
- प्रदेश सरकार अब तक जारी नहीं कर सकी है गाइड लाइन
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। कोरोना के मामले में सरकारी अव्यवस्थाएं कम होने का नाम ही नहीं ले रही हैं। हालात यह है कि कोराना काल में लोगों को जहां इलाज के लिए दर-दर भटकना पड़ा तो अब उस समय जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों को सरकारी मदद के लिए परेशान होना पड़ रहा है। हालात यह है कि इस मामले में सरकार अब तक कोई गाइड लाइन जारी करना तो दूर उसे बना तक नहीं सकी है। इसकी वजह से यह तय नहीं है कि पीड़ित परिवारों को सरकारी मदद कब मिलेगी। फिलहाल पीड़ित परिवार के सदस्य इस मामले में अब कलेक्ट्रेट के आए दिन चक्कर काटने को मजबूर बने हुए हैं। अगर सरकारी आंकड़ों की माने तो भोपाल में ही कोरोना की वजह से 971 लोगों को जान गंवानी पड़ी है। यह आंकड़ा कोरोना की दूसरी लहर का है। इनमें से करीब पांच सैकड़ा लोगों ने सरकारी मदद के लिए आवेदन कलेक्ट्रेट कार्यालय में जमा कराए जा चुके है। यह आवेदन कलेक्ट्रेट की आवक जावक शाखा में जमा तो हो रहे हैं, लेकिन यह उन्हें भी पता नहीं की मदद कब मिल सकेगी। उल्लेखनीय है कि कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में अपनों का इलाज कराने के लिए लोगों को खासी मेहनत करनी पड़ी। हालत यह रहे की अस्पतालों में जहां मरीजों को जगह नहीं मिल पा रही थी, तो जिन्हें अस्पताल में भर्ती कर बिस्तर मिल गया था, तो उन्हें दवाई तक के लिए बेहद जद्दोजहद करनी पड़ रही थी। इस संकट काल का निजी अस्पताल संचालकों ने भी जमकर कमाई का अवसर मानते हुए मरीजों और उनके परिजनों की जमकर जेब काटी। इस पूरी जद्दोजहद के बाद भी कई लोग ऐसे रहे जिन्हें अपने परिजनों को खोना पड़ गया। इनमें वे लोग भी शामिल हैं, जो अपने परिवार के इकलौते कमाने वाले थे। कई परिवारों में तो मां -बाप दोनों ही नहीं रहे। ऐसे मामलों में बच्चों के सामने गहरा आर्थिक संकट तक खड़ा हो गया। अब उन मृतकों के परिजन सरकार से मुआवजे की आस में सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने को मजबूर बने हुए हैं। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना की दूसरी लहर में मृतकों के परिजनों को 50-50 हजार रुपए देने को कहा है। इसके बाद से ही लोग कलेक्ट्रेट में आवेदन जमा कर रहे हैं। हालांकि सरकार की तरफ से अभी तक गाइडलाइन जारी नहीं होने से इन पर किसी तरह का निर्णय नहीं हो सका है। इधर, अफसरों का कहना है कि लोग परेशान न हो इसलिए सभी के आवेदन लिए जा रहे हैं। सरकार की तरफ से गाइडलाइन जारी होने के बाद इन पर कार्रवाई की जाएगी।
अब तक सिर्फ फार्म ही हो पा रहे हैं जमा
शहर के ग्रामीण इलाके के तहत आने वाले खजूरी कलां निवासी प्रवीण तिवारी की मां सुशीला तिवारी की कोरोना के इलाज के समय मौत हो गई थी। उस समय उन्हें इलाज के लिए बेहद परेशान होना पड़ा था। इसके बाद उनकी इलाज के समय चिरायु अस्पताल में मौत हो गई। मुआवजे की जानकारी और उसकी प्रक्रिया का पता करने के लिए तीन दिन तक भटकना पड़ा। इसके बाद कलेक्ट्रेट में उनका मुआवजे से संबंधित फॉर्म जमा हो गया, लेकिन वहां यह कोई नहीं बता पा रहा है कि उन्हें की मुआवजा कब तक मिल सकेगा। इसी तरह से पिपलानी निवासी कैलाश तिरोले की मां की भी कोरोना की दूसरी लहर के दौरान मई में कस्तूरबा अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई थी। इसके बाद अंतरिम सहायता के लिए कलेक्ट्रेट में आवेदन जमा किया था, लेकिन इस पर क्या हुआ अब तक कोई जानकारी नहीं है। मुआवजा कब मिलेगा, इसको लेकर अफसर भी कुछ नहीं बता रहे हैं।
यह है सरकारी मदद की स्थिति
– कोरोना में मृत व्यक्ति के परिवार को अनुग्रह राशि के लिए अब तक शासन ने कोई गाइडलाइन ही जारी नहीं की और न ही इसके लिए कोई नियम बनाए।
– मुख्यमंत्री कोविड योद्धा कल्याण योजना के तहत 16 आवेदनों में से अब भी 11 लंबित पड़े हैं। इसके तहत 50-50 लाख रुपए सरकार की तरफ से दिए जाते हैं।
– मुख्यमंत्री कोविड-19 अनुकंपा नियुक्ति के लिए आए 56 आवेदनों में से 35 को नियुक्ति आदेश जारी किए जा चुके हैं।
– मुख्यमंत्री कोविड-19 बाल सेवा योजना के तहत जिला महिला एवं बाल विकास विभाग को मिले सभी 57 आवेदन में सहायता राशि जारी की जा चुकी है।