भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। करीब दो साल पहले कांग्रेस से भाजपाई बनने वाले श्रीमंत अब भाजपा के उन नेताओं में शामिल हो चुके हैं, जिन्हें सरकार के साथ ही पार्टी में भी प्रभावशाली माना जाने लगा है। यही वजह है कि अब श्रींमत मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस को उप्र चुनाव के बीच में बड़ा झटका देने वाले नेत बन गए हैं। बताया जा रहा है कि कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह को भाजपा में लाने की स्क्रिप्ट उनके द्वारा दो माह पहले ही लिख ली गई थी। चुनाव के बीच जैसे ही भाजपा हाईकमान से उन्हें हरी झंडी मिली वे सिंह को भाजपा में ले आए। दिलचस्प यह है कि आरपीएन सिंह को कांग्रेस द्वारा जारी की गई पार्टी की 30 सदस्यीय स्टार प्रचारकों की सूची में शामिल किया गया था। योजना के तहत श्रीमंत उनसे बीते दो माह से लगातार संर्पक में बने हुए थे।
श्रीमंत द्वारा यह स्क्रिप्ट उस समय लिखी गई थी, जब उन्हें कांग्रेस द्वारा झारखंड का प्रभारी बनाया गया था। योजना के तहत बस उन्हें भाजपा में लाने के लिए सही समय का इंतजार किया जा रहा था। इसके लिए पार्टी द्वारा भाजपा के पूर्वांचल के पिछड़े वर्ग के बड़े चेहरे स्वामी प्रसाद मौर्य के पार्टी छोड़ने के बाद का समय चुना गया । खास बात यह है कि भाजपा ज्वाइन कराने के लिए आरपीएन सिंह के साथ श्रींमत द्वारा भी मंच साझा किया गया।
पहले से है श्रीमंत व सिंह के बीच याराना
कांग्रेस में रहने के समय से ही श्रीमंत के साथ आरपीएन सिंह का याराना जगजाहिर रहा है। मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिराकर भाजपा की सरकार बनाने में श्रीमंत की पूरी भूमिका रही है। उन्हें भाजपा में आने के बाद न केवल सांसद बनाया गया, बल्कि केन्द्र में भी मंत्री बना दिया गया। इसके बाद से ही माना जाने लगा था कि आरपीएन सिंह भी भाजपा में शामिल हो सकते हैं। बगैर सहमति के जब कांग्रेस ने आरपीएन को झारखंड में सरकार बनवाने की जिम्मेदारी दी तो श्रीमंत ने उन्हें भी भाजपा में लाने की कवायद शुरू कर दी। इसके बाद उनके द्वारा अमित शाह और जेपी नड्डा को बता दिया गया था कि आरपीएन सिंह भाजपा में आने को तैयार हैं।
कौन हैं आरपीएन सिंह
आरपीएन सिंह का पूरा नाम कुंवर रतनजीत प्रताप नारायण सिंह है। उन्हें पडरौना का राजा साहेब भी कहा जाता है। उन्हें इसी नाम से जाना जाता है। सिंह यूपीए-दो में गृह राज्य मंत्री रहे हैं। इसके अलावा संगठन में वे कई राज्यों में कांग्रेस के प्रभारी भी रहे हैं। पार्टी में उन्हें राहुल गांधी का काफी करीबी माना जाता था। उनका कांग्रेस संगठन में भी हमेशा
दबदबा रहा है। आरपीएन सिंह उत्तर प्रदेश में पूर्वांचल इलाके के पडरौना के रहने वाले हैं। वे कुशीनगर के शाही सैंथवार परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनके पिता सीपीएन सिंह कांग्रेस के वफादार नेताओं में रहे हैं। वे भी कुशीनगर से सांसद रह चुके हैं। वे 1980 में इंदिरा सरकार में रक्षा राज्य मंत्री भी रहे हैं। आरपीएन सिंह पडरौना से 1996 में पहली बार विधायक बनने के बाद से 2009 तक वह विधायक रहे। इसके बाद वे भी पिता की तरह ही कुशीनगर से लोकसभा सांसद भी बने। हालांकि वे लगातार बीते दो लोकसभा चुनाव हार चुके हैं। उनका पूर्वांचल में प्रभाव माना जाता है।
इस तरह मिली श्रीमंत को हरी झंडी
दरअसल स्वामी प्रसाद मौर्य के भाजपा छोड़कर सपा में जाते समय उनसे बात करने के लिए अमित शाह ने फोन किया था, जिसे मौर्य ने नहीं उठाया। शाह द्वारा मौर्य को तीन बार फोन किया गया था। अगर उस समय मौर्य द्वारा फोन उठा लिया जाता तो शायद आरपीएन सिंह की भाजपा में जॉइनिंग ही नहीं होती। दरअसल तीन बार फोन लगाने के बाद भी मौर्य द्वारा फोन नहीं उठाए जाने से नाराज शाह ने पूर्वांचल के नेता आरपीएन सिंह को भाजपा में लाने की पहले से तैयार स्क्रिप्ट पर अमल के लिए श्रीमंत को हरी झंडी दे दी।
29/01/2022
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