रातापानी और माधव टाइगर रिजर्व के नाम होंगे शामिल
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र को टाइगर स्टेट का दर्जा मिला हुआ है। इसकी वजह है देश में सर्वाधिक टाइगर अगर कहीं पर हैं तो वे मप्र में ही हैं। प्रदेश में लगातार तेजी से टाइगरों की संख्या में वृद्धि हो रही है। इसकी वजह से उनके लिए जगह कम पड़ती दिख रही है जिसकी वजह से वे आवासीय इलाकों में भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराते रहते हैं। ऐसे में अब प्रदेश में नए टाइगर रिजर्व की जरूरत महसूस की जाने लगी है। अच्छी बात यह है कि सरकार के प्रयासों से जल्द ही प्रदेश को दो नए टाइगर रिजर्व मिलने जा रहे हैं। इनके मिलने से प्रदेश में मौजूद सात टाइगर रिजर्व की संख्या बढक़र नौ हो जाएगी। दो नए में शामिल रातापानी अभयारण्य को तो टाइगर रिजर्व बनाने की प्रक्रिया अब पूरी होने वाली है, जिसकी सरकार जल्द ही अधिसूचना जारी कर सकती है। इधर, शिवपुरी जिले में स्थित माधव राष्ट्रीय उद्यान को भी टाइगर रिजर्व बनाए जाने की सहमति राज्य वन्य प्राणी बोर्ड द्वारा दी जा चुकी है। अब इसे राष्ट्रीय वन्य प्राणी बोर्ड के पास भेजा जाएगा। इसके बाद सरकार द्वारा टाइगर रिजर्व बनाए जाने की अधिसूचना जारी की जाएगी। गौरतलब है कि प्रदेश में सबसे ज्यादा बाघ हैं, सबसे ज्यादा टाइगर रिजर्व भी मप्र में हैं, मप्र को सातवां टाइगर रिजर्व रानी दुर्गावती भी इसी साल मिला है। अब दो और टाइगर रिजर्व भी इस साल प्रदेश को मिल सकते हैं। इसके बाद मप्र में 9 टाइगर रिजर्व हो जाएंगे। रातापानी अभयारण्य में इस समय 65 से 70 बाघ हैं, इसके चलते इसे टाइगर रिजर्व बनाए जाने की प्रक्रिया पिछले कई सालों से चल रही है। इसके बाद भी अब तक रातापानी को टाइगर रिजर्व का दर्जा नहीं मिल पाया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने रातापानी को टाइगर रिजर्व बनाए जाने के लिए अधिकारियों को फटकार भी लगाई है। इसके बाद से अधिकारी रातापानी को टाइगर रिजर्व बनाए जाने की प्रक्रिया में जुटे हुए हैं। केंद्र सरकार रातापानी को टाइगर रिजर्व बनाए जाने की मंजूरी साल 2008 में दे चुका है। तभी इसका प्रस्ताव स्टेट वाइल्ड लाइफ के पास अटका हुआ है। इसका अंतिम प्रस्ताव साल 2022 में तैयार हुआ था। इसके बाद कई बैठकें हुईं, लेकिन निर्णय नहीं हो पाया। अब सरकार रातापानी को टाइगर रिजर्व बनाए जाने के लिए सहमत है।
गांवों से मिल चुकी है सहमति
खास बात यह कि रातापानी के बफर एरिया मे आने वाले 37 गांवों की सहमति पहले ही मिल चुकी है। अब कोर एरिया में आने वाले 33 गांवों का विस्थापन किया जाना है। गांवों का विस्थापन एक लंबी प्रक्रिया है। टाइगर रिजर्व बनने के बाद गांवों के विस्थापन की प्रक्रिया शुरू होगी। कोर एरिया में आने वाले गांवों का विस्थापन धीरे- धीरे किया जाएगा। प्रस्तावित टाइगर रिजर्व का कोर क्षेत्र 763.812 वर्ग किमी है। वहीं बफर एरिया 480.706 वर्ग किमी का है। नए प्रस्ताव में टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र और बफर क्षेत्र का दायरा कम कर दिया है।
प्रस्तावित रातापानी टाइगर
रिजर्व का क्षेत्र
कोर क्षेत्र 763.812
रायसेन जिले में 628.721
सीहोर जिले में 135.031
बफर क्षेत्र 480.706
रायसेन जिले में 257.197
सीहोर जिले में 216.649
भोपाल जिले में 6.890
प्रस्तावित माधव
टाइगर रिजर्व
कोर क्षेत्र 375.233 वर्ग किमी
बफर क्षेत्र 1276.154 वर्ग किमी
कुल क्षेत्र 1651.388 वर्ग किमी