- टिकट नहीं मिलने से नाराज कार्यकर्ता प्रत्याशियों का चुनावी गणित बिगाड़ने को तैयार
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में चल रहे नगरीय निकाय चुनावों में विधायकों व पार्टी के बड़े नेताओं की वजह से बेहद मजबूत दावेदार होने के बाद भी टिकट से वंचित किए गए भाजपा व कांग्रेस के सैकड़ा कार्यकर्ता अब पूरी तरह निर्दलीय चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर चुके हैं। यह कार्यकर्ता पार्टी नेताओं की समझाइश और चेतावनी को दरकिनार कर आने नामांकन फार्म वापस लेने नहीं पहुंचे। अब दोनों दलों के इन कार्यकर्ताओं पर निलंबन की गाज गिरना तय हो गई है।
इन में वे कार्यकर्ता भी शामिल हैं जो लगातार पार्षद बनते आ रहे थे , लेकिन पार्टी ने उन्हें इस बार टिकट ही नहीं दिया है। अब यह बागी अपने -अपने वार्डों में पार्टी प्रत्याशियों के समीकरण बिगाड़ने के लिए तैयार हैं। इसकी वजह से पार्टी के अधिकृत प्रत्याशियों की परेशानी बढ़ गई है। दरअसल विधायकों की मनमानी की वजह से कई वार्ड ऐसे हैं जिनमें लगातार बाहरी प्रत्याशियों को चुनावी मैदान में उतारा जा रहा है। इसकी वजह से स्थानीय कार्यकर्ताओं में नाराजगी बनी हुई है। खास बात यह है कि इन प्रत्याशियों को मनाने के लिए बीते तीन दिनों से पार्टी स्तर पर कवायद की जा रही है , लेकिन वे मानने को तैयार नहीं है। यही वजह है कि भाजपा प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा को जहां चेतावनी देनी पड़ी तो कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ को भावनात्मक अपील करनी पड़ी। इसके बाद भी बागी हैं कि मानने को तैयार नही हैं।
इसी बीच कांग्रेस ने भोपाल सहित कई नगर निगमों के कई वार्डों के प्रत्याशी बीती रात बदल दिए हैं। गौरतलब है कि प्रदेश में सोलह नगर निगमों समेत नगरपालिका और नगर परिषदों के कुल साढ़े छह हजार पार्षद पदों के लिए चुनाव हो रहे हैं। मेयर और पार्षद पदों के लिए काफी मशक्कत के बाद पार्टी नाम तय कर पायी। आज बुधवार को नाम वापसी का अंतिम दिन है। टिकट न मिलने की आस भाजपा और कांग्रेस की ओर से कई कार्यकर्ताओं ने नामांकन पर्चा दाखिल किया हुआ है। पार्टी द्वारा टिकट वितरण के बाद भी इन कार्यकर्ताओं ने अपना पर्चा वापस न लेकर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनावी समर में उतरने का तय कर लिया है। इधर पार्टी के संभागीय चुनाव प्रभारी भी इन बागी कार्यकर्ताओं से फोन पर बात कर लगातार उन्हें मनाने का प्रयास कर रहे हैं।
भाजपा में बागियों की संख्या करीब दो हजार
फिलहाल भाजपा में दो हजार से अधिक ऐसे कार्यकर्ता हैं जिन्होंने मेयर और पार्षद के लिए नामांकन दाखिल किए हैं और अधिकृत प्रत्याशी के ऐलान के बाद भी अपना नाम वापस नहीं लिया है। भाजपा के आला नेता पूरी ताकत से इन बागियों के नामांकन वापस कराने में लगे हैं। इसके लिए आज भी सुबह से संभागीय समितियां और जिलों की कोर कमेटी सक्रिय रही। एक -एक दावेदार से बात कर उन्हें अंतिम समय में भी मनाने का प्रयास किया जा रहा है। शाम तक स्थिति साफ होने के बाद अनुशासन की कार्यवाही की जाएगी। यह बात अलग है कि बागी होने वाले कार्यकतार्ओं को इससे कुछ अंतर नहीं पड़ने वाला है। भाजपा में टिकट वितरण में परिवारवाद व विधायकों की मनमानी कार्यकर्ताओं की नाराजगी की बड़ी वजह है। जीत की चाहत में पार्टी ने मेयर से लेकर पार्षद पदों पर नेताओं की पत्रियों, पुत्रों और परिजनों पर ज्यादा भरोसा दिलाया। कई वार्डों में जहां पूर्व में पति पार्षद थे आरक्षण के चलते स्थिति बदली तो पत्नी को टिकट दे दिया वहीं कई वार्डों में स्थानीय की उपेक्षा कर बाहर के निवासियों को भी नवाजा गया है। इसकी वजह से कार्यकर्ता निर्दलीय मैदान में उतर गए हैं।
