नकली शराब पर रोक में प्रशासन की रुचि नहीं, नमूने तक नहीं लेते

नकली शराब
  • नमूनों की जांच रिपोर्ट कई माह के इंतजार के बाद भी नहीं आती है…

    भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में बीते दो सालों में एक के बाद एक नकली और मिलावटी शराब की वजह से मरने वालों की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं ,लेकिन इसके बाद भी सरकार की सख्ती का असर प्रशासन पर नहीं पड़ रहा है। यही वजह है कि प्रदेश में नकली शराब का कारोबार धड़ल्ले से जारी है और उससे पीने वाले लोगों की मौतें भी हो रही हैं। हालत यह है कि प्रदेश में ठेकों पर बिकने वाली शराब तक के नमूने लेने में तक में प्रशासन कोई रुचि नहीं ले रहा है। अगर जैसे तैसे नमूने ले भी लिए तो फिर उनकी जांच रिपोर्ट को ही भुला दिया जाता है। दरअसल जिन विभागों पर नकली शराब पर रोक लगाने का जिम्मा हैं, उन विभागों के अफसरों को पता सबकुछ होता है, लेकिन फिर भी उनके द्वारा कोई कदम नहीं उठाया जाता है।
    सरकार भी इन जिम्मेदारों पर उनकी लापरवाही में कोई कठोर कार्रवाई नहीं करता है। अगर राजधानी भोपाल की ही बात की जाए तो मिलावटी शराब का खुलासा होने के बाद आबकारी अमले द्वारा 40 दुकानों से विभिन्न ब्रांड के नमूने लिये गये थे। इन नमूनों को जांच के लिए इंदौर स्थित लैब में भेजा गया था, लेकिन चार माह बाद भी उसकी रिपोर्ट नहीं आई है। इसी तरह कर कुछ हाल खाद्य एवं औषधि प्रशासन का भी है। दरअसल यह नमूने 8 दिसंबर को लिए गए थे, लेकिन इनकी रिपोर्ट अब तक नहीं आ सकी है। यह हालात तब हैं, जब प्रदेश में लगातार जहरीली शराब से लोगों के मरने के मामले सामने आ रहे हैं। यह रिपोर्ट अब तक क्यों नहीं जारी की गई है, इसको लेकर अफसर तक कोई उत्तर नहीं दे रहे हैं। इससे ही समझा जा सकता है कि जिम्मेदार इस गंभीर मिलावट के मामलों को कितनी गंभीरता से लेते हैं।
    जुलाई में हुई पांच मौतों के बाद भोपाल में अगले साल अगस्त में आबकारी विभाग की टीम ने शहर की 40 शराब दुकानों से 35 सैंपल लिए गए थे। इसमें एमडी, रॉयल स्टेग, रॉयल चैलेंज, ब्लेंडर्स ब्रांड के सैम्पल जांच के लिए भेजे गए थे। ये सैंपल सबसे पहले भोपाल में भदभदा रोड स्थित एफएसएल लैब में भेजे गए , लेकिन यहां नमूनों की अधिकता की बात कहते हुए जांच से मना कर दिया गया था। बाद में इन सैंपलों को जांच के लिए इंदौर की एफएसएल लैब में भेजा गया है। लेकिन आलम ये है कि अब तक इन सैंपलों की जांच रिपोर्ट नहीं आ पाई है।
    तय है 14 दिन की समय सीमा
    खाद्य एवं औषधि में लीगल सैंपलों की जांच रिपोर्ट 14 दिनों में प्रयोगशाला को जारी करना जरूरी है। सरकार के इस तय अवधि का पालन सरकारी से लेकर निजी लैब तक को करना अनिवार्य है। नियमानुसार अगर इसमें अधिक समय लगता है तो उसकी लिखित जानकारी वरिष्ठ अफसरों को देनी होती है। बावजूद इसके शराब के नमूनों में इसका पालन नहीं किया जा रहा है। अभी तक न तो रिपोर्ट जारी की गई और न ही वरिष्ठ अफसरों को इसकी जानकारी दी गई।
    खाद्य एवं औषधि का अमला नहीं लेता सैंपल
    खाद्य एवं औषधि प्रशासन को भी शराब की जांच के अधिकार हैं। बावजूद इसके विभाग इस मामले में कार्रवाई करने से बचता रहता है। बीते साल 12 नवंबर को  तत्कालीन आयुक्त खाद्य सुरक्षा ने शराब के लीगल सैंपल लेने के निर्देश दिए थे , जिसके बाद पहले तो राजधानी में नमूने ही नहीं लिये गये, लेकिन जब अधिक दबाव पड़ा तो 8 दिसंबर को भोपाल में शराब के चार नमूने लिये गये। इन नमूनों को जांच के लिए राज्यस्तरीय प्रयोगशाला में भेजकर सैंपल लेना बंद कर दिया गया। उल्लेखनीय है कि अकेले भोपाल में ही 92 अंग्रेजी और देशी शराब की दुकानें हैं। खास बात यह है कि विभाग ने सिर्फ पांच दुकानों से ही सैंपल लिए गए। 

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