- रिपोर्ट कार्ड से तय होगी नेताओं की भावी भूमिका...
- गौरव चौहान
![भाजपाईयों](https://www.bichhu.com/wp-content/uploads/2024/05/6-16.jpg)
मप्र भाजपा लोकसभा चुनाव में परफॉर्मेंस के आधार पर मंत्रियों, विधायकों, नेताओं और कार्यकर्ताओं की नए सिरे से ताजपोशी करेगी, तो कई नेताओं की छुट्टी भी होगी। इसके लिए भाजपा ने एक निजी एजेंसी से नेताओं से लेकर कार्यकर्ताओं तक का रिपोर्ट कार्ड तैयार करवाया है। इसमें चुनाव में निष्क्रिय रहना, अनमने मन से काम करना, भीतरघात और पूरी क्षमता के साथ चुनाव में उतरने के बिंदुओं के आधार पर रिपोर्ट तैयार की गई है।
मप्र की 29 सीटों पर हुए लोकसभा चुनाव का रिजल्ट आने से पहले ही चुनाव को लेकर भाजपा में चुनावी समीक्षा का दौर शुरू हो चुका है। भाजपा नेताओं की गुप्त रिपोर्ट तैयार करने के लिए निजी एजेंसियों का सहारा लिया है, जिनसे भाजपा नेताओं की गुप्त रिपोर्ट तैयार कराई गई है। सूत्रों का कहना है कि भाजपा संगठन दूसरे प्रदेशों से आए नेताओं से भी फीडबैक लिया है। बताया जा रहा है कि रिपोर्ट में ईमानदार और दगाबाज नेताओं की पूरी कुंडली तैयार की जा गई है। इसमें सभी 29 लोकसभा सीटों पर अलग रिपोर्ट तैयार की गई है। एजेंसी की रिपोर्ट केंद्रीय संगठन को मिल गई है। माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव परिणामों के बाद इस पर मंथन किया जाएगा। जिन विधायकों की सक्रियता कम रही। उन पर संगठन लगाम कसेगा। संगठन मतदान प्रतिशत में आई कमी के कारणों का भी विश्लेषण करा रहा है। गौरतलब है कि प्रदेश में 29 सीटों का लक्ष्य लेकर चल रही भाजपा की कई सीटों पर जीत तय है पर मतदान में आई कमी उसके नेताओं के जीत के अंतर को निश्चित रूप से प्रभावित करेगी। कुछ सीटों पर उसे खामियाजा भी उठाना पड़ सकता है। नेतृत्व की चिंता इसी बात को लेकर है।
नेताओं की परफॉर्मेंस पर फैसला करेगी पार्टी
मप्र में लोकसभा की सभी 29 सीटों पर मतदान संपन्न भाजपा के केंद्रीय संगठन ने इस पूरे चुनाव को सर्विलांस पर रखा है। इस बार मतदान में किस नेता ने कितना प्रचार किया? मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने किस रणनीति के तहत चुनाव प्रचार संचालित किया? पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भाजपा को कितना सहयोग किया? नवनियुक्ति मंत्रियों ने अपने क्षेत्रों में कितना मतदान करवाया और मोदी की गारंटी पर लोगों को कितना आश्वस्त किया? इन सभी बिंदुओं पर भाजपा संगठन ने अलग-अलग निजी एजेंसियों और मध्य प्रदेश भाजपा के संगठन से रिपोर्ट तैयार करवाई है। प्रदेश में सबसे बड़ा प्रचार अभियान मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने संचालित किया। मुख्यमंत्री ने ताबड़तोड़ प्रचार किया। वे सभी 29 लोकसभा सीटों में पहुंचे।
उन्होंने 230 विधानसभाओं में से अधिकांश को कवर किया। 55 से ज्यादा रथ सभा, 142 जनसभा, 56 से ज्यादा रोड शो किए हैं। कुल 230 में से वे 185 से ज्यादा विधानसभा क्षेत्रों में प्रचार करते दिखाई दिये। उन्होंने 22 प्रत्याशियों का नामांकन खुद दाखिल कराया। 13 जिलों में रात्रि विश्राम किया। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा ने भी अपनी पूरी ताकत झोंकी। खुद खजुराहो से दूसरी बार प्रत्याशी होने के बावजूद अलग-अलग क्षेत्रों में सक्रिय बने रहे। इसी तरह से वीडी शर्मा ने 72 जनसभाएं, 18 रोड शो और 16 रथ सभाएं और 65 सम्मेलन और बैठकें कीं। उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा ने 62 जनसभाएं कीं। उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल ने 61 चुनावी जनसभाओं में शिरकत की। नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने 64 सभाएं कीं, वहीं, पंचायत मंत्री प्रहलाद पटेल ने 60 जनसभाओं को संबोधित किया।
