
- आबकारी मुख्यालय में बैठते ही नहीं राजीव चंद्र दुबे
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। आबकारी आयुक्त राजीव चंद्र दुबे का ग्वालियर मोती महल स्थित आबकारी आयुक्त कार्यालय से मोह भंग हो गया है, वह अपने अभी तक 18 माह के कार्यकाल में मात्र 39 दिन ही कार्यालय में बैठे हैं, और अपना सारा कामकाज भोपाल से ही देख रहे हैं। जिससे आबकारी विभाग के शासकीय कार्यों में अनावश्यक विलंब होने लगा है। यही नहीं अब तो सवाल भी उठने लगे हैं कि आबकारी आयुक्त मुख्यालय अब संभवत: भोपाल जा सकता है। हालात यह है कि राजधानी न छोड़ने के लिए तैयार अधिकारियों द्वारा ठेका व लाइसेंस शाखा को धीरे-धीरे ग्वालियर से भोपाल लाया जा रहा है।
आलम यह है कि आबकारी आयुक्त के न आने से आबकारी आयुक्त कार्यालय के अन्य अधिकारी भी अब कार्यालय नहीं आते। कार्यालय में सूना सन्नाटा पसरा रहता है। गौरतलब है कि आबकारी आयुक्त राजीव चंद्र दुबे की नियुक्ति 10 मई 2020 को हुई थी, जिसके बाद से उनका भोपाल से ग्वालियर में यदा-कदा आने का क्रम बना रहा। उन्होंने इस बीच अपने कार्य की शुरुआत भोपाल स्थित कैंप ऑफिस से कर ली।
फाइलें भोपाल आ रही
आबकारी आयुक्त के ग्वालियर मुख्यालय न बैठने से विभाग की सारी फाइलें भोपाल प्रतिदिन एक आरक्षक के साथ भेजनी पड़ रही हैं। जिससे हर रोज एक आरक्षक की ड्यूटी भोपाल जाने के लिये लगाना पड़ती है, जिससे विभाग को अनावश्यक खर्चा वहन करना पड़ रहा है। जानकारों की मानें तो ग्वालियर से आबकारी मुख्यालय को धीरे-धीरे भोपाल लाने का प्रयास किया जा रहा है। इसके तहत ग्वालियर में तैनात अफसरों को भोपाल बुलाकर बैठकें व पॉलिसी बनाने के नाम पर महीनों डेरा डालकर रहना पड़ता है।
पॉलिसी बनाने में जुटे आयुक्त
ज्ञातव्य है कि आजादी के बाद मध्य भारत बनने और मध्यप्रदेश के गठन के बाद आबकारी आयुक्त राज्य मुख्यालय ग्वालियर रखा गया था, उसके बाद से ही प्रदेश के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी को आबकारी मुख्यालय की कमान सौंपी जाती रही है, और आबकारी आयुक्त ग्वालियर से ही अभी तक विभाग का कामकाज देखते रहे हैं। लेकिन बीते 18 माह पूर्व जब से राजीव चन्द्र दुबे ने आबकारी आयुक्त की कमान सम्भाली है वह अपने कार्यकाल में मात्र 39 दिन ही कार्यालय में बैठे हैं। आबकारी आयुक्त की चालू वर्ष की उपस्थिति रजिस्टर में मुख्यालय पर जनवरी में केवल 7 दिन, फरवरी में 6 दिन, मार्च में 9 दिन, अप्रैल में 3 दिन, मई में शून्य, जून में 3 दिन, जुलाई में 6 दिन, अगस्त में शून्य, सितंबर में 3, अक्टूबर व चालू नवंबर माह के 22 दिनों में शून्य उपस्थिति है। इस संबंध में आबकारी आयुक्त राजीव चंद्र दुबे का कहना है कि भोपाल में पॉलिसी बनाने के लिए कार्य चल रहा है, क्योंकि बीते वर्ष में आबकारी पॉलिसी नहीं बन पाई थी। पहले के कमिश्नर बिना ऑफिशियल छुट्टी के गायब रहते थे।