एक बोरी खाद के लिए किसान परेशान कालाबाजारी हो रहे मालामाल

कालाबाजारी

पाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में ग्वालियर-चंबल संभाग से निकलकर खाद की कालाबाजारी पूरे प्रदेश में शुरू हो गई है। प्रदेश में जहां-जहां बोवनी शुरू हो रही है, वहां-वहां किसान खाद के लिए परेशान हो रहे हैं। एक बोरी खाद के लिए किसानों को सुबह से समितियों के सामने कतार लगानी पड़ रही है। वहीं कालाबाजारी अधिक कीमत पर खाद बेचकर मालामाल हो रहे हैं।
इनदिनों प्रदेशभर में खाद के लिए अन्नदाता बेबस नजर आ रहा है। इतना ही नहीं अपनी फसल बर्बाद होने का डर भी सता रहा है जिससे किसानों को जाम लगाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। ग्वालियर-चंबल संभाग में किसानों को खाद की गाड़ियां लूटने के साथ ही धरना-प्रदर्शन भी करना पड़ा। अब विंध्य-बुंदेलखंड में खाद की किल्लत शुरू हो गई है। जल्द ही इंदौर-भोपाल संभाग में बोवनी शुरू होने वाली है। इस कारण समितियों के सामने सुबह से ही कतार लगने लगी है।
समितियों में सुबह से ही लग रही लाइन
ग्वालियर-चंबल संभाग से अब खाद की किल्लत विंध्य और बुंदेलखंड की तरफ बढ़ने लगी है। यहां भी अब बोवनी शुरू हो गई है। अगले सप्ताह से भोपाल और इंदौर संभाग में भी बोवनी शुरू हो जाएगी। अगर खाद की रैक पर्याप्त नहीं पहुंची तो संकट हो जाएगा। इधर सहकारिता और कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि खाद की कोई कमी नहीं है। अफवाह फैलने से किसान सुबह से समितियों के सामने लाइन में लग जाते हैं। समितियों में सुबह से ही लाइन लग रही हैं। किसानों को मांग के अनुसार खाद देने के बजाय उन्हें किसानों की ऋण पुस्तिका के आधार पर खाद उपलब्ध कराई जा रही है। प्रदेश एक ओर खेतों में बिजली की कटौती हो रही है और अब समय पर खाद नहीं मिलने से किसान परेशान हो रहा है। किसानों का कहना है कि प्रति एकड़ 2 बोरी डीएपी मिलने से आपूर्ति नहीं हो रही है जबकि उन्हें प्रति एकड़  4 से 5 बोरी तक आवश्यकता है। उस पर रबी की फसल की बुआई का वक्त आ गया है। ऐसे समय पर खाद नहीं मिलने से परेशानी दो गुनी हो गई है। किसानों का कहना है कि खाद की आपूर्ति ठीक तरीके से नहीं हो रही। प्रशासन के पास खाद है लेकिन वो किसानों को मुहैया नहीं करा रहा। वहीं प्राइवेट दुकानदार ब्लैक में खाद बेच रहा है। ऐसे में किसान कहां जाए। किसी शिकायत की सुनवाई नहीं हो रही है।
अग्रिम भंडारण करने  में असफल सरकार
प्रदेश में बढ़ती खाद की किल्लत पर मध्य प्रदेश किसान कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष केदार शंकर सिरोही ने कहा कि रबी सीजन में प्रदेश में 20 लाख मीट्रिक टन यूरिया, 9-10 लाख मीट्रिक टन डीएपी और 3 लाख मीट्रिक टन एनपीके खाद की जरूरत पड़ती है। सिरोही के मुताबिक हर साल खरीफ सीजन में खाद का अग्रिम भंडारण शुरू हो जाता है लेकिन इस वर्ष खाद का अग्रिम भंडारण नहीं हो पाया। इस वजह से सहकारी समितियों और मार्कफेड के गोदामों में पर्याप्त मात्रा में खाद उपलब्ध नहीं है।
 प्रदेश में 4 लाख मीट्रिक टन यूरिया, 2 लाख मीट्रिक टन डीएपी की कमी है। रबी सीजन में खाद की आपूर्ति के लिए तकरीबन 1000 रैक की जरूरत पड़ती है। प्रदेश में यूरिया की 650 रैक, डीएपी की 300 से 350 रैक से पहुंचती है। रबी सीजन 45 दिनों के सीजन में 20-22 रैक प्रतिदिन आना चाहिए। लेकिन इस समय प्रदेश में 5-7 रैक के जरिए ही खाद आ पा रहा है। इस तरह 12-13 रैक का घाटा हो रहा है। यही वजह हैं कि प्रदेश में खाद का बड़ा संकट है।
डीएपी के वैकल्पिक तौर पर एनपीके का उपयोग
इंदौर में ही देपालपुर के पाल्या गांव के किसान हर्मेन्द्र पटेल ने बताया कि किसानों को डीएपी की जगह एनपीके खाद दिया जा रहा है। जो डीएपी की तुलना में महंगा होती है। वहीं केदार सिरोही का कहना हैं कि डीएपी में 18 फीसदी नाइट्रोजन, 46 फीसदी फॉस्फोरस होता है। जबकि एनपीके में 12 फीसदी नाइट्रोजन, 32 प्रतिशत फास्फोरस और 16 प्रतिशत पोटाश होता है। फसलों के अच्छे उत्पादन के लिए फास्फोरस बेहद आवश्यक पोषक तत्व है, ऐसे में एनपीके की तुलना में डीएपी में अधिक फास्फोरस होता है। जिससे अच्छी पैदावार होती है। लेकिन किसानों को जबरन डीएपी की जगह एनपीके डालने के लिए मजबूर किया जा रहा है।
