिग्गज नेता अरुण यादव ने चुनाव लड़ने का ऐलान किया था, लेकिन विरोध के बाद वे पीछे हट गए। इस लोकसभा में गुना, शिवपुरी, व अशोक नगर जिले की 8 विधानसभाएं गुना, बमोरी, शिवपुरी, कोलारस, पिछोर, चंदेरी, मुंगावली और अशोकनगर आती हैं। कांग्रेस बमोरी व अशोकनगर सीट ही जीत पाई थी।
 विधानसभा में दिखी थी आक्रामकता
5 महीने पहले विधानसभा चुनाव के दौरान सिंधिया ने राघौगढ़ विधानसभा क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी हिरेन्द्र सिंह बंटी के समर्थन में ताबड़तोड़ प्रचार किया था। सिंधिया ने सीधे तौर पर दिग्विजय पर सियासी हमला बोला था। हालांकि दिग्विजय के बेटे जयवर्धन सिंह 4500 वोटों की मामूली अंतर से चुनाव जीतने में सफल रहे। बेशक अभी तक सिंधिया और दिग्विजय ने एक-दूसरे के खिलाफ प्रचार नहीं किया है, लेकिन दोनों का एक-दूसरे के क्षेत्र में प्रभाव है। दिग्विजय सिंह के गुना, अशोकनगर, शिवपुरी में बड़ी संख्या में समर्थक हैं। चूंकि सिंधिया कांग्रेस से ही भाजपा में आए थे। स्थानीय कांग्रेस में उनका अभी भी प्रभाव है।

Related Articles