स्थापना दिवस पर लागू हो सकती है पुलिस कमिश्नर प्रणाली, रास्ता साफ

शिवराज सिंह चौहान
  • मुख्यमंत्री ने दी स्वीकृति , नोटिफिकेशन की तैयारी

    भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम।
    प्रदेश के दो महानगरों में पुलिस आयुक्त प्रणाली के लिए तैयार किए गए प्रारूप को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने स्वीकृति प्रदान कर दी है। इसके साथ ही प्रदेश में इसके लागू होने का रास्ता साफ हो गया है। बताया जा रहा है कि इसे पुलिस के स्थापना दिवस यानी की 17 दिसंबर से लागू किया जा सकता है। प्रारुप को बीते रोज मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सामने पेश किया गया था। इस दौरान मुख्यमंत्री की सीएस इकबाल सिंह बैंस, एसीएस गृह डॉ. राजेश राजौरा, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री मनीष रस्तोगी और प्रमुख सचिव वित्त मनोज गोविल से चर्चा भी हुई है। इसी चर्चा के बाद मुख्यमंत्री ने अपनी स्वीकृति प्रदान की है। बताया जा रहा है कि इस बैठक में गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा व डीजीपी विवेक जौहरी के शामिल नहीं होने की वजह से इस मामले में एक बार फिर से चर्चा की जा सकती है। इसके बाद ही नोटिफिकेशन जारी करने की अनुमति दी जाएगी। हालांकि इस प्रणाली को कब से लागू किया जाएगा, यह तय नहीं हैं, लेकिन इसके लिए तीन तारीखों का अनुमान लगाया जा रहा है। कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री 13 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बुलावे पर बनारस जा रहे हैं, उसके पहले पुलिस आयुक्त प्रणाली का नोटिफिकेशन जारी हो सकता है, जिससे की बनारस में मौजूद कई राज्यों के मुख्यमंत्री की उपस्थिति में शिवराज सिंह चौहान प्रधानमंत्री को प्रदेश में शुरू की जा रही नई  व्यवस्था के बारे में बता सकेंगे। यदि किसी कारण बस नोटिफिकेशन नहीं हो पाता है तो इसे पुलिस स्थापना दिवस 17 दिसम्बर या पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी के जन्म दिन 25 दिसम्बर को लागू किया जा सकता है। दरअसल स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिन को मध्यप्रदेश सरकार सुशासन दिवस के रूप में मनाती है।
    मप्र में पुलिस आयुक्त प्रणाली
    उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश में पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू करने का ऐलान 21 नवम्बर को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किया था। सीएम ने कहा कि भौगोलिक दृष्टि से महानगरों का विस्तार होने और शहरी जनसंख्या बढ़ने के कारण नई समस्याएं पैदा हो रही है। उनके समाधान और अपराधियों  पर नियंत्रण के लिए हमने भोपाल और इंदौर में पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू करने का फैसला किया है। कमिश्नर प्रणाली लागू  होने के बाद कानून व्यवस्था की पूरी जिम्मेदारी पुलिस के हाथ में आ जाएगी। अभी मध्यप्रदेश में कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी कलेक्टर और एसपी की संयुक्त होती है। अभी दंडात्मक कार्रवाई का अधिकार प्रशासनिक अफसरों के पास है।
    पुलिस को मिलेंगे यह अधिकार
    पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू होने के साथ ही पुलिस को कई नए तमाम तरह के अधिकार मिल जाएंगे। इनमें प्रतिबंधात्मक कार्रवाई के मामलों में मजिस्ट्रेट के अधिकार डीसीपी और एसीपी के पास आ जाएंगे। धरना-प्रदर्शन की अनुमति भी पुलिस के द्वारा ही प्रदान की जाएगी। कानून व्यवस्था की स्थिति निर्मित होने पर बल प्रयोग और गोली चालन के अधिकार भी पुलिस को मिल जाएंगे।
    नए सिस्टम में यह होंगे पद
    नए सिस्टम के लागू होने के साथ ही पुलिस अफसरों के पद नाम भी बदल जाएंगे। इस प्रणाली में एडीजी या आईजी स्तर के अफसर को कमिश्नर का दायित्व दिया जाएगा। उनके नीचे दो डीआईजी काम करेंगे, जिनका पद नाम ज्वाइंट कमिश्नर होगा। इसी तरह से अन्य अफसरों में आठ एसपी स्तर के अफसर होंगे, जिन्हें डिप्टी कमिश्नर, एक दर्जन एएसपी जिन्हें एडिशनल कमिश्नर और 29 डीएसपी स्तर के अफसर होंगे, जिन्हें असिस्टेंट पुलिस कमिश्नर का नाम दिया जाएगा।
    पांच-पांच नोटिफिकेशन होंगे जारी
    गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की घोषणा के अनुसार इंदौर व भोपाल में पुलिस आयुक्त प्रणाली जल्द लागू की जाएगी। उन्होंने कहा कि पुलिस आयुक्त प्रणाली को लेकर किसी स्तर पर कोई विवाद नहीं है। समस्त वैधानिक कार्यवाही सम्पन्न कर पांच-पांच नोटीफिकेशन जारी कर व्यवस्था लागू कर दी जाएगी।
    चार दशक का इंतजार होगा समाप्त  
    मध्य प्रदेश में पुलिस आयुक्त प्रणाली को लागू होने का पुलिस महकमे को बीत चार दशक से इंतजार बना हुआ है। माना जा रहा है कि अब यह इंतजार इस माह पूरी तरह से समाप्त हो जाएगा। इन सालों में कई बार प्रस्ताव बने और वे ठंडे बस्ते में जाते रहे। सबसे पहले पुलिस कमिश्नर प्रणाली का विचार स्व. अर्जुन सिंह के मुख्यमंत्रित्व काल में 1981 में आया था। इसके बाद इसके लिए दिग्विजय सिंह से लेकर कमलनाथ और शिवराज सिंह चौहान तक यह प्रयास कर चुके हैं। इस बार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने चौथी बार में भोपाल और इंदौर में पुलिस आयुक्त प्रणाली को लागू करने का ऐलान करने के साथ ही उसके लिए तमाम तरह के जरूरी कदम भी उठाए हैं। इसके साथ ही मप्र सत्रहवां ऐसा प्रदेश बन जाएगा, जिनमें पुलिस आयुक्त प्रणाली को लागू किया जा रहा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के अपने चौथे कार्यकाल में यह करना संभव हो पाया है क्योंकि उनके पहले कार्यकाल में 2008 ऐसी उम्मीद जागी थी। तब उप समिति की रिपोर्ट में हरी झंडी मिलने के बाद भी निर्णय लेने के लिए केंद्र सरकार को अनुशंसा भेज दी थी। तब मंत्रिमंडलीय उप समिति में जयंत मलैया, हिम्मत कोठारी, नरोत्तम मिश्रा और नागेंद्र सिंह थे और मलैया की अध्यक्षता में बनी उपसमिति ने चुनावी साल में रिपोर्ट सौंपी थी।

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