टिकट कटने से नाराज भोपाल में पूर्व एमआईसी मेंबर महेश मकवाना ने अपनी ही पार्टी की प्रत्याशी सरोज ढालिया के खिलाफ कलेक्टर न्यायालय में याचिका लगाई है। मकवाना ने उन पर फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर जाति की गलत जानकारी दने का आरोप लगाया है।
मकवाना ने उनका नामांकन को निरस्त करने की मांग की है। उनका आरोप है कि भारतीय जनता पार्टी ने शहर की कई सामान्य सीटों पर एससी एसटी एवं ओबीसी वर्ग के प्रत्याशियों को टिकट वितरित किए हैं।
कांग्रेस में भी बगावत
खंडवा, रतलाम, छिंदवाड़ा सहित अन्य जिलों के निकायों में पार्टी के अधिकृत प्रत्याशियों को लेकर विरोध हो रहा है। प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में युवा कांग्रेस से लेकर विदिशा के पार्टी कार्यकर्ता विरोध प्रदर्शन कर चुके हैं। कई पार्टी कार्यकर्ताओं ने नामांकन पत्र जमा किए हैं और नामांकन वापसी के अंतिम समय तक वे नाम वापिस लेने को तैयार नही हो रहे हैं। इस कारण पार्टी के वरिष्ठ नेता परेशान हैं। कमलनाथ के गृह नगर छिंदवाड़ा में पार्टी के महापौर पद के प्रत्याशी को लेकर सहमति नहीं बन पा रही है। उधर बीती रात पार्टी ने भोपाल से पार्षद पद के आठ उम्मीदवार बदल डाले। नगर निगम की राजनीति में वरिष्ठ नेता मोहम्मद सगीर को मो फहीम की जगह वार्ड 41 से टिकट दिया है। इसी तरह भेल क्षेत्र के वरिष्ठ कांग्रेस नेता केपी द्विवेदी की बहू उर्मिला द्विवेदी को प्रत्याशी बनाया है। देवास, कटनी और जबलपुर में भी एक-एक उम्मीदवार बदला है। राजधानी में वार्ड 29 से संतोष कंसाना का नामांकन निरस्त होने के बाद पार्टी ने उनके बेटे देवांशू को प्रत्याशी घोषित किया है। वार्ड 40 में अनस उर्र रहमान की जगह आबिद मुबारक, वार्ड 56 में राहुल दहिया के स्थान पर राजेश कुमार शुक्ला, वार्ड 64 में शीला ललित सेन की जगह नीलू विपिन चौकसे, वार्ड 74 में कोमल सोनू लोधी का टिकट काट कर सिंगार बाई लोधी को उम्मीदवार बनाया है। इसी तरह कोलार के वार्ड 80 में अन्नू बिट्टू शर्मा की पत्नी के स्थान पर श्वेता सुखलाल ठाकुर को टिकट दिया है। वहीं देवास में वार्ड 21 से दीपा गौरव यादव का नाम लिस्ट से काट कर सुनीता ओमप्रकाश राठौर को मैदान में उतारा है। कटनी के वार्ड 11 में राजेंद्र कुशवाहा का टिकट बदल कर भरत विश्वकर्मा को दिया गया है। जबलपुर में राजकुमार झारिया की जगह राजेंद्र प्रसाद राजेश चौधरी को उम्मीदवार बनाया है।
सांसद को जाना पड़ा घर
भोपाल के बैरागढ़ इलाके में वार्ड 5 से अधिकृत भाजपा प्रत्याशी राहुल राजपूत के सामने पर्चा दाखिल करने वाले नवरंग धाकड़ को मनाने के लिए राजगढ़ के सांसद रोडमल नागर तक को उनके घर जाना पड़ा है। उनके साथ नवरंग के घर दस्तक देने वालों में आवास संघ के पूर्व अध्यक्ष सुशील वासवानी, प्रत्याशी राहुल राजपूत, पूर्व पार्षद माखन सिहं राजपूत, शीला शामनानी एवं मण्डल अध्यक्ष के साथ बैठक भी हुई जिसके बाद धाकड़ नाम वापसी के लिए तैयार हुए। उधर, वार्ड 4 में पूर्व मण्डल अध्यक्ष चन्द्रप्रकाश ईसरानी के छोटे भाई के बागी तेवर अभी बने हुए हैं।
छिंदवाड़ा में उलझन बरकरार
छिंदवाड़ा में भाजपा के बागी जितेन्द्र शाह पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी अनंत धुर्वे के लिए मुसीबत बन सकते हैं। टिकट कटने के विरोध में उन्होंने निर्दलीय नामांकन भर दिया है। पार्टी के किसान मोर्चा आदिवासी प्रकोष्ठ के अध्यक्ष जितेन्द्र शाह का नाम लगभग फाइनल माना जा रहा था पर अंतिम समय में अनंत धुर्वे को प्रत्याशी बना दिया। इससे नाराज जितेन्द्र शाह ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। शाह को मनाने का प्रयास एक पूर्व संभागीय संगठन मंत्री कर रहे हैं।