किसानों को आर्थिक रूप से संपन्न बनाने प्रदेश में बनेंगे उत्कृष्टता केंद्र

शिवराज सिंह चौहान

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान की सरकार किसानों की आय बढ़ाने के लिए लगातार प्रयासरत है। इसी क्रम में प्रदेश के अन्नदाताओं को आर्थिक रूप से संपन्न बनाने के लिए उत्कृष्टता केंद्र बनाए जाएंगे। इसकी कवायद शुरू हो गई है। इन उत्कृष्टता केंद्रों में पैक हाउस और पराग भंडारण की सुविधा भी होगी।
गुजरात के कच्छ में बागवानी के क्षेत्र में इस तरह के उत्कृष्टता केंद्र (सेंटर आफ एक्सीलेंस) इजराइल के सहयोग से पहले से ही संचालित है। इसी तर्ज पर अब मध्यप्रदेश में भी इन सेंटर्स को बनाए जाने की योजना पर तेजी से काम चल रहा है। इन एक्सीलेंस सेंटर्स की स्थापना के बाद जहां किसानों को खेती से संबंधित प्रशिक्षण दिया जाएगा। वहीं इस तरह की खेती करने के लिए उन्हें प्रोत्साहित भी किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने किसानों की आय में वृद्धि का जो प्लान तैयार किया है उसके हिसाब से 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने की दिशा में कृषि क्षेत्र में  लगातार खेती के साथ-साथ सिंचाई के अभिनव तौर तरीकों को खोजा जा रहा है। इससे प्रेरित होकर मध्यप्रदेश में भी उद्यानिकी फसलों के लिए प्रौद्योगिकी के सहयोग से उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने की योजना तैयार की जा रही है।
पीएम ने दो साल पहले समर्पित किया था सुसज्जित उत्कृष्टता केंद्र
 किसानों को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने एवं उनकी आमदनी में बढ़ोतरी करने के लिए गुजरात के कच्छ में सेंटर आफ एक्सीलेंस को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और इजरायल के तत्कालीन प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने वीडियो लिंक के जरिए जिले के कुकामा स्थित खजूर उत्कृष्टता केंद्र को संयुक्त रूप से डिजिटल रूप से दो साल पहले किसानों को समर्पित किया था।  इस केंद्र में अच्छी तरह से सुसज्जित प्रशिक्षण हॉल, कोल्ड स्टोरेज के साथ पैक हाउस एवं पराग भंडारण – 21 डिग्री सेल्सियस,
पराग परीक्षण प्रयोगशाला के साथ ही यहां उगाए गए पौधों को सख्त करने के लिए नेट हाउस जैसी सुविधाएं हैं। उल्लेखनीय है कि पूरे गुजरात में अब तक तीन हजार से अधिक किसानों को यहां प्रशिक्षण दिया जा चुका है। प्रशिक्षण में नर्सरी प्रबंधन, सिंचाई, फर्टिगेशन, परागण, गुच्छों की देखभाल, कटाई और कटाई के बाद की गतिविधियों से निपटने जैसी पहलू शामिल है। खास बात यह है कि इस केंद्र में मौसम केंद्र भी है। जहां से पानी के दैनिक वाष्पीकरण को मापा जा सकता है। उसके अनुसार ही इस केंद्र द्वारा प्रबंधित खजूर किसान के व्हाट्सएप के माध्यम से खजूर किसान के बीच दैनिक सिंचाई भी सलाह दी जा रही है। बता दें कि किसानों के बीच दो तरफा बातचीत के लिए व्हाट्सएप ग्रुप मुख्य उपकरण है।
जानें क्या है भारत-इजराइल कृषि परियोजना
भारत-इजराइल कृषि परियोजना के तहत गुजरात के बागवानी विभाग ने खजूर के लिए कच्छ जिले के भुज शहर से 12 किलोमीटर दूर उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना की गई थी। खास बात है कि इस केंद्र में इजराइल प्रोटोकोल के तहत किसानों को प्रशिक्षित किया जाता है। चार हेक्टेयर भूमि पर स्थापित इस केंद्र में 2.25 हेक्टेयर भूमि का उपयोग खजूर की फसल के प्रदर्शन के लिए किया जा रहा है। जिसमें 9.9 मीटर की दूरी पर 3.5 वर्ष पुराने 262 टिश्यू कल्चर्ड खजूर के पौधे हैं। इनमें से 17 पौधे एडीपी-1 (लाल फल) किस्म के हैं वहीं 245 बरही (पीले फल) किस्म के हैं। सभी पौधों को ड्रिप सिंचाई और प्लास्टिक मल्चिंग प्रदान की जाती है जिसके परिणामस्वरूप खरपतवार वृद्धि और पानी के वाष्पीकरण को रोककर पानी और पोषक तत्वों का बेहतर उपयोग होता है। यह सौ फीसदी ड्रिप सिंचाई और प्लास्टिक मल्चिंग तकनीक वाले खजूर का भारत का एकमात्र फार्म है।
सरकार देती है वित्तीय सहायता
बताया गया है कि कच्छ में पिछले महीने ही 55 मीट्रिक फलों की पहली फसल काटी गई है। खजूर के ऊतक  संवर्धित पौधों की कीमत लगभग तीन हजार सात सौ पचास रुपए पौधा है। एक हेक्टेयर क्षेत्र में पौधारोपण के लिए 125 पौधों की आवश्यकता होती है। जिसके परिणाम स्वरूप पांच लाख रुपए का शुरुआती निवेश है। यही वजह है कि किसानों को खजूर की खेती के लिए प्रोत्साहित करने के लिए बागवानी विभाग गुजरात वित्तीय सहायता देता है।

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