
तू डाल-डाल, मैं पात-पात
यह कहावत तो आपने सुनी ही होगी। इस कहावत को वर्तमान समय में मप्र पुलिस के एक पूर्व अधिकारी साकार कर रहे हैं। दरअसल, प्रदेश में कई पुलिस अधिकारी ऐसे हैं, जिनके पास दर्जनों सरकारी नौकर सेवाएं दे रहे थे। इनमें सेवानिवृत्त अधिकारी भी शामिल थे। यह तथ्य सामने आने के बाद सरकार ने आईपीएस अधिकारियों को चेताया कि पुलिस वालों को अपने घरों में घरेलू कामों के लिए बहुत ज्यादा तैनात करने से बाज आएं। सरकार की इस सख्ती के बाद आईपीएस अफसरों ने अपने यहां तैनात कारिंदों की छंटनी शुरू कर दी। जिन रिटायर्ड अफसरों के पास कारिंदे थे, उन्होंने उन्हें वापस भेज दिया। लेकिन 1985 बैच के एक प्रमोटी आईपीएस अधिकारी ने दिखावे के लिए अपने यहां तैनात सरकारी कारिंदों को वापस तो कर दिया, लेकिन उनके आईपीएस दामाद ने सरकार के इस आदेश का तोड़ निकालते हुए तू डाल-डाल, मैं पात-पात की तर्ज पर अपने यहां तैनात कारिंदों को अपने ससुर के यहां अटैच कर दिया।
विवादों में छोटे साहब
राजधानी भोपाल के एक थानें में पदस्थ एक छोटे साहब जाने-अनजाने विवादों में फंस गए हैं। जिन विवादों में साहब फंसे हैं, उसमें शायद ही उनका हाथ हो, लेकिन उसके बाद भी वे कुछ लोगों की आंख की किरकिरी बने हुए हैं। दरअसल, छोटे साहब जिस थाना क्षेत्र के टीआई हैं, वहां हर बात पर बवाल मचता रहता है। इसे संयोग ही कहा जाएगा कि साहब ने जबसे इस थाने की कमान संभाली है, तबसे यहां गाय चोरी के मामले बढ़ गए हैं। आलम यह है कि दो माह में 26 गायें चोरी के आवेदन थाने में आ चुके हैं। गाय चोरी की बढ़ती वारदातों से साहब भी परेशान हैं, लेकिन करें भी तो क्या? पूरे थाने की सतर्कता के बाद भी गाय चोरी हो रही है और लोगों के निशाने पर साहब हैं। बताया जाता है कि इसको लेकर वरिष्ठ अधिकारियों ने साहब को हटाने की तैयारी कर ली थी, लेकिन एक मंत्री के फोन के बाद मामला रफा-दफा कर दिया गया। वैसे बता दें साहब विवादित टीआई की सूची में शुमार हैं।
साहब की संवेदनशीलता
बुंदेलखंड क्षेत्र के एक जिले में स्मार्ट सिटी के सीईओ रहे एक साहब जबसे महाकौशल क्षेत्र के एक बड़े नगर निगम के आयुक्त बने हैं, तबसे वे लगातार चर्चा में हैं। ताजा मामला साहब की संवेदनशीलता का है। दरअसल, शहर के नगर निगम कार्यालय परिसर में एक दिव्यांग व्यक्ति साहब से मिलने पहुंचा। इसकी खबर मिलते ही साहब तुरंत अपने कार्यालय से नीचे बुजुर्ग दिव्यांग व्यक्ति से मिलने पहुंचे। साहब को देखते ही उन्होंने बताया कि वह लकड़ी के पटेनुमा गत्ते की सहायता से आवागमन करते है इसके साथ ही ट्राईसाइकिल की मांग की। साहब ने मात्र 15 मिनट के भीतर ही बुजुर्ग दिव्यांग को ट्राई साइकिल उपलब्ध कराई। बुजुर्ग दिव्यांग ने बताया कि वह कई दिनों से ट्राई साइकिल के लिए लगातार कोशिश कर रहा था, परंतु साहब ने तत्काल ही ट्राई साइकिल उपलब्ध करवा दी। बुजुर्ग दिव्यांग को मिली इस ट्राइसाइकिल उसका संघर्ष भरा जीवन थोड़ा सरल कर दिया।
कलेक्टर नहीं तो जनसुनवाई नहीं
निमाड़ क्षेत्र के एक बड़े जिले के कलेक्टर साहब जिले में लोक हितैषी कार्यों के लिए लोकप्रिय हैं। यही कारण है कि जिले के लोग बड़ी उम्मीद के साथ कलेक्टर साहब के पास अपनी गुहार लेकर पहुंचते हैं। 2012 बैच के इन प्रमोटी आईएएस ने जिले में व्यवस्था कर दी है कि हर मंगलवार को जनसुनवाई में सभी अधिकारी मौजूद रहेंगे, ताकि लोगों की समस्याओं का समाधान हो सके। गत जनसुनवाई में साहब किसी कारण शामिल नहीं हो पाए। फिर क्या था जनसुनवाई महज खानापूर्ति बनकर रह गई। आलम यह रहा कि अधिकारी आवेदकों को एक टेबल से दूसरी टेबल भेज कर महज खानापूर्ति करते नजर आए। जनसुनवाई में पहुंचे आवेदक केवल कलेक्ट्रेट का चक्कर लगाकर बैरंग वापस लौटने को मजबूर हो गए। जनसुनवाई में पहुंचे दो विकलांगों को अपनी विकलांगता फिर से साबित करने के लिए कड़ी धूप में जिला अस्पताल तक जाना पड़ा।
शिकायतों पर सख्ती
2012 बैच के एक आईएएस अधिकारी इन दिनों बुंदेलखंड क्षेत्र के एक जिले में कलेक्टरी कर रहे हैं। साहब ने जबसे जिले की कमान संभाली है, जनता के काम तेजी से निपटाए जा रहे हैं। इसके बावजूद विगत दिनों साहब को शिकायत मिली कि प्राकृतिक आपदा से संबंधित शिकायतों को लटकाया जा रहा है। फिर क्या था, साहब ने तत्काल अफसरों को तलब किया और निर्देश दिया कि प्राकृतिक आपदा से संबंधित एक भी केस सीएम हेल्पलाइन पर लंबित न रहे। इसके साथ ही 50 दिन से अधिक की एक भी शिकायत किसी भी विभाग में पेंडिंग न रहे। उन्होंने अपर कलेक्टर से कहा कि वे तहसील स्तर पर लंबित शिकायतों का निराकरण कराएं। प्राकृतिक आपदा से संबंधित जिन प्रकरणों में राहत राशि स्वीकृत नहीं की जा सकती है। उन मामलों की जानकारी एल वन स्तर पर ही दर्ज करानी होगी। जिन केस में आर्थिक सहायता दी जाना है उनका निराकरण जल्द करना होगा।