
- हरीश फतेहचंदानी
चढ़ावे के बाद भी मन्नत अधूरी
विगत वर्ष सरकार ने जब तबादलों पर से रोक हटाई थी तो हर विभाग में अधिकारियों-कर्मचारियों ने कमाई या सुविधा वाली जगहों पर तबादला कराने के लिए लाइन लगा दी। इनमें से कुछ मालदार विभागों के अधिकारियों ने तो मंत्रियों के यहां मुंह मांगी रकम जमा कर मुंहमांगी पोस्टिंग की मांग कर डाली। लेकिन कईयों की मंशा पूरी नहीं हो पाई। ऐसे ही एक निर्माण कार्य करने वाले विभाग के एई इस घनचक्कर में फंस गए हैं। तबादला नहीं होने के बाद इन सभी अधिकारियों ने लामबंद होकर मंत्रीजी के यहां धावा बोला। सबने मंत्रीजी से गुहार लगाई कि हम चढ़ावा चढ़ा चुके हैं, उसके बाद भी हमारा काम नहीं हुआ है। मंत्रीजी सबकी गुहार और पुकार सुनते रहे और मंद-मंद मुस्कुराते रहे। एक इंजीनियर ने तो यहां तक कह दिया कि हमारा काम नहीं हो पाया, इसलिए हमारी रकम लौटा दी जाए। इस पर मंत्रीजी ने दो टूक जवाब दे दिया कि आपने विभाग से जो कमाया है, वह फिर विभाग में आ गया है।
…और नाला हो गया साफ
नर्मदा नदी किनारे स्थिति एक जिले में एक नाला लोगों की परेशानी का सबब बना हुआ था। लगातार शिकायतें मिलने और निर्देश के बाद भी उक्त नाला साफ नहीं हो पा रहा था। बताया जाता है कि एक जिले के कलेक्टर वहां से गुजर रहे थे तो उनकी नजर उस नाले पर पड़ी। फिर क्या था, उन्होंने तत्काल सफाई करने का सामान मंगाया और खुद फावड़ा लेकर नाले की सफाई में जुट गए। कलेक्टर को फावड़ा लेकर नाले की सफाई करता देख अन्य अधिकारियों के साथ ही आमजन भी जुड़ गए। फिर क्या था जो नाला महीनों से बजबजा रहा था वह घंटों में ही साफ हो गया। इस अवसर पर साहब ने लोगों से कहा कि आप किसी के भरोसे न बैठे रहें। अगर आप आगे बढ़ेंगे तो भीड़ आपके साथ जुट जाएगी और हर समस्याओं का समाधान हो जाता है। बताया जाता है कि साहब की इस पहले के बाद नगरपालिका के साथ मिलकर लोगों ने अपने शहर का स्वच्छ बनाने का अभियान चला रखा है।
मंत्री की नहीं मानी
कहा जाता है कि प्रमोटी आईएएस सरकार की हर बात मानने का मजबूर होते हैं। लेकिन कुछ अफसर ऐसे भी हैं जो केवल अपने मन की करते हैं। ऐसे की अफसरों में एक हैं 2010 बैच के आईएएस अधिकारी। साहब वर्तमान में ग्वालियर-चंबल अंचल के एक जिले में कलेक्टर हैं। साहब की इनदिनों जिले के प्रभारी अफसर से पट नहीं रही है। इस बात का संकेत हाल ही के एक घटनाक्रम से स्पष्ट हो गया है। दरअसल, गतदिनों प्रभारी मंत्री जिला मुख्यालय पहुंचे थे। इस दौरान कुछ भाजपाइयों ने एक महिला तहसीलदार पर मुरम से भरी ट्रैक्टर ट्राली छोड़ने के एवज में 30 हजार रुपए रिश्वत लेने की शिकायत की थी। शिकायत के बाद प्रभारी मंत्री ने महिला तहसीलदार को निलंबित करने की बात कही, परन्तु जिला कलेक्टर ने एक पत्र जारी करते हुए उक्त तहसीलदार को कलेक्टर कार्यालय में अटैच कर दिया। बताते हैं कि इस घटनाक्रम के मंत्री जी कलेक्टर से नाराज हैं और इसकी शिकायत ऊपर तक करने का मन बना चुके हैं।
घर का सपना साकार
प्रदेश की प्रशासनिक वीथिका में इनदिनों राजधानी के पड़ोसी जिले सीहोर के कलेक्टर प्रवीण सिंह इन दिनों चर्चा का विषय बने हुए हैं। दरअसल, 2012 बैच के ये आईएएस अधिकारी जब से जिले के कलेक्टर बने हैं उनके नवाचारों से जिले की जनता काफी खुश है। बताया जाता है कि साहब सरकार की योजनाओं का प्रचार-प्रसार तो कर ही रहे हैं साथ ही हर दिन कुछ न कुछ ऐसा कार्य करतेे हैं जिससे सरकार का इकबाल बुलंद हो रहा है। गत दिनों साहब ने जिले की एक पंचायत में चौपाल लगाई तो वहां अपनी-अपनी समस्याएं लेकर लोग बड़ी उम्मीद से पहुंचे। साहब ने ग्रामवासियों की समस्याएं सुनी। इस चौपाल में आई दिव्यांग दंपत्ति के चेहरे पर उस समय खुशी देखते ही बनती थी, जब कलेक्टर ने चौपाल में उनका स्वयं का पक्का मकान बनाने में सहयोग करने की बात कही। दरअसल इस दंपत्ति ने बताया कि उनके पास घर नहीं है। यह सुनते की कलेक्टर की पहल पर वहांं उपस्थित जन प्रतिनिधियों और अफसरों उक्त दंपत्ति के घर के लिए राशि देने की घोषणा की।
कोर्डवर्ड से लक्ष्मी की कृपा
प्रदेश की प्रशासनिक वीथिका में इन दिनों एक पुलिस अधिकारी अपने कोर्ड वर्ड के कारण चर्चा में हैं। ये साहब प्रदेश की राजधानी और व्यावसायिक राजधानी के बीच में पडऩे वाले एक जिले में पदस्थ हैं। सूत्रों का कहना है साहब कोडवर्ड से लेनदेन करते हैं। जब भी कोई उनके पास अपने काम या फंसे मामले के लिए आता है तो साहब उनसे पूछ लेते हैं कि कितने कप चाय पीना है। यानी कितना देकर इस मामले को सुलटाना है। बताया जाता है कि ये साहब राजनीति से संरक्षित हैं। यानी इनका कोई बाल बांका भी नहीं कर सकता। इसका प्रमाण यह है कि साहब की अभद्रता से परेशान कुछ महिलाओं ने उनकी शिकायत पुलिस महकमे के मुखिया से की। बड़े साहब ने जिले के जिम्मेदार इस अधिकारी की रिपोर्ट बनाकर ऊपर पहुंचा दी। सूत्रों का कहना है कि राजनीतिक कृपा से साहब के खिलाफ जो रिपोर्ट गई है, उसे यह कहकर दबा दिया गया है कि कोई ऑडियो-वीडियो नहीं है।