वन विभाग : अब चप्पे-चप्पे पर नजर रखेगा सॉफ्टवेयर

वन विभाग
  • गड़बड़ियों से बचने और लगाम लगाने के उद्देश्य से वन विभाग ने बनाई है  ऑनलाइन नीलामी की योजना…

    भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश के वन महकमें में गड़बड़ियां आम बात है। अफसरों की लापरवाही और भ्रष्टाचार की शिकायतों की वजह से भी यह महकमा लगातार सुर्खियों में बना रहता है। यही वजह है कि अब विभाग द्वारा भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने और गड़बड़ियों को रोकने के लिए सॉफ्टवेयर की मदद ली जा रही है।  सॉफ्टवेयर के माध्यम से प्रदेश भर में चप्पे-चप्पे पर नजर रखी जाएगी। विभाग ने मैप आईटी (विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग) से सॉफ्टवेयर तैयार करवाया है। यह सॉफ्टवेयर करीब-करीब तैयार भी हो चुका है और इसकी टेस्टिंग की जा रही है। ताकि सॉफ्टवेयर में किसी तरह की खामियां सामने ना आएं। उल्लेखनीय है कि वन विभाग को प्रदेशभर के लकड़ी डिपो में लकड़ी की नीलामी से संबंधित गड़बड़ियों की शिकायतें लगातार मिल रही है।  इन गड़बड़ियों से बचने और लगाम लगाने के उद्देश्य से वन विभाग ने  ऑनलाइन नीलामी की योजना बनाई है। इस योजना पर काम करते हुए हुए यह सॉफ्टवेयर लगाया जा रहा है। विभागीय अधिकारियों की माने तो वन विभाग ने अगस्त में लकड़ी के एक दो लॉट की नीलामी कर सॉफ्टवेयर का परीक्षण करने की तैयारी कर ली है। इस परीक्षण के दौरान जो भी खामियां सामने आएंगी, उन्हें दूर करने के बाद संभवत: अक्टूबर माह से प्रदेश भर में  ऑनलाइन लकड़ी की नीलामी की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।
    डिपो के माध्यम से बेची जाती है हर साल 1 हजार करोड़ की लकड़ी
    बता दें कि प्रदेश में कुल ग्यारह उत्पादन वन मंडल हैं। इनमें 42 लकड़ी डिपो हैं। इन डिपो से ही हर साल एक हजार करोड़ रुपए से अधिक की लकड़ी बेची जाती है। इनमें से प्रत्येक डिपो से लगभग दो से ढाई हजार लॉट की नीलामी होती है। पिछले वर्ष 2020 में मंडला के कालपी डिपो में पचास लॉट नीलाम हुए थे। इनमें से बीस लॉट में गड़बड़ी सामने आई थी। मामले की शिकायत मिलने बाद तत्कालीन मंडला उत्पादन मंडल के वनमंडलाधिकारी को निलंबित कर दिया गया था। यही नहीं गड़बड़ियों की स्थिति को देखते हुए अब विभाग ने एक बार फिर  ऑनलाइन नीलामी पर जोर दिया है।
    2018 में भी तैयार किया गया था सॉफ्टवेयर  
    सूत्रों की माने तो वर्ष 2018 में लकड़ी नीलामी में गड़बड़ी सामने आने के बाद  ऑनलाइन नीलामी की व्यवस्था तैयार की गई थी। इस दौरान सॉफ्टवेयर भी तैयार किया गया था लेकिन  ऑनलाइन नीलामी में ज्यादा दबाव की वजह से सॉफ्टवेयर खराब हो गया था। विभागीय अफसरों के मुताबिक 2018 वाली गलतियां ना हों इसके लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। सॉफ्टवेयर तैयार हो जाने के बाद दूरसंचार मंत्रालय की टेलीकम्युनिकेशन शाखा को भेजा जाएगा। यहां पर सॉफ्टवेयर की सुरक्षा विशेषताओं की जांच कराई जाएगी। खास बात यह है कि बैंक की सुरक्षा विशेषताओं की जांच होने के बाद ही नीलामी प्रक्रिया में शामिल होने वाले व्यापारी ऑनलाइन भुगतान कर सकेंगे।

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