
- हिंदू एकता महाकुंभ के बहाने भाजपा के मुद्दों पर लगेगी मुहर …
भोपाल/हरीश फतेह चंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। धर्मनगरी चित्रकूट में 15 दिसंबर को हिंदू एकता महाकुंभ का आयोजन किया गया है। वैसे तो यह आयोजन पूरी तरह धार्मिक है, लेकिन इसकी पृष्ठभूमि में उत्तर प्रदेश चुनाव माना जा रहा है। जानकारों का कहना है कि हिंदू एकता महाकुंभ के बहाने इस आयोजन में भाजपा के कई मुद्दों पर संघ और संत समाज की मुहर लगेगी। वहीं यूपी चुनाव की रणनीति भी बनेगी। तुलसी पीठाधीश्वर जगतगुरु रामभद्राचार्य द्वारा आयोजित इस महाकुंभ में 15 दिसंबर को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत के अलावा देश भर के साधु-संतों को बुलाया गया है। उत्तरप्रदेश चुनाव को देखते हुए इस आयोजन का सियासी महत्व भी बढ़ गया है। हालांकि आयोजन से जुड़े लोगों का कहना है कि हमारा फोकस राजनीति के बजाए हिंदू एकता पर है। पर हिंदू एकता महाकुंभ के बहाने काशी-मथुरा, नागरिकता संशोधन, आबादी नियंत्रण कानून और हिंदू एजेंडा से जुड़े एक दर्जन मुद्दों पर मंथन होगा। ये मुद्दे यूपी चुनाव में भाजपा के मुख्य हथियार बनेंगे।
साधु-संतों के साथ ही राजनेताओं का भी जमावड़ा
हिंदू एकता महाकुंभ में साधु-संतों के साथ ही राजनेताओं का भी जमावड़ा रहेगा। महाकुंभ के मुख्य अतिथि संघ प्रमुख भागवत रहेंगे। मुख्यमंत्री शिवराज चौहान ने आयोजन में शामिल होने के लिए अपनी सहमति दे दी है। यूपी के मुख्यमंत्री योगी को संत के रूप में आमंत्रित किया गया है। जगतगुरु रामभद्राचार्य ने भोपाल प्रवास के दौरान मुख्यमंत्री और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा सहित भाजपा और संघ के अनेक पदाधिकारियों से मुलाकात कर उन्हें न्योता दिया। मप्र के पूर्व मंत्री संजय पाठक को रामभद्राचार्य ने आयोजन की तैयारी की जवाबदारी सौंपी हैं। अतिथियों को आमंत्रित करने पाठक को प्रधानसेवक की जिम्मेदारी सौंपी गई है। महाकुंभ का प्रमुख मुद्दा हिंदू एकता है। इस दौरान संतों की तरफ से यह प्रस्ताव भी लाया जाएगा कि हिंदू धर्म से जुड़ी सभी जातियों को एक मंच पर लाया जाए, जिससे आयोजन का उद्देश्य पूरा हो सके। जगतगुरु रामभद्राचार्य का कहना है कि स्वतंत्रता के बाद से हिंदू विभाजित हो रहा है। जब तक 80 फीसदी हिंदू एक नहीं होंगे, तब तक देश में समस्याओं का अंत नहीं होगा। हिंदुओं के मठ-मंदिर तोड़े जा रहे हैं, उनकी बहू-बेटियों का धर्मांतरण कराया जा रहा है।
संतों की उपस्थिति में राजनीतिक मजबूती पर मंथन
घोषित तौर पर कहा जा रहा है कि महाकुंभ को राजनीति से दूर रखा गया है लेकिन यूपी विधानसभा चुनाव के ठीक पहले इस महाआयोजन से उत्तर प्रदेश और मप्र की राजनीति को गरमाने की तैयारी है। दोनों राज्यों के सत्ता-संगठन से जुड़े प्रमुख पदाधिकारी आयोजन में शिरकत करेंगे। ऐसे में सभावना जताई जा रही है कि हिंदू एकता के नाम पर भाजपा की राजनीतिक मजबूती पर भी चर्चा हो सकती है। महाकुंभ की पिछले कई दिनों से तैयारियां चल रही हैं। आयोजकों का दावा है कि जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद, स्वामी रामदेव, स्वामी चिदानंद मुनि महाराज, आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद और आचार्य बालकृष्ण सहित देश भर से एक लाख संत शामिल होंगे। पूर्व मंत्री और विजय राघोगढ़ के भाजपा विधायक संजय पाठक कहा कि भारत को विश्वगुरू बनाने के लिए हिंदू एकता जरूरी है। यूपी चुनाव के मुद्दे पर वह कहते हैं कि हर बात को चुनाव से नहीं जोड़ें, महाकुंभ में संतों के बीच विभिन्न विषयों पर शास्त्रार्थ होगा। चित्रकूट एक लाख लोगों के ठहरने का इंतजाम किया गया है।