2023 के सेमीफाइनल की तैयारी में शिव सरकार

 शिव सरकार
  • यूपी पंचायत चुनावों के परिणामों को देखते हुए  प्रदेश सरकार ने  प्रत्यक्ष प्रणाली  से  स्थानीय निकाय के चुनाव कराने का फैसला पलटा

    भोपाल/राजीव चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। मध्य प्रदेश में 2023 में होने वाले विधानसभा आम चुनाव के पहले प्रदेश सरकार नगरीय निकाय चुनाव के बहाने सेमीफाइनल में अपनी ताकत का आंकलन करने की तैयारी में जुट गई है। वर्तमान में प्रदेश के ऐसे 347 नगरीय निकाय हैं जिनमें चुनाव कराए जाने हैं।
    खास बात यह है कि इसकी तैयारी राज्य चुनाव आयोग द्वारा शुरू किए जाने के साथ ही राजनैतिक रूप से भी तैयारियां शुरू हो गई हैं। इस बार सरकार द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से महापौर और अध्यक्ष का चुनाव कराए जाने का निर्णय लिया गया है। इसकी वजह से निर्वाचित हुए पार्षद में से ही इन पदों पर चयन किया जाएगा। दरअसल यह नियम पूर्व की कमलनाथ सरकार में बनाया गया था। हालांकि भाजपा सरकार बनने के बाद नाथ सरकार के इस फैसले को पलटने के लिए सरकार ने अध्यादेश जारी कर प्रत्यक्ष पद्धति से चुनाव कराने का निर्णय लिया था किंतु उत्तर प्रदेश के पंचायत चुनावों के परिणामों को देखते हुए सरकार ने अब अपना फैसला पलटने की तैयारी कर ली है।
    समाप्त हो चुकी है अध्यादेश की अवधि
    नगरीय निकाय के चुनाव को लेकर भाजपा व कांग्रेस के अलावा अन्य दावेदारों द्वारा अपनी-अपनी रणनीति पर काम शुरू कर दिया है। इस चुनाव को सत्ता के लिए सेमीफाइनल के रूप में देखे जाने की वजह से भाजपा और कांग्रेस हर हाल में जीत तय करने की रणनीति बनाने में जुट गई है। दरअसल अप्रत्यक्ष पद्धति से चुनाव कराने का फैसला बीते साल तत्कालीन कांग्रेस की कमलनाथ सरकार ने लिया था। इस फैसले के दो माह बाद ही उनकी सरकार गिर गई थी। इसके बाद भाजपा की सरकार बनने के बाद पुरानी प्रत्यक्ष पद्धति से चुनाव कराने के लिए अध्यादेश जारी किया  था, लेकिन अध्यादेश की तय अवधि 6 महीने में भाजपा संगठन में इस पर आम राय नहीं बन सकी। यही वजह है कि इसको लेकर सरकार ना तो दूसरा अध्यादेश लाई और ना ही इस पर अन्य कोई निर्णय ही लिया। यही वजह है कि 4 जून 2021 को इस अध्यादेश की अवधि पूरी होने से तय हो गया कि अप्रत्यक्ष पद्धति से ही चुनाव होंगे ।
    पार्षद पद के टिकटों के लिए लॉबिंग शुरू
    निकाय चुनावों में पहले पार्षद चुने जाएंगे इसके बाद महापौर व अध्यक्ष का निर्वाचन होगा। यही वजह है कि अब सभी दावेदारों का पूरा जोर पार्षद पद के टिकटों के लिए लगाया जा रहा है। खासतौर पर भाजपा व कांग्रेस में अभी से पार्षद का टिकट पाने के लिए लॉबिंग शुरू हो गई है। प्रदेश में बीते कुछ चुनाव प्रत्यक्ष पद्धति से होने की वजह से पार्षदों की कोई खास पूछ परख नहीं होती थी , लेकिन अब इस बार स्थिति अलग रहने वाली है। यही वजह है कि इस बार बीते सालों की तुलना में पार्षद पद के दावेदारों ने अभी से तैयारियां शुरू कर दी हैं।
    प्रदेश में इन निकायों में होने हैं चुनाव
    प्रदेश में कुल 407 नगरीय निकाय हैं। इनमें 16 नगर निगम 99 नगर पालिका व 292 नगर परिषद हैं। इनमें कुल एक करोड़ 69 लाख 16000 मतदाता है। इसमें से 60 निकायों का कार्यकाल अभी बचा हुआ है। इस वजह से कुल 347 निकायों में चुनाव कराया जाना है। हालांकि इनमें से 69 नगरी निकायों में महापौर व अध्यक्षों के आरक्षण का मामला हाईकोर्ट में लंबित चल रहा है। इसकी वजह से उनमें भी चुनाव न होने की स्थिति बनी हुई है। इसी तरह से सतना जिले के मैहर व रायसेन जिले के मंडीदीप तथा अशोकनगर के ईसागढ़ का कार्यकाल अगले माह अगस्त में पूरा हो रहा है इससे ऐसे में निर्वाचन आयोग इन तीनों निकायों में भी चुनाव कराने की तैयारी कर रही है।
    दो चरणों में कराए जाएंगे चुनाव
    प्रदेश में निकाय चुनाव दो चरणों में कराने की तैयारी की जा रही है। पहले चरण में 155 निकायों के 3256 वार्डों में और दूसरे चरण में 192 निकायों के 3248 वार्डों में चुनाव होंगे। इन में क्रमश: 12419 व 7536 मतदान केंद्र बनाए जा रहे हैं। राज्य निर्वाचन आयोग ने इनमें से  3830 मतदान केंद्रों को संवेदनशील माना है, जबकि 541 मतदान केंद्रों को अति संवेदनशील माना है। इसमें जबलपुर जिले की जानकारी शामिल नहीं है। 

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