न्यायिक जांच की तत्परता पर भारी पड़ रही कार्रवाई की सुस्ती

न्यायिक जांच
  • आयोगों ने जांचकर रिपोर्ट पेश की लेकिन एक दशक से कार्रवाई नहीं

भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। किसी भी गंभीर घटना की जांच के लिए जिस तत्परता से न्यायिक जांच आयोग गठित होते हैं, उनकी रिपोर्ट पर कार्रवाई में उतनी ही सुस्ती बरती जाती है। मप्र के मंदसौर में किसानों पर गोली चालान, यूनियन कार्बाइड में जहरीली गैस का रिसाव, ग्वालियर में पुलिस मुठभेड़, पेटलावद में विस्फोट, मोहर्रम के जुलूस रोकने, सामाजिक सुरक्षा पेंशन घोटाला आदि की जांच के लिए सरकार द्वारा गठित किए गए आयोगों की रिपोर्ट पर एक दशक बाद भी दोषियों पर कार्रवाई नहीं हुई है। कुछ आयोगों की रिपोर्ट विधानसभा पटल पर भी रखी जा चुकी हैं, लेकिन संबंधित विभागों ने आज तक इन रिर्पोटों पर कोई ठोस निर्णय नहीं लिया है। सरकार जनमानस के जख्म पर मरहम लगाने के लिए ऐसे बड़े मामलों में न्यायायिक जांच आयोग गठित करतमा है। इनकी रिपोर्ट भी आती है, लेकिन अब तक किसी भी दोषी पर कार्रवाई नहीं हुई। जबकि जांच आयोग में करोड़ों रुपए खर्च किए गए। गौरतलब है कि न्यायायिक जांच आयोग अधिनियम 1952 की धारा तीन के तहत गठित होती हैं। फिर गजट नोटिफिकेशन जारी होता है, जिसमें निर्धारित समय सीमा के अंदर अपनी कार्यवाही पूर्ण कर रिपोर्ट प्रस्तुत करना होता है। उधर सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव श्रीनिवास शर्मा का कहना है कि हमारा काम केवल जांच आयोग का गठन करना है। आयोग द्वारा पेश की गई रिपोर्ट कार्रवाई के लिए संबंधित विभाग को भेज दी जाती है। कार्रवाई करना उस विभाग का काम है, जिससे संबंधित रिपोर्ट होती है। हमें उससे कोई लेना-देना नहीं है।
ये जांच रिपोट्स भी अधर में
ग्वालियर स्थित गोसपुरा मानमंदिर में 24 मार्च 2015 को पुलिस मुठभेड़ के दौरान करीब 3 लोगों की मौत हो गई थी। सरकार ने जिला सत्र न्यायाधीश सीपी कुलश्रेष्ठ की अध्यक्षता में 17 अगस्त 2015 को जांच आयोग का गठन किया। आयोग ने 9 जनवरी 2017 को जांच रिपोर्ट गृह विभाग को भेज दी, लेकिन अभी भी विभाग में कार्रवाई प्रचलित बताई जा रही है। वहीं झाबुआ जिले के पेटलावद में 24 मई 2015 को विस्फोट की घटना में करीब 5 लोगों की मौत हो गई थी। सरकार ने इसके लिए 15 सितंबर 2015 को न्यायमूर्ति आयेंद्र कुमार सक्सेना की अध्यक्षता में जांच आयोग गठित किया। आयोग ने तीन माह में जांच कर 11 दिसंबर 2015 को रिपोर्ट पेश की। गृह विभाग में 6 अप्रैल 2016 से जांच रिपोर्ट प्रचलित है। वहीं पेटलावद में ही 24 मई 2016 को मोहर्रम के जुलूस पर रोक लगा दी गई थी, जिससे माहौल खराब हो गया। मामले की नजाकत को देखते हुए सरकार ने 20 नवंबर 2016 को सेवानिवृत्त जिला सत्र न्यायाधीश राजकुमार पांडेय की अध्यक्षता में आयोग गठित किया। आयोग ने 20 नवंबर 2017 को एक साल बाद रिपोर्ट पेश कर दी। 5 जुलाई 2019 को प्रतिवेदन विधानसभा पटल पर रखा भी गया, लेकिन दोषियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। जबकि मंदसौर जिले में पुलिस द्वारा गोली चलाने की घटना में कुछ किसानों की मौत हो गई थी और कई घायल भी हुए। सरकार ने न्यायमूर्ति जेके जैन की अध्यक्षता में 12 जून 2017 को आयोग का गठन किया। आयोग ने अपनी रिपोर्ट 14 जून 2018 को शासन को पेश कर दी। जीएडी ने रिपोर्ट गृह विभाग को भेज दी, लेकिन अभी भी रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
यूका और भिंड गोली चालन मामले में कोई कार्रवाई नहीं
जांच आयोगों की रिपोर्ट का हश्र क्या होता है इसका अंदाजा यूनियन कार्बाइड से जहरीली गैस रिसाव और भिंड में गोली चालन की घटना की रिपोर्ट से लगाया जा सकता है। भोपाल में 1983 में यूनियन कार्बाइड कारखाने से जहरीली गैस रिसाव से हजारों लोगों की मौत हो गई थी। सरकार ने 25 अगस्त 2010 को न्यायमूर्ति एसएल कोचर की अध्यक्षता में आयोग गठित किया। आयोग ने पांच साल जांच करने के बाद 24 फरवरी 2015 को रिपोर्ट पेश की, लेकिन गैस राहत विभाग ने अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की। वहीं भिंड में 24 जनवरी 2012 को पुलिस की गोली चलाने की घटना में 6 व्यक्तियों की मौत हो गई थी। सरकार ने सेवानिवृत्त जिला सत्र न्यायाधीश सीपी कुलश्रेष्ठ की अध्यक्षता में 12 जुलाई 2012 को जांच आयोग का घटना किया था। आयोग ने रिपोर्ट 31 दिसंबर 2017 को पेश कर दी थी, पर गृह विभाग ने कार्रवाई नहीं की।

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