डीजल के दामों में हुई बढ़ोतरी से किसानों पर गिरी महंगाई की गाज

डीजल
  • मध्यप्रदेश में 3 गुना बढ़ चुके हैं डीजल के अब तक दाम

    भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। पेट्रोलियम पदार्थों में रिकार्ड तोड़ महंगाई का असर खेती-किसानी पर सबसे अधिक पड़ रहा है। आलम यह है कि पिछले 3 साल में जिस तेजी से डीजल की कीमतों में वृद्धि हुई है उससे मप्र में खेती की लागत दोगुनी हो गई है। इससे किसानों के सामने जुताई-बुवाई का संकट खड़ा हो गया है। जहां खाद और बीज महंगे हो गए हैं, वहीं सिचाई भी महंगी हो गई है।
    डीजल के दामों में लगातार हो रही बढ़ोतरी से किसान हैरान परेशान हो रहे हैं। सतना जिले के नागौद निवासी किसान भैयाराम दाहिया केन्द्र और राज्य सरकार दोनो से नाराज हैं। वे कहते हैं कि हमारी आय दो गुना करने की बात कही जा रही है जबकि इसका उल्टा असर पड़ रहा है। लगातार बढ़ रही महंगाई से खेती की लागत जरूर दो गुनी हो गई है। रबी सीजन में हम किस तरह बोवनी कर पाएंगे, यही चिंता खाए जा रही है।
    लगातार बढ़ रहा है आर्थिक भार
    महंगी होती खेती के कारण किसानों पर लगातार आर्थिक भार बढ़ रहा है। एक किसान को खर्च के कितने चरणों से गुजरना पड़ता है। पड़ताल में पाया गया कि अगर एक किसान के पास दो से तीन एकड़ जमीन है तो उसे उपज के लिए जितनी लागत लगती है, उतनी कीमत उसे नहीं मिल रही है। खेती के लिए किसान को बीज, खाद, डीजल, कीटनाशक, मजदूरी के लिए और साहूकार का कर्ज चुकाने के लिए पैसे का प्रबंध करना पड़ता है। इसके लिए किसान कर्ज भी लेते हैं। बढ़ती महंगाई के कारण लोन की राशि और ब्याज भी बढ़ेगा। प्रदेश में ज्यादातर किसान डीजल इंजन पंपसेट से अपने खेतों की सिंचाई करते आ रहे हैं। वर्तमान में किसानों को पेट्रोल पंप पर सौ रुपए से अधिक दाम पर डीजल (प्रति लीटर) खरीदना पड़ रहा है। सतना जिले के कोठी निवासी राममिलन गौतम कहते हैं कि जुताई की लागत 100 रुपए मंहगी हो गई है। पहले 700 रुपए घंटे था जो अब बढकर 800 रुपए हो गई है। इसी तरह अन्य खर्च भी बढ़ गए हैं। हम कैसे फसल ले पाएंगे यह चिंता सता रही है।
    किसानों के सामने गंभीर समस्या
    गौरतलब है कि तीन साल में डीजल की कीमतों में 34 रुपए तक की वृद्धि हुई है, इसलिए खेती की लागत दोगुनी महंगी हो गई है। इसके परिणामस्वरूप खेती संबंधी अन्य कार्यों की लागत भी बढ़ गई है। इस समय महंगाई को लेकर प्रदेश के किसान परेशान हैं। रबी की बोवनी सामने है, ऐसे में उन्हें ट्रैक्टर से जुताई के लिए महंगे दामों पर डीजल खरीदना पड़ रहा है। खाद समय पर है नहीं मिलने से मारामारी की स्थिति है। किसान ही नहीं आम लोगों के सामने सब्जी-भाजी खरीदना कठिन हो गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में काम नहीं मिलने से उनके सामने जीविकोपार्जन की गंभीर समस्या है। कीमतों के बढ़ने के कारण छोटे किसान अपना उत्पाद शहर तक नहीं ले जा पा रहे हैं।

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