आधुनिक जेल विधेयक-2024 बनकर हुआ तैयार

आधुनिक जेल विधेयक
  • कैबिनेट में मुहर लगने के बाद विस में किया जाएगा पेश

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। गृह मंत्रालय ने 130 वर्ष पुराने जेल अधिनियम में बदलाव कर व्यापक माडल जेल अधिनियम-2023 तैयार कर लिया है। नए जेल अधिनियम में पुराने जेल अधिनियमों के प्रासंगिक प्रविधानों को भी शामिल किया गया है। यह राज्यों और उनके कानूनी क्षेत्र में मार्गदर्शक दस्तावेज के रूप में काम करने में सहायक होगा। केंद्र सरकार के दिशा निर्देश पर मप्र के जेल विभाग ने मप्र सुधारात्मक सेवाएं एवं बंदीगृह विधेयक-2024 बनाया है। इसके नियम तैयार कर लिए गए हैं। आचार संहिता हटने के बाद इस संबंध में प्रस्ताव कैबिनेट की बैठक में रखा जाएगा। कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद इस विधेयक को जुलाई में होने वाले विधानसभा सत्र में पेश किया जाएगा। गौरतलब है कि प्रदेश में 11 केंद्रीय जेल हैं। वहीं 42 जिला जेल, 72 उप जेल,  07 ओपन जेल है। इन जेलों की बंदी क्षमता 30 हजार है। जबकि इनमें 48 हजार बंदी रखे गए हैं।
सूत्रों का का कहना है कि प्रमुख सचिव जेल मनीष रस्तोगी, अपर सचिव ललित दाहिमा, डीजी जेल जीपी सिंह और जेल मुख्यालय के अधिकारियों की बैठक हुई। बैठक में मॉडल जेल अधिनियम-2023 के ड्राफ्ट पर चर्चा कर मप्र सुधारात्मक सेवाएं एवं बंदीगृह विधेयक-2024 के नियमों को अंतिम रूप देकर प्रस्ताव को स्वीकृति दी गई। जल्द ही यह प्रस्ताव विधि विभाग को भेजा जाएगा। वहां से यह प्रस्ताव मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली सीनियर सक्रेटीज की कमेटी में जाएगा। फिर इसे कैबिनेट की बैठक में रखा जाएगा गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने 130 साल बाद ब्रिटिश युग के 1894 के जेल अधिनियम में व्यापक स्तर पर संशोधन कर मॉडल जेल अधिनियम-2023 तैयार किया है। केंद्र ने सभी राज्य सरकारों को इसका ड्राफ्ट भेजा है। इस ड्राफ्ट में राज्य सरकारों से स्थानीय परिस्थितियों के आधार पर जरूरी संशोधन करने को कहा गया है। इसी तारतम्य में मप्र का जेल विभाग मप्र सुधारात्मक सेवाएं एवं बंदीगृह विधेयक-2024 ला रहा है। इसके नियम तैयार कर लिए गए हैं। जेल विभाग के अधिकारियों का कहना है कि विधेयक में सबसे ज्यादा जोर जेलों में क्षमता से अधिक बंदी नहीं रखे जाने पर दिया गया है। जेलों में भीड़भाड़ के कारण रहने की स्थिति खराब होती है। इससे कई संचारी रोगों के संचरण का जोखिम बना रहता है। इससे निपटने के लिए मप्र में नए जेलों का निर्माण किया जा रहा है। नए जेल सागर, भिंड, दमोह, छतरपुर, रतलाम, मंदसौर व बैतूल में बनाए जा रहे हैं। इसके अलावा जेलों में नए बैरकों का निर्माण किया जा रहा है।
मौजूदा कारागार अधिनियम में हैं कई खामियां
गृह मंत्रालय ने महसूस किया है कि मौजूदा कारागार अधिनियम में कई खामियां हैं। मौजूदा अधिनियम में आज की आवश्यकताओं और जेल प्रबंधन की जरूरतों को पूरा करने का संशोधन करने की आवश्यकता थी। आधुनिक दिनों की आवश्यकता और सुधारात्मक विचारधारा के साथ गृह मंत्रालय ने जेल अधिनियम-1984 को संशोधित करने का काम पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो को सौंपा। मालूम हो कि ब्यूरो ने राज्य जेल अधिकारियों और सुधारात्मक विशेषज्ञों से बातचीत के बाद जेल प्रबंधन में प्रौद्योगिकी के उपयोग, अच्छे आचरण को प्रोत्साहित करने के लिए पैरोल, फरलो, कैदियों को छूट देने के लिए प्रविधान करना, महिलाओं व ट्रांसजेंडर कैदियों के लिए विशेष प्रविधान करने आदि को शामिल कर ड्राफ्ट तैयार किया। गृह मंत्रालय ने जेल अधिनियम-1894, कैदी अधिनियम-1900 और कैदियों के स्थानांतरण अधिनियम-1950 की भी समीक्षा की है। इन अधिनियमों के प्रासंगिक प्रविधानों को माडल जेल अधिनियम-2023 में शामिल किया गया है।
आजादी से पहले का था जेल अधिनियम-1894
जेल अधिनियम-1894 आजादी से पहले के काल का अधिनियम था। इसका मुख्य उद्देश्य अपराधियों को हिरासत में रखना और जेल में अनुशासन व व्यवस्था बनाना था। मौजूदा अधिनियम में कैदियों के सुधार और पुनर्वास का कोई प्रविधान नहीं है। आज जेलों को प्रतिशोधात्मक निवारक के रूप में नहीं देखा जाता है अपितु इन्हें शोधनालय एवं सुधारात्मक संस्थानों के रूप में देखा जाता है, जहां कैदी बदलकर एवं पुर्नवासित होकर कानून का पालन करने वाले नागिरक की भांति समाज में लौटे।

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