आम जनता के लिए खुला है.. शिव ‘राज’ का खजाना

शिवराज सिंह चौहान
  • जरूरतमंदों को सब्सिडी बांटने में मप्र अव्वल

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। देश में बढ़ती मंहगाई के बीच मप्र सरकार की योजनाएं और सब्सिडी जरूरतमंदों के लिए बड़ा सहारा बनी हुई है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आम जनता के लिए खजाना खोल रखा है। मप्र सरकार ने टैक्स के जरिए सालभर में अर्जित राशि का 28.8 प्रतिशत हिस्सा जनहितैषी  योजनाओं में खर्च कर दिया। अपनी टैक्स आय से सब्सिडी देने वालों में पंजाब (45.4 प्रतिशत) और आंध्रप्रदेश (30.3 प्रतिशत) ही मप्र से आगे रहे। रिजर्व बैंक ने अपनी एक रिपोर्ट में यह बात कही है। यह रिपोर्ट राज्यों के बजट पर आधारित थी। केंद्र सरकार कई चीजों पर धीरे-धीरे सब्सिडी खत्म कर रही है, जिसका असर सीधे आम आदमी के बजट पर पड़ रहा है। ऐसे में मध्यप्रदेश सरकार अपना खजाना सब्सिडी बांटने में खर्च कर रही है। इस साल प्रदेश सरकार का बजट 2.79 लाख है, जिसका करीब एक तिहाई बजट 82 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा सरकार सब्सिडी के नाम पर खर्च करने जा रही है।
दो साल में कर्ज का बोझ 2 प्रतिशत तक बढ़ गया
रिपोर्ट में मप्र के बढ़ते कर्ज पर गहरी चिंता जताई गई है। इसके अनुसार मप्र देश का इकलौता ऐसा राज्य है जहां पिछले दो सालों में कर्ज का बोझ घटने के बजाय 2 प्रतिशत बढ़ गया है। मप्र में जीडीपी की तुलना में 31.3 प्रतिशत कर्ज है। 2022-23 में इसके बढ़कर 33.3 प्रतिशत होने यानी सीधे 2 प्रतिशत की बढ़ोतरी का अनुमान है। जीएसडीपी की तुलना में कर्ज में मप्र देश में चौथा है। पंजाब, राजस्थान और पश्चिम बंगाल टॉप-3 हैं। लेकिन इन तीनों राज्यों में मौजूदा वर्ष में जीएसडीपी की तुलना में कर्ज में कमी आने का अनुमान है। पंजाब में इस साल 4.2 प्रतिशत, बंगाल में 2.9 प्रतिशत और राजस्थान में 0.7प्रतिशत कर्ज कम होगा। आरबीआई मानता है कि मप्र देश के उन चुनिंदा राज्यों की सूची में शुमार है, जहां कर्ज क्षमता से ज्यादा है।
ऐसे बढ़ा खर्च और चढ़ा कर्ज
साल 2011-12 में सरकार वेतन-भत्तों पर 22.86 फीसदी खर्च करती थी, जो 2021-22 में बढ़कर 28.93 फीसदी हो गया है। साल 2011-12 में पेंशन पर सरकार 9.71 फीसदी खर्च करती थी,जो 2021-22 में बढ़कर 10.27 फीसदी हो गया है। कर्ज के ब्याज के भुगतान पर कुल बजट का 8.50 फीसदी खर्च होता था, जो 2021-22 में बढ़कर 12.72 फीसदी तक पहुंच गया है। सरकार वेतन-भत्तों, पेंशन और कर्ज के ब्याज पर 2011-12 में जहां बजट का 41.07 फीसदी खर्च करती थी, वह 2021-22 में बढ़कर 51.90 फीसदी पहुंच गया है, मतलब बजट का आधा हिस्सा इन तीन मदों में खर्च हो जाता है। सरकार पर पेंशन का बोझ साल दर साल बढ़ता ही जा रहा है, साल 2021-22 में सरकार ने 16913.43 करोड़ की राशि का पेंशन के रूप में भुगतान किया है। आने वाले बजट में यह राशि बढ़कर 19788.72 करोड़ रुपए हो जाएगी।
एक साल में कमाई से 21000 करोड़ बांटे
 मप्र सरकार ने बजट पेश होने के बाद 6,800 करोड़ रुपए के बिजली बिल माफ कर दिए थे। इसे जोड़ लें तो मप्र में पिछले एक साल में 27,800 करोड़ रुपए की सहायता बांटी गईं। यानी जारी वित्तीय वर्ष में उसकी कमाई का 28.8 प्रतिशत नहीं, 38.12 प्रतिशत हिस्सा मुफ्त की योजनाओं में खर्च होगा। इस लिहाज से राशि के आधार पर सबसे अधिक सब्सिडी मप्र सरकार ने दी। हालांकि रिपोर्ट में राशि के आधार पर आंध्रप्रदेश 27,541 करोड़ की सब्सिडी देकर देश में अव्वल है। 21 हजार करोड़ के साथ मप्र दूसरा और 17,000 करोड़ की सब्सिडी देने वाला पंजाब तीसरे स्थान पर है।
30 फीसदी राशि सब्सिडी में खर्च
मप्र सरकार लगातार कर्ज ले रही है, लेकिन शिवराज सरकार गरीब, किसानों और अन्य वर्गों के बीच बजट की 30 फीसदी राशि सब्सिडी में खर्च कर रही है। सबसे ज्यादा राशि का प्रावधान घरेलू बिजली उपभोक्ताओं, किसानों, उद्योगों, उच्च शिक्षा ऋण सहित विभिन्न योजनाओं पर किया गया है। इसमें अकेले बिजली पर ही सरकार द्वारा 22,500 करोड़ की सब्सिडी दी जा रही है। बजट में से करीब 90 हजार करोड़ रुपए की राशि वेतन-भत्तों और पेंशन पर खर्च हो रही है। करीब 20 हजार करोड़ रुपए कर्ज निपटाने और ब्याज पर खर्च किए जा रहे हैं।
सिर्फ तीन मदों में खर्च होता है आधा बजट
सरकार के सामने सबसे बड़ी समस्या अपने खर्चे कम करने की है। इसे लेकर मशक्कत भी की जा रही है। सीएम, मंत्री और अधिकारी भी इसे लेकर प्लान बनानें में जुटे हैं कि कैसे सरकार की आमदनी में इजाफा किया जाए और खर्चों को कैसे कम किए जाए। सरकार की कमाई का आधा से ज्यादा हिस्सा 3 मदों, वेतन-भत्तों, पेंशन और ब्याज के भुगतान में ही चला जाता है।

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