
- सफेद हाथी साबित हुई सूरजधारा और अन्नपूर्णा योजना
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के किसानों के लिए शुरू की गई सूरजधारा और अन्नपूर्णा योजना सफेद हाथी साबित हुई है। इस योजना के तहत 700 करोड़ रूपए खर्च किए गए हैं, लेकिन इसका लाभ वास्तविक किसानों को नहीं मिला है। इस कारण सरकार ने फिलहाल इस योजना को बंद कर दिया है। गौरतलब है कि प्रदेश के आदिवासी और अनुसूचित जाति वर्ग के लघु एवं सीमांत कृषकों को ज्यादा उत्पादन वाले दलहन और तिलहन बीज मुहैया कराने तथा बीज की खरीदी पर सब्सिडी देने 10 साल पहले शुरू की गई अन्नपूर्णा और सूरजधारा योजना वास्तविक किसानों की स्थिति बदल नहीं पाई है। आज भी अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति वर्ग के किसान बदहाल हैं। जबकि सरकार योजना के तहत करीब 700 करोड़ रुपए की राशि खर्च कर चुकी है।
वर्ष 2020-21 से दोनों योजनाएं बंद
मप्र सरकार ने प्रदेश के आदिवासी और अनुसूचित जाति वर्ग के लघु एवं सीमांत किसानों को एक हेक्टेयर तक भूमि के लिए भूमि पर बोवनी के लिए लाभकारी और उन्नत उत्पादन के लिए बीज की अदला- बदली करने तथा सब्सिडी पर बीज मुहैया कराने अन्नपूर्णा एवं सूरजधारा योजनाएं शुरू की थीं। इससे एसटी, एससी वर्ग के किसानों की आय दोगुना करना था। यह योजना मप्र में वर्ष 2000-01 से प्रारंभ की गई थी। सूरजधारा योजना में सरकार ने इन दस सालों के दौरान 355 करोड़ से ज्यादा की राशि खर्च की, वहीं अन्नपूर्णा योजना में 360 करोड़ से ज्यादा खर्च किए गए, लेकिन वर्ष 2020-21 से इन दोनों ही योजनाओं को बंद कर दिया है। इसके साथ ही कृषि में महिलाओं की भागीदारी योजना को भी बंद कर दिया है।
बड़े किसानों को ही फायदा
एसटी, एससी वर्ग के करीब 21 लाख कृषक हैं। इनमें फसलों का उत्पादन बढ़ाने और अदला-बदली करने वाले 4 से 5 लाख किसान हैं। बीज की खरीदी में भी 3 से 4 लाख किसानों को ही लाभ मिल पा रहा है। खासकर बड़े किसान इस योजना का लाभ उठा रहे थे। सूरजधारा योजना मध्य प्रदेश सरकार द्वारा शुरू की गई एक ऐसी योजना है, जिसमें अनुसुचित जाति एवं अनुसुचित जन जाति के लघु एवं सीमांत कृषकों को अलाभकारी फसलों के स्थान पर लाभकारी दलहन-तिलहन फसलों के उन्नत उत्पादन देने वाले बीज उपलब्ध कराए जाते हैं। एसटी, एससी वर्ग के किसानों द्वारा दिए गए अलाभकारी बीज के बदले में लाभकारी दलहन, तिलहन फसलों के उन्नत बीज,1 हेक्टेयर की सीमा तक प्रदाय किए जाते हैं। अन्य फसलों के बीज मांगने पर प्रमाणित बीज की वास्तविक कीमत का 25 प्रतिशत मूल्य का बीज अथवा नकद राशि किसान को देनी होती है। बीज उत्पादन कार्यक्रम में शासकीय कृषि प्रक्षेत्र के10 किमी की परिधि में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लघु एवं सीमांत कृषकों के खेतों पर कम से कम आधा एकड़ क्षेत्र में बीज उत्पादन कार्यक्रम लिया जाता है।
दो साल से बंद पड़ी योजना
सूरजधारा और अन्नपूर्णा योजना पिछले दो साल से बंद हैं। दोनों योजनाओं के तहत किसानों को 2019-20 तक राशि मिली है। उसके बाद से योजनाओं का लाभ किसी को नहीं दिया गया है। कृषि मंत्री कमल पटेल का कहना है कि राज्य सरकार अन्नपूर्णा एवं सूरजधारा योजना की समीक्षा करेगी। क्योंकि ये योजनाएं एसटी, एससी को लाभ पहुंचाने के लिए शुरू की गई थी। अभी किन्हीं कारणों से इन्हें बंद किया गया है। इनका अध्ययन करने के बाद पुन: शुरू करने पर विचार किया जाएगा।