
- वर्ष 2016 में हिंदी विश्वविद्यालय में आठ गेस्ट फैकल्टी के साथ में हिंदी में इंजीनियरिंग का कोर्स शुरू किया गया था…
भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। हिंदी विश्वविद्यालय में करीब चार साल पहले शुरू हुई हिंदी में इंजीनियरिंग की पढ़ाई का प्रयोग सफल नहीं हो सका है। यह हालात तब हैं जबकि यह विश्वविद्यालय राजधानी में स्थित है और मंत्री से लेकर शासन-प्रशासन के आला अफसरों का यहां जमावड़ा रहता हैं। इसे बिडंबना ही कहेंगे कि विश्वविद्यालय में हिन्दी में इंजीनियरिंग का कोर्स एक साल में ही दम तोड़ चुका है। इसका कारण यह है कि हिंदी विवि नियमित फैकल्टी, लैब सहित अन्य जरूरी संसाधनों की व्यवस्था ही नहीं कर सका।
उल्लेखनीय है कि हिंदी विश्वविद्यालय में वर्ष 2016 में आठ गेस्ट फैकल्टी के साथ में हिंदी में इंजीनियरिंग का कोर्स शुरू किया गया था। इसमें 15 विद्यार्थियों ने एडमिशन लिया था लेकिन नियमित फैकल्टी, हिंदी में बुक और लैब नहीं होने के कारण एआईसीटीई ने मान्यता नहीं दी थी। इसके चलते एक साल बाद ही वर्ष 2017 में इस कोर्स को बंद कर दिया गया था। वहीं आरजीपीवी ने अध्ययनरत सभी पंद्रह विद्यार्थियों को विभिन्न कॉलेजों में समायोजित कराया था।
यही नहीं पीएचडी एंट्रेंस एग्जाम में भी सौ से ज्यादा शोधार्थी स्टूडेंट सिलेक्ट हुए थे। जिन्हें नियमित फैकल्टी के अभाव में गाइड नहीं मिले। बाद में इन स्टूडेंट्स को बरकतउल्ला विश्वविद्यालय सहित विभिन्न विश्वविद्यालयों में समायोजित करना पड़ा था। हालांकि हिंदी विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार यशवंत पटेल के मुताबिक विश्वविद्यालय में लैब व जरूरी संसाधनों की व्यवस्था की जा रही है। अगले सत्र से हिंदी में इंजीनियरिंग कोर्स शुरू करने के लिए एआईसीटीई से चर्चा की जा रही है। फिलहाल आरजीपीवी में संचालित हिंदी के कुछ कोर्सों का संचालन किए जाने पर विचार किया जा रहा है।
सौ से अधिक कोर्स हो चुके हैं बंद
उल्लेखनीय है कि हिंदी विश्वविद्यालय 184 कोर्स के साथ शुरू हुआ था। इनके लिए छियालीस विभाग और उन्नीस संकाय बनाए गए थे। लेकिन बजट की कमी और संसाधनों के अभाव में पिछले चार साल में ही सौ से अधिक कोर्स बंद हो चुके हैं। अभी सत्ताईस विभागों और पंद्रह संकायों के साथ 74 कोर्स संचालित हो रहे हैं। अध्ययन केंद्रों में भी सिर्फ 34 कोर्स ही है। बता दें कि वर्तमान में न तो नियमित फैकल्टी है और ना ही लैब की व्यवस्था। यही वजह है कि सभी कोर्सों में नौ से पंद्रह स्टूडेंट्स ही हैं।
यह है विवि की वर्तमान में व्यवस्था
वर्तमान में विश्वविद्यालय में कुल 74 कोर्स संचालित हो रहे हैं। जिनमें अध्ययन केंद्रों में संचालित कोर्स 34 हैं। विश्वविद्यालय में कुल कर्मचारियों की संख्या 110 है, जबकि अतिथि विद्वान 29 और रिटायर्ड परामर्शी कर्मचारी सात हैं। ड्राइवर और भृत्य की संख्या दस है, वहीं नौ स्थायी कर्मचारी और आउटसोर्स के 55 कर्मचारी कार्यरत हैं।