
भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। राज्य सरकार ने प्रदेश में लाखों टन धान की मिलिंग के लिए आखिरकार प्रोत्साहन नीति बदली दी है। यही वजह है कि अब प्रदेशभर के मिलर्स धान की मिलिंग करने तैयार हो गए हैं। पूर्व में लंबे समय से प्रोत्साहन राशि बढ़ाए जाने को लेकर मिलर्स आनाकानी कर रहे थे।
सूत्रों के मुताबिक फिलहाल मिलिंग की प्रोत्साहन नीति में जो बदलाव किया गया है उसके बाद मिल संचालकों द्वारा करीब 23 लाख टन से अधिक के धान की मिलिंग करने के लिए सहमति हो गई है। साथ ही मिल संचालकों ने कुछ विकल्प राज्य नागरिक आपूर्ति निगम को दिए हैं। दूसरी ओर खाद्य नागरिक आपूर्ति विभाग ने जिला अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि मिलर के साथ तीन दिन में मिलिंग के लिए अनुबंध कर लिए जाएं। यदि कोई मिलर अनुबंध नहीं करता है तो उसके खिलाफ आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी। उल्लेखनीय है कि मिलर्स द्वारा ऑनलाइन विकल्प राज्य नागरिक आपूर्ति निगम को दिए गए हैं। अब मिलर को अनुबंध करके तेजी के साथ चावल बना कर देना होगा। यही नहीं अब हर रोज मिलिंग की क्षमता के आधार पर धान दी जाएगी। खास बात है कि वहीं जहां मिलिंग की क्षमता ज्यादा है और मिलिंग के लिए धान कम है, वहां अन्य जिलों की धान लाकर मिलिंग की अनुमति दी जाएगी। वहीं, अब बाकी बची हुई धान की मिलिंग के लिए ऑफलाइन विकल्प देने होंगे। हालांकि यह व्यवस्था सिर्फ वर्ष 2020-21 की धान मिलिंग के लिए ही रहेगी। राज्य नागरिक आपूर्ति निगम के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मिलिंग के लिए चार विकल्प दिए गए थे। इसमें प्रति क्विंटल धान की मिलिंग पर पचास रुपये प्रति क्विंटल प्रोत्साहन राशि के साथ अपग्रेडेशन के लिए पचास से लेकर दो सौ रुपये प्रति क्विंटल तक राशि अतिरिक्त तौर पर दी जाएगी।
मिलिंग संचालकों ने चुने ये विकल्प
बताया जा रहा है कि अधिकांश मिलर ने राज्य नागरिक आपूर्ति निगम को अस्सी फीसद और भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) को बीस प्रतिशत चावल देने का विकल्प चुना है। इसमें उन्हें 50 रुपये प्रति क्विंटल प्रोत्साहन राशि और इतनी ही राशि अपग्रेडेशन के लिए मिलेगी। इसके अलावा अन्य विकल्प में चालीस प्रतिशत चावल राज्य निगम और साठ प्रतिशत एफसीआई को देने पर प्रोत्साहन राशि के अतिरिक्त प्रति क्विंटल डेढ़ सौ रुपये, पूरा चावल एफसीआई को देने का विकल्प चुनने पर प्रोत्साहन के अलावा दो सौ रुपये प्रति क्विंटल अपग्रेडेशन राशि देने का प्रविधान है।
जिस जिले की मिलिंग क्षमता ज्यादा है वहां अन्य जिलों की धान भेजी जाएगी
धन की मिलिंग के लिए युक्तियुक्तकरण की व्यवस्था भी की जा रही है। राज्य नागरिक आपूर्ति निगम के प्रबंध संचालक अभिजीत अग्रवाल के मुताबिक मिलर्स को प्रतिदिन मिलिंग की क्षमता के आधार पर धान दी जाएगी। रायसेन सहित ऐसे जिले जहां मिलिंग की क्षमता अधिक है और धान कम, वहां अन्य जिलों से धान लाकर मिलिंग करने की अनुमति दी जाएगी। उन्होंने बताया कि मिलर्स ने ऑनलाइन विकल्प दे दिए हैं। इसके अनुसार 23 लाख टन से अधिक धान की मिलिंग के विकल्पों को फाइनल किया जा रहा है। अनुबंध करने के बाद अब मिलर्स को तेजी के साथ चावल बनाकर देना होगा। मिल संचालकों को शेष धान की मिलिंग के लिए अब ऑफलाइन विकल्प देने होंगे। मिलिंग के लिए केंद्र सरकार ने अक्टूबर 2021 तक अनुमति दी है।