
- नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह के पास पहुंची शिकायत….
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। स्मार्ट सिटी कंपनी अब काम के लिए कम गड़बड़ियों के लिए अधिक चर्चा में रहता है। खास बात यह है कि इन गड़बड़ी करने वाले जिम्मेदारों पर सरकार द्वारा कार्रवाई न होने की वजह से इस तरह के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं। अब ताजा मामला टीटी नगर में सब स्टेशन की शिफ्टिंग और नया बनाने के काम का सामने आया है।
इस काम के ठेके को स्मार्ट सिटी कंपनी द्वारा अपनी चहेती एक कंपनी को फायनेंशियल बिड खोलने के पहले ही आशय पत्र (एलओआई) जारी कर दिया। अब यह पूरा मामला शिकायत के रुप में नगरीय विकास मंत्री भूपेंद्र सिंह तक पहुंच चुका है। दरअसल भोपाल स्मार्ट सिटी कंपनी ने टीटी नगर में 12.95 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत से राम मंदिर सब स्टेशन की शिफ्टिंग और नया बनाने के लिए 18 मई को टेंडर जारी किया था। जिसके लिए बिड जमा करने की आखिरी तारीख 28 जून रखी गई थी। जिसके लिए पांच कंपनियों ने ऑफर दिए। तकनीकी तौर पर यह सभी सही पाई गई।
राज्य शासन की ई-टेंडर वेबसाइट पर 31 अगस्त को दिखाए जा रहे स्टेटस में इसकी फायनेंशिल बिड खोलने की प्रक्रिया जारी बताई जा रही थी, जबकि स्मार्ट सिटी ने 26 अगस्त को ही भोपाल की एक कंपनी को यह कार्य देने का आशय पत्र जारी कर दिया। इसमें कहा गया कि इस कंपनी का आॅफर 11.96 करोड़ रुपए न्यूनतम होने पर यह कार्य दिया जा रहा है। सवाल यह उठ रहा है कि जब-फायनेंशियल बिड खुली ही नहीं थी तो किसी कंपनी को एलओआई कैसे प्रदान कर दी गई।
अन्य योजना के पहले करने पड़े थे टेंडर निरस्त
राजधानी में पहले भी इसी तरह का खेल चलाता रहा है। इसमें से एक अमृत योजना के तहत होने वाले कुछ कामों के टेंडर में भी इसी तरह से खेल किया गया था। जिसकी शिकायत होने पर तत्कालीन निगम कमिश्नर प्रियंका दास ने टेंडर प्रक्रिया ही निरस्त कर दी थी। इसके बाद नए सिरे से टेंडर किए गए थे। तब भी यह काम मौजूदा इंजीनियर के ही हवाले था।
जमीन बेचने का मामला पहुंच चुका है ईओडब्ल्यू
टीटी नगर स्थित स्मार्ट सिटी एरिया के प्लॉट बेचने में की गई गड़बड़ी का मामला अब ईओडब्ल्यू पहुंच चुका है। इस मामले की शिकायत दो माह पहले हो चुकी है। स्मार्ट सिटी कंपनी द्वारा कई प्लाटों को बेंचा जा चुका है। इनमें से अधिकांश प्लॉट राजधानी के कारोबारियों ने ही खरीदे। ईओडब्ल्यू में की गई शिकायत में कहा गया है कि बिड के पहले प्लॉट पर निर्माण की जो शर्तें तय की गई थी, उन्हें आवंटन के समय बदल दिया गया। इनमें सड़क से निर्माण की दूरी जैसी शर्त तक बदल दी गई है। कुछ बिड्स में मिली भगत से ऑफर दिए गए।