
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। एक तरफ प्रदेश सरकार द्वारा अपने खाली खजाने को भरने के लिए खनिज संसाधनों का अधिक से अधिक दोहन करने पर जोर बना हुआ है, तो वहीं नीतियों व नियमों के अलावा अफसरों व माफिया के बीच मिली भगत के चलते प्रदेश में अवैध खनन का कारोबार तेजी से फैल रहा है। अवैध खनन और उसके भंडारण के मामले में सबसे खराब हालात मंडला जिले में हैं। इस मामले में मंडला पूरे प्रदेश में पहले स्थान पर बना हुआ है।
यही नहीं अब तो सरकार का खनिज विभाग भी मान रहा है कि प्रदेश में खनिज संसाधनों को बढ़ाने की तैयारी की योजना के बीच ग्रामीण इलाकों में सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जा कर खनन भी तेजी से बढ़ रहा है। विभाग की ही रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि मंडला जिले में सबसे ज्यादा अवैध खनन और भंडारण पाया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सिंगरौली, गुना और बालाघाट ऐसे जिले हैं जहां पर खनन माफिया का रौब बना हुआ है। इस बीच अच्छी खबर यह है कि बीते साल इस मामले में जून-जुलाई और अगस्त के तीन माह में इस तरह के मामलों में सर्वाधिक कार्रवाई की गई थी।
इस मामले में जानकार बताते हैं कि हर साल 5000 से ज्यादा खनन से जुड़े आवेदन मिलते हैं, लेकिन परमीशन देने में कई तरह के नियमों के आड़े आने से अनुमति नहीं दी जाती है, जिसका फायदा खनिज माफिया उठाकर अवैध खनन शुरू कर देता है। इस तरह के सर्वाधिक मामले बीते साल छतरपुर जिले में सामने आए थे। हालांकि बाद में राजस्व में वृद्धि के लिए स्थानीय खनिज अधिकारी को इस तरह के मामलों में अनुमतियां जारी करनी पड़ी थीं।
हर माह अवैध परिवहन मामलों में 250 वाहन जप्त
अवैध खनन से लेकर अवैध परिवहन के मामलों में हो रही वृद्धि की वजह से ही चार जिलों में औसतन हर माह 250 वाहन जप्त किए गए हैं। इन जिलों में शहडोल, सीहोर, रतलाम और इंदौर जिला शामिल है। इन सभी वाहन चालकों के खिलाफ रॉयल्टी चोरी के अलावा खनन के मामले भी दर्ज किए गए हैं। इसके उलट साल 2019-20 की तुलना में इस साल अवैध माइनिंग होशंगाबाद और सीहोर जिले में सरकारी आंकड़ों के मुताबिक कम हुआ है। गौरतलब है कि यही वे दोनों जिले हैं जो सर्वाधिक अवैध रेत उत्खनन को लेकर चर्चित रहते हैं। इन जिलों में अफसरों, स्थानीय नेता, विधायक और सांसद तक की मिली भगत रेत माफिया से मानी जाती है। अच्छी बात यह है कि कोरोना की दूसरी लहर में भी प्रदेश के सभी 52 जिलों में सर्वाधिक राजस्व सिंगरौली जिले से ही मिला है। इस वजह से ही तय लक्ष्य 1968 करोड़ रुपए की वसूली को हासिल किया जा सका है।