जी, इंजीनियर मिलेंगे तभी हो पाएगी नर्मदा जल से सिंचाई

 नर्मदा जल

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मध्य प्रदेश ऐसा राज्य बन चुका है, जिसमें बीते दो दशक से सरकारी अमले की नाम के लिए ही भर्ती की जा रही है, इसकी वजह से हर विभाग सरकारी अमले की कमी से बेहद परेशान बना हुआ है, लेकिन फिर भी प्रदेश सरकार चेतने को तैयार नहीं है। हालत यह हो गई है कि अब तो कई निर्माण विभागों के पास तकनीकी अमला ही नहीं बचा है, उससे भी खराब हालात उन विभागों की बनी हुई है, जो प्रतिनियुक्ति पर अमला लेकर काम करते हैं। ऐसा ही एक विभाग है नर्मदा विकास प्राधिकरण। इस पर ही नर्मदा से संबंधित योजनाओं पर काम करने का जिम्मा है। इसके पास तकनीकी अमले के रूप में इंजीनियरों की भारी कमी बनी हुई है। यही नहीं जिन विभागों से यह अमला उसे प्रतिनियुक्ति पर मिलता है उन विभागों में भी पहले से ही इस अमले की कमी बनी हुई है। इसकी वजह से अब नर्मदा विकास प्राधिकरण को अमला नहीं मिल पा रहा है। इसकी वजह से प्राधिकरण के जिम्मे कई परियोजनाओं पर काम शुरू नहीं हो पा रहा है। ऐसे में मप्र के कोटे के नर्मदा जल में बड़ी क टौति होने की पूरी संभावनाएं बनती जा रही हैं। उल्लेखनीय है कि मप्र और गुजरात के बीच नर्मदा नदी के पानी के बंटवारे पर वर्ष 2024 में पुनर्विचार किया जाना है। ऐसे में अगर इससे जुड़ी परियोजना का  काम अगले ढाई साल में पूरा नही होता है तो मप्र अपने हिस्से का 18.25 एमएएफ (मिलियन एकड़ फीट) पानी का उपयोग नहीं कर पाएगा। इसकी वजह से मप्र के हिस्से का 3.7 एमएएफ पानी गुजरात को उपयोग के लिए दे दिया जाएगा। इस स्थिति की वजह से जल संसाधन विभाग ने प्रतिनयिुक्त पर दूसरे विभाग में पदस्थ अपने अधिकारियों को न केवल बुला लिया है बल्कि दूसरे विभागों में प्रतिनियुक्ति पर जाने पर भी पूरी तरह से रोक लगा दी है। इसकी वजह से दूसरे विभागों में पदस्थ अपने 275 इंजीनियरों को वापस बुला लिया गया है। यही वजह है कि अमले की कमी से जूझ रहे नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण को नर्मदा जल  बंटवारे से जुड़ी शेर-मछरेवा सिंचाई परियोजना नरसिंहपुर, हाटपिपल्या उद्धवहन सिंचाई परियोजना देवास और अपर बुढ़ार परियोजना मंडला जल संसाधन विभाग को सौंपनी पड़ी हैं। इन दोनों ही परियोजनाओं से करीब एक लाख हेक्टेयर से अधिक इलाके में सिंचाई होनी है। गौरतलब है कि प्रदेश सरकार ने अपने हिस्से के पूरे पानी का उपयोग के लिए बीते साल नौ नई सिंचाई परियोजनाओं को मंजूरी दी थी। इन परियोजनाओं पर इस साल तेजी से काम शुरू हो जाना था, लेकिन उन पर अब तक काम शुरू नहीं हो पाया है। अगर यह सभी परियोजनाएं 2024 के शुरुआती माह में नर्मदा से पानी लेने की स्थिति में नहीं आ पाती हैं तो नर्मदा वॉटर डिस्प्यूट ट्रिब्यूनल मध्य प्रदेश की बात नही सुनेगा। इसकी वजह से गुजरात की दावेदारी मजबूत हो जाएगी। इस पर 2024 में ट्रिब्यूनल द्वारा सुनवाई की जानी है।
रिक्त हैं 1250 पद  
अगर जलसंसाधन विभाग की बात की जाए तो इस विभाग में मौजूदा स्थिति में उपयंत्री के तीन हजार में से 800, सहायक यंत्री के 1200 में से 410, मुख्य अभियंता (सिविल) 15 में से नौ, मुख्य अभियंता (विद्युत यांत्रिकी) के दो में से एक, अधीक्षण यंत्री (सिविल) के 77 में से 47 और अधीक्षण यंत्री (विद्युत यांत्रिकी) के पांच में से तीन पद खाली हैं। इस तरह से इन रिक्त पदों की संख्या साढ़े बारह सौ से अधिक होती है।
जल संसाधएन विभाग का अमला इन विभागों में प्रतिनियुक्ति पर
जल संसाधन विभाग के मैदानी अधिकारी वर्तमान में नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के अलावा पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग (मनरेगा, सड़क विकास प्राधिकरण, ग्रामीण यांत्रिकी सेवा, मुख्य तकनीकी परीक्षक), राजस्थान, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में स्थित बोर्ड और नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया में प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ हैं।
 इनमें से नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण को छोड़कर अन्य जगह से अधिकारियों को वापस बुला लिया गया है।

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