
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मिशन 2023 और 2024 के लिए भाजपा जिस आदिवासी समाज के बलबूते 51 फीसदी वोट की आस लगाए हुए है, उसी समाज के अपने नेताओं ने ही पार्टी से किनारा करना शुरू कर दिया है। इसका नजारा भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष द्वारा बुलाई गई मंत्रियों की बैठक में देखने को मिला। बीएल संतोष द्वारा बुलाई गई मंत्रियों की बैठक का अनुसूचित जनजाति के मंत्री बिसाहूलाल सिंह, विजय शाह, मीना सिंह, रामकिशोर कांवरे और प्रेम सिंह पटेल ने बायकाट कर दिया। एक भी मंत्री बैठक में शामिल नहीं हुआ। जबकि इस बैठक में सभी मंत्रियों को अनिवार्य रूप से उपस्थित होने के लिए कहा गया था। भाजपा सूत्रों का कहना है कि आदिवासियों के भगवान बिरसा मुंडा और उनके जननायक टंट्या भील सहित तमाम आदिवासी हस्तियों को सम्मान दिलाने की मुहिम चला रही भाजपा के लिए खाद्य मंत्री बिसाहूलाल सिंह गले की फांस बन गए हैं। उनके बयान से जहां सवर्ण समाज आक्रोशित है, वहीं उन पर दबाव डालकर माफी मंगवाना आदिवासी समाज को पसंद नहीं आया है। शायद यही वजह है कि राष्ट्रीय संगठन महामंत्री की बैठक में एक भी आदिवासी मंत्री शामिल नहीं हुआ। पार्टी में आशंका जताई जा रही है कि बिसाहू का ‘अपमान’ कहीं भाजपा का काम न बिगाड़ दे।
एक तरफ कुंआ…दूसरी तरफ खाई
बिसाहू के बयान के बाद मचे बवाल से भाजपा के लिए एक तरफ कुंआ…दूसरी तरफ खाई वाली स्थिति बन गई है। यानी बिसाहू के बयान से सवर्ण तो नाराज हैं ही और मंत्री का बर्खास्त करने की मांग पर अड़ा हुआ है, वहीं सरकार ने बिसाहूलाल से सार्वजनिक माफी मंगवा कर आदिवासियों को नाराज कर दिया है। अब भाजपा के सामने स्थिति यह हो गई है कि वह दोनों वर्गों को साधने की नई रणनीति बना रही है।
एक तरफ सम्मान, दूसरी तरफ अपमान
प्रदेश में सम्मान और अपमान की राजनीति पर मचे बवाल पर भाजपा से जुड़े एक आदिवासी नेता कहते हैं कि एक तरफ बिरसा मुंडा के जन्मदिवस को जनजातीय गौरव दिवस मनाने, आदिवासी रानी कमलापति के नाम पर रेलवे स्टेशन का नामकरण कर और आदिवासी हीरो टंट्या भील के नाम कई स्थानों का नामकरण कर आदिवासियों को बहुप्रचारित सम्मान दिया जा रहा है वहीं दूसरी तरफ एक आदिवासी मंत्री के एक बयान पर उससे हाथ जोड़ कर सार्वजनिक माफी मंगवाना कहां तक उचित है? यह ठीक बात है कि मंत्री ने एक जाति विशेष का उल्लेख करके किसी भी दृष्टि से सही नहीं किया। लेकिन बिसाहूलाल से सार्वजनिक माफी मंगवाना उचित नहीं था।
‘बड़ों’ से क्यों नहीं मंगवाई माफी
भाजपा से ही जुड़े एक अन्य आदिवासी नेता कहते हैं कि मंत्री बिसाहूलाल सिंह पहले नेता नहीं हैं जिन्होंने किसी समाज या जाति के बारे में गलत बोला है। अभी हाल ही में प्रदेश भाजपा प्रभारी मुरलीधर राव ने कहा था कि हमारी एक जेब में ब्राह्मण और दूसरी में बनिया है तो उस पर पार्टी चुप्पी साधे रही। इससे पहले भी राव और अन्य नेताओं ने जातियों के बारे में उटपटांग बयान दिया है, लेकिन न तो सरकार और न ही संगठन ने उन्हें तलब किया। फिर बिसाहूलाल को अपमानित करने की जल्दीबाजी क्यों की गई।
बिसाहू फैक्टर ने बढ़ाई चिंता
अपमान और विरोध की राजनीति ने भाजपा की चिंता बढ़ा दी है। राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष की बैठक में आदिवासी मंत्रियों का नहीं आना भाजपा के लिए बड़ी चुनौती है। दरअसल, बैठक से एक दिन पहले बीएल संतोष ने मंत्री बिसाहूलाल के बयान की निंदा की थी। शायद यही वजह रही कि दूसरे दिन बैठक में मंत्री बिसाहूलाल के साथ ही कैबिनेट मंत्री विजय शाह, मीना सिंह, रामकिशोर कांवरे और प्रेम सिंह ठाकुर भी नहीं आए। इसको लेकर प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा से सवाल पूछा गया तो वे किनारा कर गए। अनुमान लगाया जा रहा है कि मध्य प्रदेश के सभी आदिवासी मंत्री बिसाहूलाल के समर्थन में आ गए हैं और संगठन पर दबाव बना रहे हैं। जबकि सामान्य जाति के भाजपा नेता एवं कार्यकर्ता बिसाहूलाल को मंत्री पद से हटाने की मांग कर रहे हैं।