अब संघ की तरह मैदानी मोर्चा नहीं संभाला तो पद से होगी छुट्टी

मैदानी मोर्चा

भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। सोर्स सिफारिश और अपने रसूख की दम पर पद हासिल कर एसी रुम में बैठने वाले भाजपा के प्रदेश पदाधिकरियों पर प्रदेश प्रभारी पी मुरलीधर राव की नजर टेड़ी होने लगी है। उन्होंने इस मामले में सख्त संदेश देते हुए साफ कर दिया है कि जो पदाधिकारी माह में एक पखवाड़े प्रवास नहीं कर सकता है वह अपना इस्तीफा दे दे। यही नहीं उनके द्वारा मोर्चा प्रकोष्ठ के उन प्रमुखों पर भी जमकर नाराजगी जाहिर की गई जो अब तक अपनी टीम तक नहीं बना पाए हैं। उनके इस सख्त रुख से पार्टी पदाधिकारियों में बैचेनी बढ़ गई है।
यही नहीं उनके द्वारा अब पार्टी के विधायकों व सांसदों पर भी कामकाज को लेकर पैनी नजर रखने का भी संदेश दे दिया गया है। दरअसल बीते रोज कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय के गढ़ में राजगढ़ में भाजपा प्रदेश पदाधिकारियों की बैठक बुलाई गई थी। इस बैठक में पार्टी ने अभी से आगामी लोकसभा व विधानसभा चुनावों के लिए अपना एजेंडा तय कर लिया है। एजेंडे के तहत कांग्रेस के कब्जे और कम अंतर से जीत वाली सीटों पर पार्टी अभी से फोकस करेगी। इन सीटों पर मंत्रियों, विधायकों और पदाधिकारियों की टीम बनाकर उन्हें सक्रिय करना तय किया गया है। इस बैठक में संगठन के कामकाज में बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी सौंपे जाने का भी फैसला किया गया। इसके साथ ही बैठक में विपक्ष को घेरने की रणनीति पर भी मंथन हुआ। दरअसल यह बैठक बड़े शहरों को छोड़कर पहली बार छोटे स्थान पर राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री शिव प्रकाश की नसीहत पर आयोजित की गई है। उल्लेखनीय है कि राव भाजपा में आने से पहले मूल रुप से संघ के प्रचारक थे। इस दौरान वे कई पदों पर काम कर चुके हैं। उनकी काम की शैली भी पूरी तरह से संघ की है, जिसमें बगैर तामझाम के काम को करते हुए लोगों से सतत संपर्क और संवाद करना शामिल है।  
बैठक में यह भी लिए गए फैसले
राजगढ़ की बैठक में भाजपा ने राजनीतिक के साथ धार्मिक मुद्दों पर भी फैसले लिए हैं। बैठक में तय किया गया है कि प्रत्येक जिलों में 71 धार्मिक स्थल पर स्वच्छता अभियान चलाने के साथ ही हनुमान चालीसा का पाठ का आयोजन किया जाए। पत्रकारों से चर्चा में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा ने कहा-काम की समीक्षा, कार्यकर्ता को काम, विधानसभा चुनाव में जीत और संगठन पर्व को लेकर बैठक में मंथन हुआ है। बैठक सिर्फ 55 पदाधिकारियों को ही बुलाया गया था। उन्होंने बताया कि 17 सितंबर से सेवा ही समर्पण का अभियान शुरू किया जाएगा , जो 7 अक्टूबर तक चलेगा। इसके तहत सभी 1070 मंडल में नमो उपवन बनाए जाने के साथ 1 मंडल में 71 पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है। 7 अक्टूबर को पीएम गरीब कल्याण योजना के तहत अन्न उत्सव मनाया जाएगा। 25 सितंबर पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती पर प्रत्येक बूथ पर सामाजिक अभियान भी चलाने का तय किया गया है।
तकनीक का अधिकाधिक करें उपयोग
राव ने इस दौरान कहा कि भाजपा देश का एकमात्र संगठन है, जो अपने कार्यकर्ताओं को समय-समय पर प्रशिक्षित करता है। इसलिए हम अपने आपको अन्य राजनीतिक दलों से अलग पाते हैं। मौजूदा दौर तकनीक (टेक्नोलॉजी) का है। इसलिए तकनीक का अधिक से अधिक उपयोग करना चाहिए। वर्तमान में संगठन की सफलता और विस्तार भी इसी तकनीक में निहित है। उन्होंने कहा कि तकनीक का उपयोग बढ़ाना आज की जरुरी आवश्यकता है। क्योंकि इसके बिना संगठन को विस्तार नहीं दिया जा सकता है।
सरकार की योजनाएं आमजन तक पहुंचाए
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने केंद्र सरकार और मध्य प्रदेश सरकार की जनहितैषी योजनाओं को आमजन तक पहुंचाने का आह्वान पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं से किया है। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि सरकार और संगठन एक होकर अधिक ताकत के साथ काम करें। उन्होंने कहा कि हमारा मंत्र सामाजिक समरसता का है। हमारा हर कार्य समाज के प्रत्येक वर्ग को जोड़ने के लिए होता है, लेकिन हमारे विचारों को विरोधी लोग और प्रमुख प्रतिद्वंदी तिल का ताड़ बनाने का काम कर रहे हैं। इसके बाद भी हमें जनमानस के लिए बेहतर काम करना है और आगे बढ़ते रहना है।
किसने क्या कहा
वीडी शर्मा ने कहा कि मध्यप्रदेश का संगठन एक आदर्श संगठन के तौर पर जाना जाता है। प्रवास और बैठकें हमारे कार्य का हिस्सा हैं। प्रवास के बिना किसी भी संगठन का विस्तार और सुदृढ़ीकरण नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग समाज में भ्रम फैलाने की राजनीति कर रहे हैं। हमें उन चुनौतियों का सामना करते हुए समाज को तोड़ने वाले लोगों को अपने काम के माध्यम से जवाब देना है।  संगठन महामंत्री भगत ने कहा कि हमें प्रत्येक मतदान केंद्र तक के कार्यकर्ता के भीतर संगठन का भाव पैदा करना है। सबको साथ लेकर चलना है और सबके साथ चलना है। उन्होंने कहा कि पदाधिकारियों के प्रवास जैसे कई आयोजन कर हम संगठन का विस्तार और सुदृढ़ीकरण के लिए काम करेंगे।
कम मतों की हार-जीत वाली सीटों पर फोकस
बैठक में उन सीटों पर विशेष फोकस करने का तय किया है, जहां पर भाजपा व विपक्ष के बीच हार जीत का अंतर बहुत कम रहा है। इनमें खासतौर पर उन सीटों को शामिल किया जा रहा है जहां पर भाजपा एक हजार से कम अंतर से हारी है, कई सीटें ऐसी हैं जहां पर 200-500 वोटों से या एक हजार से कम अंतर से जीते हैं। ऐसी सीटों पर फोकस करने का काम संगठन के अलावा सत्ता में बैठे लोगों को दिए जाने का फैसला किया गया है। दरअसल बीते चुनाव में इस तरह की दस सीटें रही थीं। इनमें से सात पर कांग्रेस ने और 3 पर भाजपा जीती थी। अगर यह सभी सीटें भाजपा जीत लेती तो उसे जब विपक्ष में नहीं बैठना पड़ता।

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