उम्रदराज बेल्हा बांध को मिलेगा नया जीवन

बेल्हा बांध
  • आदिवासियों की मेहनत से सिंचाई क्षमता बढ़ाकर 800 हेक्टेयर होगी

    भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में करीब एक सौकड़ा बांध उम्रदराज हो चुके हैं। इन्हीं बांधों में शामिल बेल्हा सिंचाई बांध को आदिवासियों ने पुर्नजीवित करने का संकल्प लिया है। ये मजदूर 14 गांवों के लिए सिंचाई क्षमता 300 से बढ़ाकर करीब 800 हेक्टेयर में करेंगे। इससे क्षेत्र के लोगों की वार्षिक आय भी बढ़कर चार करोड़ से ज्यादा हो जाएगी। सिंचाई और कृषि सुविधा बढ़ाने के लिए सीधी जिले में मझौली ब्लॉक के 200 आदिवासी मजदूर 47 साल पुराने बेल्हा सिंचाई बांध को पुर्नजीवित करेंगे। मझौली ब्लॉक में बेल्हा टैंक का निर्माण सिंचाई विभाग द्वारा 1974 में हुआ था। इसमें 3.4 एमसीएम क्षमता और मझौली ब्लॉक के 14 गांवों में 1100 हेक्टेयर कमांड क्षेत्र रखा गया लेकिन बांध बनने के बाद भी इसमें पूरी क्षमता तक पानी नहीं भर पाया। पिछले बीस साल से आलम है कि औसतन 0.6-0.8 एमसीएम लाइव स्टोरेज हो रहा है जो केवल 230 से 300 हेक्टेयर में ही सिंचाई क्षमता है। बताया जाता है कि बांध के कमांड क्षेत्र के 800 हेक्टेयर को कभी भी सिंचाई का पानी नहीं मिला।
    15 मई तक पूरा करने का लक्ष्य
    जानकारी के अनुसार जिला पंचायत के अफसरों ने भ्रमण के दौरान पाया कि बिजौर नदी, बेल्हा बांध के जलग्रहण क्षेत्र से सटी हुई है और इसका पानी बांध को भरने के लिए मोड़ा जा सकता है। इसके बाद प्लान बना कि कुसमी क्षेत्र के ग्राम पिपराही के आदिवासी मजदूरों को गांव में ही काम देकर बेल्हा बांध को पुनर्जीवित किया जा सकता है। अन्तत: फीडर चैनल का निर्माण 25 नवंबर 2021 से प्रारंभ करा दिया गया। इस परियोजना की कुल लागत 590 लाख है। फंड की व्यवस्था 15वें  वित्त से 50 लाख, डीएमएफ से 50 लाख और नरेगा से बाकी 490 लाख करने का प्लान मंजूर हुआ। बांध की सिंचाई क्षमता बढ़ाने में मजदूरों को 71,512 मानव-दिवस काम मिलेगा। इसे 15 मई 2022 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। कार्य में औसतन 190 मजदूर काम पर रहेंगे। अब तक 5,185 मानव दिवस उत्पन्न हुए हैं। कमिश्नर नरेगा सूफिया फारूकी वली का कहना है कि सिंचाई बांध को पूरी क्षमता के साथ तैयार कराया जा रहा है। आदिवासी मजदूर कायाकल्प करने में जुटे हैं। इससे 875 हेक्टेयर भूमि में सिंचाई हो सकेगी। पिपराही-कुसमी ब्लॉक में 75 हेक्टेयर 100 प्रतिशत आदिवासी भूमि है। मझौली ब्लॉक के 14 गांवों की 800 हेक्टेयर भूमि सिंचित होगी और मझौली के पिछडेÞ क्षेत्र में सिंचित खेत होने से वार्षिक आय में लगभग 4.40 करोड़ की वृद्धि होगी।

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