मप्र के लाखों लोगों को है आवास निर्माण के लिए राशि का इंतजार

आवास निर्माण

भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र ऐसा राज्य है , जहां पर पैसों के अभाव में हर गरीब को आवास दिलाने की मुहिम की रफ्तार काफी धीमी है। प्रदेश में लाखों लोग आवास के लिए भटक रहे हैं। राज्य सरकार और केंद्र सरकार के तमाम प्रयासों के बाद भी मप्र में बीते साल में महज साढ़े चार लाख लोगों को ही पीएम आवास योजना का लाभ मिल सका है। इस वजह से अब भी प्रदेश में 16 लाख से अधिक लोग इस इस योजना के तहत अपने आवास का इंतजार कर रहे हैं।
यह वे लोग हैं जिनका नाम तो इस योजना के पात्र हितग्राही के रुप  में शामिल हो चुका है , लेकिन उसके बनाने के लिए अब तक उन्हें एक रुपए भी नहीं मिला है।  दरअसल इस योजना के तहत इन सभी पात्रों को अपनी छत देने के लिए प्रदेश के 408 शहरों में रहने वाले इन लोगों को 13771 करोड़ रुपए की जरुरत बनी हुई है। इससे ही इस योजना की प्रदेश में स्थिति समझी जा सकती है कि कितनी खराब है। यह हाल तब हैं जबकि सरकार का दावा है कि प्रदेश में सभी हितग्राहियों को योजना का लाभ मिल रहा है। उधर, इस मामले में सरकार की ही रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि 7 लाख 66 हजार लोगों को तो अब तक योजना के तहत फंड ही नहीं दिया गया है। इसके अलावा 8 लाख 56 हजार लोग तो सिर्फ कागजों में मकान बनने के सपने के भरोसे बने हुए हैं। अगर योजना की फाइनेंस रिपोर्ट को सच माने तो मध्य प्रदेश को केंद्र से 47155 करोड़ रुपए का भुगतान ही नहीं किया गया है। यह बात अलग है कि इनमें 13771 करोड़ रुपए स्वीकृत हो चुके हैं।
इस मामले में सबसे खराब स्थिति ग्रामीण अंचलों में दिख रही है। हितग्राही को मकान के निर्माण के लिए समय पर राशि ही नहीं मिल पा रही है। बीते 7 सालों में महज 9463 करोड़ रुपए से 4.50 लाख लोगों को ही अपनी छत मिल सकी है। जानकारों का कहना है कि  प्रदेश सरकार द्वारा समय पर जानकारी नहीं भेजने की वजह से यह हालात बने हैं। इसकी वजह से ही केन्द्र से राशि मिलने में देरी हो रही है। इधर, राज्य सरकार का दावा है कि प्रदेश में हर साल एक लाख से अधिक लोगों के घरों का निर्माण पूरा हो रहा है, लेकिन केंद्र की रिपोर्ट प्रदेश सरकार ने दावे को पूरी तरह से गलत बता रही है।
भूमिपूजन न होने की वजह से शुरू नहीं हो पा रहा 50 हजार का काम
दरअसल अफसरों ने एक साथ 50 हजार आवासों के भूमिपूजन की वजह से स्वीकृत हो चुके उनको समय पर राशि का भुगतान नहीं किया , जिसकी वजह से इन आवासों के निर्माण में देरी हुई। उपचुनाव में राजनैतिक फायदे के लिए कई माह के इंतजार के बाद अब जाकर खंडवा में आयोजित कार्यक्रम में इनका सामूहिक रुप से भूमि पूजन किया।  सूत्रों ने बताया कि सीएम की मंशा थी कि खंडवा उपचुनाव में इससे फायदा होगा। यही वजह है कि अफसरों ने भी योजना के तहत हितग्राहियों को राशि मुहैया कराने में देरी की।
8 लाख लोगों को मिलेंगे आवास, दावा
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेन्द्र सिंह का कहना है कि हर परिवार को खुद का आवास देने के लिए वर्ष 2015 में प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) शुरू की गई थी। इस योजना के तहत मप्र में 8 लाख 37 हजार आवास स्वीकृत हुए हैं, जिनमें से 3 लाख 33 हजार आवास पूरे हो चुके हैं। शेष का निर्माण भी तेजी से हो रहा है। उनका कहना है कि  प्रदेश में योजना के प्रभावी क्रियान्वयन के लिये कई नवाचार किये गये हैं। इनमें भूमिहीन परिवारों को आवासीय भूमि का पट्टा देना भी शामिल है।
पांच राज्यों से पीछे है मप्र
पीएम आवास योजना में मध्य प्रदेश पांच राज्यों से पीछे चल रहा है। मप्र की तुलना में गुजरात और उत्तरप्रदेश जैसे पड़ोसी राज्यों में अधिक लाभ हितग्राहियों को मिला है, इनके अलवा मप्र से आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु भी आगे बने हुए हैं। अकेले गुजरात में ही 5 करोड़ से अधिक लोगों को अपने घर मिल चुके हैं। इधर, उप्र योजना में आगे रहने के बाद भी हितग्राहियों की संख्या वृद्धि करने की मांग कर रहा है, जबकि मप्र हितग्राहियों की राशि आवंटित करने के लिए पत्र लिखकर खानापूर्ति कर रहा है।

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