लाखों श्रमिकों को अरबों रुपए का नुकसान

लाखों श्रमिकों

भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। सरकार एक हाथ से देती है तो दूसरे हाथ से ले भी लेती है। फिलहाल इस तरह के मामले में गरीबों को राहत रही है, लेकिन अब तो सरकार ने इस मामले में गरीबों को भी छोड़ना बंद कर दिया है। इसका उदाहरण है श्रमिकों का वह वेलफेयर फंड जिसे अब सरकार ने श्रम विभाग से लेकर बिजली विभाग को दे दिया है। इसके तहत प्रदेश सरकार ने 416.33 करोड़ रुपए का फंड ऊर्जा विभाग के सब्सिडी खाते में भुगतान कर दिया है।
इसके पीछे श्रम विभाग का तर्क है कि बिजली की संबल-सरल स्कीम के तहत 100 रुपए में बिजली का लाभ भवन एवं अन्य संनिर्माण वेलफेयर बोर्ड से पंजीकृत तीन लाख गरीब मजदूरों को मिला है। जो सब्सिडी मजदूर को मिली है, वही पैसा बिजली विभाग को दिया गया है। खास बात यह है कि कम दर पर बिजली देना श्रमिकों की वेलफेयर स्कीम में शामिल नहीं है। दरअसल बिजली विभाग ने कुछ समय पहले ही सरकार द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी के पैसे के भुगतान के लिए नोटशीट लिखी थी, जिसके बाद एक साथ तीन साल 2018 से लेकर 2021 का इस मद का पैसा दे दिया गया है।
हर साल दी जाती है 21 हजार करोड़ रुपए की रियायत
सरकार के निर्णय के अनुसार बिजली विभाग हर साल अलग-अलग योजनाओं (कृषि व घरेलू) के तहत नगभग 21 हजार करोड़ रुपए की रियायत देता है। हाल ही में बिजली विभाग ने कैबिनेट बैठकों में इस मामले को उठाते हुए कहा था कि या तो सब्सिडी कम अथवा उसका दायरा सीमित किया जाए। इस पर फिलहाल निर्णय अटका हुआ है। इसकी वजह है सरकार द्वारा इस मद में पैसा देने में बेहद हीला हवाली किया जाना।
इस तरह से आता है फंड
मप्र में दस लाख रुपए से अधिक के सभी शासकीय (केंद्र व राज्य) और निजी बिल्डिंग निर्माण वाली परियोजतनाओं की कुल लागत का एक प्रतिशत पंचायतों व निकायों के माध्यम से बोर्ड को मिलता है। भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार (नियोजन एवं सेवा शर्तों का विनियमन) अधिनियम 1996 अंतर्गत धारा 22 फंक्शन आॅफ द बोर्ड के क्रियाकलाप एवं धारा 24 (3) के तहत बोर्ड के द्वारा जो कार्य श्रमिकों के हित में किए जाएंगे या कल्याण में जो योजनाएं चलाई जाएंगी उसका 5 प्रतिशत ही प्रशासनिक व्यय करने का प्रावधान है। मप्र सह पठित नियम 2005 नियम 280 के तहत निर्देश दिए गए हैं की बोर्ड के फंड का उपयोग केवल श्रमिकों के हितार्थ जो योजनाएं चलाई जाएंगी उस पर ही व्यय होगा। उपकर के रूप में प्राप्त राशि केवल श्रमिकों के हित यानी जो बोर्ड के द्वारा योजनाएं चलाई जा रही हैं, उस पर ही खर्च की जा सकती है।
इन मदों पर किया जाता है खर्च
इस फंड का इस्तेमाल श्रमिकों की दुर्घटना में मदद, डिलेवरी, मृत्यु सहायता आदि कामें पर किया जाता है। इसके अलावा रिटायर होने वाले श्रमिकों को पेंशन, लोन व एडवांस, ग्रुप इंश्योरेंश, कल्याण योजनाओं पर भी राशि व्यय की जाती हे। इसी तरह से विदेश में पढ़ाई के लिए जाने वाले श्रमिकों के बच्चों, सुपर 5000 आदि स्कीमों का संचालन भी इसी फंड से किया जाता है।
जारी हुआ नोटिस
इस मामले में हाल ही में एक कानूनी नोटिस भी मंत्री, अफसर और कर्ताधर्ताओं को दिया गया है। इसमें कहा गया है कि यह मजदूरों का पैसा था, जिसे डायवर्ट किया गया है। सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट निर्देश हैं कि मजदूरों की 19 स्कीमों में ही यह पैसा खर्च होना था। इसमें यह भी कहा गया कि 2019-20 में तो 100 रुपए में सौ यूनिट बिजली की स्कीम सभी के लिए एक जैसी थी तो सब्सिडी का पैसा देना सवाल खड़े करता है।

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