छोटे किसानों को ज्यादा दिक्कत
खाद के लिए बड़े किसानों को दिक्कत नहीं है। क्योंकि यह किसान खरीफ फसल बोने और रबी की फसल कटाई के बाद खाद जमा कर लेते हैं। किसानों को समितियों को ब्याज भी नहीं देना पड़ता है। छोटे किसान फसल बेचने के बाद बैंकों का कर्ज चुकाते हैं। इसके बाद खाद खरीदते हैं। इससे छोटे किसानों को ज्यादा दिक्कत हो रही है। प्रदेश में इस तरह के लघु और सीमांत किसान करीब 75 लाख हैं। इन दिनों सबसे ज्यादा मांग डीएपी खाद की हो रही है, क्योंकि गेहूं, चना, मटर सहित सभी फसलों की बोवनी के शुरुआत में ही डीएपी और यूरिया की जरूरत होती है।
खत्म नहीं हो रही है किसानों की समस्या
पहले बिजली की परेशानी थी अब खाद नहीं मिलने से दिक्कत है। चंबल इलाके के भिंड, मुरैना, ग्वालियर इलाकों में डीएपी और यूरिया की भारी कमी है। वहीं अब यह कमी विंध्य और बुंदेलखंड में भी शुरू हो गई है। इस कमी को पूरा करने के लिए प्रशासन कोशिशें तो कर रहा है लेकिन वह नाकाफी साबित हो रहा है। अब तो इंदौर-भोपाल संभाग में भी सुबह से ही खाद की दुकानों के बाहर लंबी कतारें लग जाती हैं। वहीं खाद न मिलने से नाराज किसान सड़क पर प्रदर्शन कर विरोध दर्ज करा रहे हैं।
काला बाजारियों के यहां लगातार छापेमारी
सरकार जहां खाद की किल्लत दूर करने में जुटी हुई है वहीं कालाबाजारियों और नकली खाद बेचने वालों के यहां लगातार छापामार कार्रवाई कर रही है। गतदिनों प्रदेश में कई जगह छापा मारा गया। टीकमगढ़  के दिगौड़ा के वैशाखिया खाद भंडार विक्रेता द्वारा देर रात 8 बजे डीएपी खाद आॅटो में 25 बोरी खाद की काला बालाबाजारी की जा रही थी। इस पर किसानों ने पुलिस को जानकारी दी पुलिस आॅटो को जब्त कर थाना ले गई। कृषि विभाग के अधिकारियों देर रात तक खाद का वितरण कर दुकान को सील कर दिया। किसानों को एक बार में एक से पांच बोरी खाद ही दी जा रही है। मांग के अनुसार खाद नहीं मिलने से किसान एक साथ बोवनी करने के बजाय टुकड़ों में बोवनी कर रहे हैं।
इन इलाकों में शुरू होने वाली है बोवनी
मध्य प्रदेश के मालवा, निमाड़, चंबल और बुंदेलखंड (कुछ हिस्सों में) आदि इलाकों में रबी सीजन की बुवाई या तो शुरू हो चुकी है या होने वाली है। जो कि नवंबर के अंत तक चलेगी। इंदौर के आसपास के इलाकों में किसानों ने आलू, मटर और दूसरी फसलों की बोवनी शुरू कर दी है। वहीं कुछ हिस्सों में गेहूं, चना, प्याज और लहसुन जल्द लगाई जाएगी। जबकि ग्वालियर और चम्बल क्षेत्र में सरसों तथा अन्य फसलों की बुवाई शुरू होने वाली है। प्रदेश के 29 जिलों में रबी सीजन की फसलें उगाई जाती है, इनमें इंदौर, उज्जैन, हरदा, देवास, शाजापुर, होशंगाबाद, राजगढ़, आगर मालवा, भिंड, मुरैना, ग्वालियर, दतिया, शिवपुरी, श्योपुर, गुना, अशोक नगर, विदिशा, सागर, भोपाल, खंडवा, बुरहानपुर, बड़वानी, धार जिलें शामिल हैं। गौरतलब हैं कि रबी सीजन में प्रदेश में गेहूं, चना, आलू, मटर, प्याज, लहसुन आदि फसलों की खेती होती है।
सरकार के पास 194972 मीट्रिक टन खाद
जानकारी के अनुसार प्रदेश में खाद की कमी नहीं है। सरकार के पास खाद की उपलब्धता 3,15,975 मीट्रिक टन थी। इसमें से करीब 1,94,972 मीट्रिक टन शेष है। सरकार का कहना है कि किसान अफवाह में पड़कर कतार लगा रहे हैं। सरकार की मामले पर पूरी नजर है। शिवराज सिंह चौहान ने गत दिनों खाद की आपूर्ति को लेकर एक अहम बैठक बुलाई जिसमें कलेक्टर्स को निर्देश दिए गए कि खाद की आपूर्ति सुनिश्चित की जाए और पूरे नियमों का पालन करते हुए ये काम हो। मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर किसी तरह की परेशानी होती है तो एसीएस, मुख्य सचिव और मुख्यमंत्री कार्यालय से मदद ली जा सकती है।

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