मप्र की मनमर्जी पर केन्द्र ने लगाया ब्रेक, याद दिलाए नियम

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भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। हाल ही में राज्य सरकार द्वारा डीएमएफ (डिस्ट्रिक्ट मिनरल फाउंडेशन) की राशि अपने हिसाब से खर्च करने को लेकर किए गए निर्णय पर केन्द्र सरकार ने ब्रेक लगा दिया है। इसके साथ ही केन्द्र सरकार द्वारा एक पत्र लिखकर इसके लिए तय नियमों को भी याद कराया गया है।
दरअसल राज्य सरकार ने इस फंड की राशि को संबंधित जिलों से बुलाकर उसे राज्य के खजाने में जमा कराने का फैसला किया था। यही नहीं खजाने में यह राशि आने के बाद उसे सरकार अपने हिसाब से खर्च करने की भी तैयारी पूरी कर चुकी थी। यह जानकारी मिलने के बाद केन्द्र सरकार द्वारा पत्र लिखकर दिए गए  निर्देश में कहा गया है कि यह राशि सिर्फ संबंधित जिले में ही विकास के कामों में खर्च की जा सकती है। निर्देशों में याद दिलाया गया है कि डीएमएफ की राशि का उपयोग जिलों में माइनिंग से आने वाली राशि जिले का ही विकास करने के लिए केंद्र सरकार के खनन मंत्रालय ने प्रावधान पहले से ही किए हुए हैं।
जिसके खर्च के लिए कलेक्टर की अध्यक्षता में एक कमेटी भी गठित है। यह कमेटी ही जिले के विकास के लिए तय मापदंडों के आधार पर राशि मंजूर करती है। गौरतलब है कि बीते सालों में तो इस मद की राशि का उपयोग कुछ जिलों के कलेक्टरों ने शॉपिंगमाल और अन्य कार्यों में करने तक की मंजूरी दी गई थी, तब भी केंद्र सरकार ने  इस पर आपत्ति जारी की थी, जिसके बाद ही राज्य सरकार को कलेक्टरों के यह फैसले बदलवाने पड़े थे। दरअसल जारी निर्देशों में साफ कहा गया है कि जहां माइंस हैं वहां के लोगों की शिक्षा, स्वास्थ्य से जुड़ी सेवाओं के अलावा ऐसे लोगों के जीवन स्तर में सुधार पर ही इस राशि को खर्च किया जा सकता है। इस राशि को आधुनिकीकरण के नाम पर खर्च नहीं किया जा सकता है।
अब लौटानी होगी 697 करोड़ की राशि
उधर राज्य सरकार केंद्र के इस आदेश के पहले ही इस फंड में जिलों में जमा 3671 करोड़ से अधिक की राशि में से 697 करोड़ राज्य सरकार के खाते में जमा करा जा चुकी है। केंद्र के इस निर्देश के बाद अब यह राशि राज्य सरकार को वापस डीएमएफ खाते में जमा करनी होगी। प्रदेश में जिन जिलों में डीएमएफ की सर्वाधिक राशि जमा होती है, उसमें सिंगरौली, अनूपपुर, कटनी, बालाघाट, उमरिया समेत अन्य जिले शामिल हैं।
केंद्र ने यह दिया हवाला
इस मामले में केंद्रीय खनिज मंत्रालय की संयुक्त सचिव डॉ. डी. वीना कुमारी ने 12 जुलाई को खनिज डेवलपमेंट एंड रेगुलेशन एक्ट डी 1957 के उपसेक्शन 3 के सेक्शन-9 बी के हवाले से निर्देश दिए हैं कि कुछ राज्यों में डीएमएफ की राशि का उपयोग प्रावधान से हटकर दूसरे कामों या योजनाओं में किया जा रहा है। इसके अलावा पता चला है कि कुछ राज्यों में डीएमएफ के फंड को राजकोष या राज्य स्तरीय फण्ड जैसे मुख्यमंत्री राहत कोष में सीधे जमा किया जा रहा है। ऐसा करना केंद्र के कानून के विरुद्ध है। इसमें यह भी कहा गया है कि कलेक्टर अपने स्तर पर किसी दूसरे जिले या राज्य के विकास के नाम पर भी राशि ट्रांसफर नहीं कर सकेंगे।
एमपी, गुजरात सहित तीन राज्यों को दिए निर्देश
केंद्र सरकार द्वारा यह आदेश जिन राज्यों को दिया है उनमें मध्यप्रदेश, झारखंड और गुजरात शामिल हैं। इन राज्यों ने जिलों को मिल रहे डीएमएफ फंड में से 5 करोड़ से अधिक की राशि की स्वीकृति के अधिकार मंत्रालय या राज्य स्तरीय मॉनिटरिंग कमेटी को दे दिए हैं। एमपी में पिछले दिनों यह मामला कैबिनेट में भी आया था।

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