
- एनएएस के तहत तीसरी, पांचवीं, आठवीं व दसवीं कक्षा के बच्चों की सीखने की क्षमता का हुआ आंकलन
भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। कोरोना संक्रमण का असर स्कूली शिक्षा पर भी पड़ा है। स्कूली बच्चों के पठन-पाठन की क्षमता भी प्रभावित हुई है। ऐसे में स्कूली बच्चों की की सीखने की क्षमता का आकलन करने के लिए राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण (एनएएस) के तहत तीसरी, पांचवीं, आठवीं व दसवीं कक्षा के बच्चों की परीक्षा ली गई। इसमें मप्र के दो लाख 43000 बच्चों ने अपनी क्षमता दिखाई।
सीबीएसई की ओर से आयोजित इस टेस्ट के लिए एनसीईआरटी द्वारा प्रश्न पत्र तैयार किया गया है। प्रदेश के सरकारी व निजी स्कूलों के विद्यार्थियों का टेस्ट लिया गया। इसमें प्रदेश के नौ हजार 999 स्कूलों के दो लाख 43 हजार 601 विद्यार्थी शामिल हुए, जबकि इसमें दो लाख 70 हजार 24 विद्यार्थियों को शामिल होना था। 26 हजार 423 बच्चे अनुपस्थित रहे। इसमें आठवीं व दसवीं के बच्चों को दो घंटे में ओएमआर शीट पर भरनी थी। वहीं, तीसरी व पांचवीं में 90 मिनट का प्रश्नपत्र हल करना था। इस टेस्ट के निरीक्षण के लिए अलग-अलग टीमें बनाई गई थीं। जिन्होंने स्कूलों में निरीक्षण किया।
सामान्य ज्ञान के प्रश्न भी पूछे गए
राजधानी में 180 स्कूलों में परीक्षा ली गई। कुछ स्कूलों में आठवीं कक्षा के बच्चों को 60 प्रश्नों के जवाब दो घंटे में देने थे। विद्यार्थियों ने प्रश्नपत्र को कठिन बताया। उन्होंने शिक्षकों से प्रश्नों को समझा फिर हल कर पाए। प्रश्न पत्र में कुछ सामान्य ज्ञान के प्रश्न भी पूछे गए। जिन्हें करने में विद्यार्थियों को परेशानी हुई। जिला शिक्षा अधिकारी नितिन सक्सेना बताया कि सभी स्कूलों में 30-30 विद्यार्थियों के बैठने की व्यवस्था की गई थी। डीईओ शासकीय उमावि आनंद नगर में निरीक्षण करने पहुंचे थे। परीक्षा के बाद ओएमआर शीट सेंट जोसेफ कन्या स्कूल में जमा की गई। भोपाल जिले में 180 स्कूलों में यह सर्वेक्षण कार्य किया गया। इस परीक्षा में जिले से 6,059 में से 5,379 विद्यार्थी शामिल हैं। जिले में 88.78 फीसदी बच्चे उपस्थित थे। इसमें सबसे अधिक दसवीं के 1,954 विद्यार्थी शामिल हुए। वहीं, आठवीं में 1,553, पांचवीं में 984 व तीसरी में 888 बच्चों ने टेस्ट दिया। वहीं दो स्कूलों में संबंधित कक्षा में उपस्थिति शून्य होने के कारण सर्वे में शामिल नहीं हो सके।