कार्बन क्रेडिट से भरा जाएगा सरकारी खजाना

 सरकारी खजाना
  • सरकार द्वारा कराया जा रहा है आंकलन

भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। अब प्रदेश सरकार अपना खजाना भरने के लिए हरियाली का सहारा लेने जा रही है। इस वजह से प्रदेश को दोहरा लाभ होना तय है। पहला तो कार्बन संचय से पैसा तो मिलेगा ही साथ ही प्रदेश में हरियाली भी बढ़ जाएगी। इसकी वजह से लगातार बदल रहे मौसम का चक्र में भी बदलाव से राहत मिल सकेगी। यही वजह है कि अब सरकार द्वारा कार्बन संचय का अध्ययन कराया जा रहा है। इसकी शुरुआत सैंपल सर्वे के रुप में सीहोर, नर्मदापुरम और बैतूल जिले का चयन किया गया है। यह अध्ययन इंडियन काउंसिल फॉरेस्ट स्टडी रिसर्च एंड एजुकेशन (आईसीएफआरई) से कराया जा रहा है। गौरतलब है कि संस्था द्वारा चार साल पहले 2019 में किए अध्ययन में पता चला था कि प्रदेश के वन क्षेत्रों में 60.31 टन प्रति हेक्टेयर कार्बन संचय है। अब नए सिरे से कराए जा रहे अध्ययन से यह खुलासा होगा कि प्रदेश में पिछले पांच वर्ष की तुलना में कार्बन संचय की क्षमता कम हुई है या फिर बढ़ी है। कार्बन संचय क्षमता के लिए वन क्षेत्रों के अलावा कृषि और शहरी क्षेत्रों में पौधरोपण को बढ़ाया जाएगा। इसके लिए नगर निगमों में ग्रीन कवर बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है। इससे प्रदेश में प्रदूषण को कम करने के साथ- साथ वातावरण में कार्बन की मात्रा को कम किया जा सकेगा। अध्ययन के अनुसार प्रदेश के जंगलों में 6,09,250 टन कार्बन संचय है।
पेंच-कान्हा से कार्बन क्रेडिट लेने पर फोकस
पेंच और कान्हा नेशनल पार्क में एनटीसीए टेरी के जरिए कार्बन संचय के ताजा स्थिति का अध्ययन करा रहा है। इसके बाद इन दोनों वन विभाग कार्बन क्रेडिट पर काम कर रहा है पार्कों में पौधरोपण कर इनमें कार्बन संचय की क्षमता बढ़ाकर इससे कार्बन क्रेडिट लेंगे। इसके लिए बांस को प्राथमिकता पर रखा जा रहा है। इसके तहत बांस की खेती पर जोर दे रहा है। वैज्ञानिकों का मानना है कि अन्य पौधों की तुलना में बांस में कार्बन संचय की क्षमता अधिक होती है। यह जल्दी तैयार हो जाता है। इसे उस जमीन में भी उगाया जा सकता है, जहां अन्य पौधे नहीं पनप पाते हैं। इसके अलावा यह लकड़ी के विकल्प के रूप में भी काम आता है। वर्तमान में प्रदेश के वन क्षेत्रों में 5 लाख हेक्टेयर में बांस हैं। जबकि 20 हजार हेक्टेयर में किसानों ने बांस की खेती की है। मनरेगा के तहत की गई बांस की खेती और किसानों के द्वारा की गई बांस की खेती के जरिए कार्बन क्रेडिट सरकार लेगी।

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