नेताओं को दिखाई जाएगी उनकी रिपोर्ट…
चुनाव परिणामों के बाद होने वाली संगठन की बैठक में इन नेताओं को उनकी सक्रियता से जुड़ी रिपोर्ट दिखाई जाएगी। जिन नेताओं के क्षेत्र में कम मतदान हुआ है, संगठन उसके कारणों का भी पता लगवा कर उसकी अलग से रिपोर्ट बना रहा है। भाजपा के भारी प्रयासों के बाद भी लोकसभा चुनावों में विधानसभा चुनाव जैसा मतदान नहीं हो पाया है। तीस मंत्रियों के क्षेत्र में मतदान प्रतिशत में कमी आई है। इनमें आधा दर्जन मंत्री ऐसे हैं जिनके क्षेत्र में दस प्रतिशत से अधिक मतदान में कमी आई है। फिलहाल नेताओं ने मतदान में कमी का कारण फसल कटाई और क्षेत्र में मतदान के दिन होने वाले मांगलिक कामों को बताया है। दूसरी तरफ केंद्रीय नेतृत्व के निर्देश पर एक टीम ने सभी लोकसभा क्षेत्रों का पूरा सर्वे किया है।
भाजपा में अवार्ड और रिवॉर्ड का फॉर्मूला
भाजपा ने अपने नेताओं की रिपोर्ट गुप्त रूप से तैयार करवाई है। सूत्रों के अनुसार पार्टी ने रिपोर्ड कार्ड बनाना शुरू कर दिया है। खबर है कि पार्टी के विरोध में काम करने या चुनाव में सक्रिय भूमिका नहीं निभाने वालों से पार्टी दूरी बनाएगी। हालांकि भाजपा खुले तौर पर यह बात नहीं कह रही है। भाजपा प्रदेश मंत्री रजनीश अग्रवाल का कहना है कि पार्टी में काम के आधार पर अवार्ड और रिवॉर्ड होगा। रजनीश अग्रवाल का यह भी कहना है कि पूरे संगठन ने बेहतर काम किया है। सभी जी जान से जुटे रहे। भाजपा चुनाव की समीक्षा भी करेगी।
उपचुनाव की भी चर्चा हो गई शुरू
लोकसभा चुनाव के ठीक बाद मध्यप्रदेश में विधानसभा उपचुनाव की आहट शुरू हो गई है। भाजपा और कांग्रेस ने लोकसभा सीटों से अपने विधायकों को मैदान में उतारा है। इनके चुनावी जीतते ही विधानसभा सीट रिक्त हो जाएगी। इसके अलावा तीन कांग्रेस विधायकों ने पार्टी को अलविदा कह दिया है। उनकी सीटों पर भी उपचुनाव होने है। भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री और बुधनी से विधायक शिवराज सिंह चौहान को विदिशा से मैदान में उतारा है, उनकी जीत लगभग तय मानी जा रही है। लिहाजा बुधनी को लेकर अभी से चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है। दूसरी तरफ कांग्रेस ने सतना से विधायक सिद्धार्थ कुशवाह को , तराना से विधायक महेश परमार को उज्जैन, पुष्पराजगढ़ से विधायक फुंदेलाल माकों को शहडोल, डिंडोरी से विधायक ओंकार सिंह मरकाम को मंडला, और भांडेर से विधायक फूल सिंह बरैया को भिंड लोकसभा से चुनाव मैदान में उतारा है, इनमें से जिस विधायक को जीत मिलती है, उसकी सीट पर उपचुनाव होना तय है। वहीं विजयपुर से विधायक रामनिवास रावत, बीना से विधायक निर्मला सप्रे और अमरवाड़ा से विधायक रहे कमलेश शाह ने कांग्रेस छोड़ भाजपा की सदस्यता ले ली है, इनमें कमलेश शाह ने तो विधानसभा से इस्तीफा दे दिया है वहीं रावत और सप्रे की भी जल्द इस्तीफा देने की संभावना है।