
-कोरोना की वजह से लगाए गए कर्फ्यू के दौरान व्यावसायिकप्रतिष्ठान , शादी-समारोह बंद होने से पड़ा असर
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। कोरोना की दूसरी लहर के प्रकोप से निपटने के लिए प्रदेश के सभी जिलों में लगाए गए कोरोना कर्फ्यू के कारण परिवहन विभाग को अरबों रुपए के राजस्व की हानि हुई है। यही वजह है कि अब अनलॉक होते ही विभाग का जोर अधिक से अधिक राजस्व संग्रहण पर रहेगा। एक अनुमान के मुताबिक 9 अप्रैल से 31 मई तक लगाए गए कर्फ्यू की वजह से तकरीबन 244 करोड़ के राजस्व का नुकसान परिवहन विभाग को हुआ है। वहीं प्रदेश अभी पूरा अनलॉक नहीं हुआ कुछ जिलों में अभी भी कर्फ्यू जारी है।
यही नहीं प्रदेश में अनलॉक के बाद भी तीसरी लहर की संभावना के चलते पाबंदियों की सख्ती जारी रहने वाली है। अंतरराज्यीय बसों, जिलों के साथ ही नगर परिवहन सेवा भी बंद है। इसके बावजूद कोरोना कर्फ्यू की विपरीत परिस्थितियों में भी परिवहन विभाग के अफसर लक्ष्य की पूर्ति में जुटे रहे। लेकिन अब भी इस साल का राजस्व संग्रहण पिछले साल की तुलना में कई गुना पीछे है।
व्यावसायिक गतिविधियां बंद होने का असर
उल्लेखनीय कोरोना के चलते देशभर में के अधिकांश शहरों के बाजार और व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद है। बाजारों से सामान की खपत में भारी कमी के चलते इसकी आपूर्ति करने वाले ट्रकों डंपर और अन्य मालवाहक वाहनों का संचालन बंद है। यही नहीं ज्यादातर शहरों में शासकीय और निजी निर्माण के कार्य भी लगभग पूरी तरह ठप है। इस कारण निर्माण कार्यों में उपयोग होने वाली सामग्री लोहा, सीमेंट और रेत आदि अन्य सामग्री का परिवहन भी अन्य राज्यों व दूसरे शहरों के लिए लगभग बंद जैसा ही है। कोरोना संक्रमण की भयावहता को देखते हुए प्रशासन ने की शादी समारोहों पर भी रोक लगा दी है या बहुत सीमित संख्या में अनुमति के साथ यह समारोह सम्पन्न हो रहे हैं। दूसरी ओर मार्केट नहीं खुलने से विवाह समारोह में खपत होने वाले सामान की परचेजिंग, उपहार सामग्री जैसे एयर कंडीशन, टीवी, फ्रिज, वाशिंग, मशीन मिक्सी कूलर अलमारी कार दो पहिया वाहन आदि सामान की खबर का मार्केट भी एक दम ठप है। कोरोना की दूसरी लहर के प्रभाव को रोकने के लिए विभाग ने मध्य प्रदेश की सीमा से सटे पांच राज्यों में से गुजरात सीमा को छोड़कर अन्य शीर्ष 4 राज्यों उत्तर प्रदेश राजस्थान महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ के बीच बसों का संचालन करीब डेढ़ माह से बंद है। जिला व संभागीय कार्यालय में सीमित कर्मचारियों के साथ ही सिर्फ कार्यालयीन कार्य किए गए। इस कारण गाड़ियों की फिटनेस, लाइसेंस, नवीनीकरण, वाहन पंजीयन, नामांतरण आदि नहीं होने के कारण भी परिवहन विभाग को राजस्व का नुकसान हुआ है।
2019 की तुलना में नुकसान ज्यादा हुआ
इस वित्तीय वर्ष की शुरूआत में अप्रैल 2021 में परिवहन विभाग का राजस्व संग्रहण कुल 150.78 करोड़ रुपए हुआ है जबकि मई माह के अंतिम सप्ताह तक 33.75 करोड़ रुपए का ही राजस्व संग्रहण संग्रहण हो सका है। यदि पिछले वित्तीय वर्ष 2020-21 की बात करें तो अप्रैल माह में परिवहन विभाग का कुल राजस्व संग्रहण 7.33 करोड़ रुपए ही हो सका था जबकि वर्ष 2020-21 के मई महीने के आखरी सप्ताह तक कुल राजस्व संग्रहण 17.30 करोड रुपए था। इस तरह पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में विभाग ने इस वर्ष अप्रैल माह में 20.57 गुना ज्यादा राजस्व संग्रहण किया है। इसी प्रकार वर्ष 2019 के मई महीने के अंतिम सप्ताह तक हुए राजस्व संग्रहण 166.02 करोड की तुलना में भी इस वर्ष मई महीने के आखरी सप्ताह तक 132.45 करोड़ कम राजस्व का संग्रहण हो सका है। बहरहाल विश्वव्यापी कोरोना महामारी के चलते परिवहन विभाग को वर्ष 2019 की तुलना में लगभग पौने दी महीने में ही तकरीबन 244 करोड़ के राजस्व का नुकसान हो चुका है।
कार्यालय के काम भी रहे ठप
बता दें कि प्रदेश में इसी माह यानी एक जून से कोरोना से राहत मिलना शुरू हुई है। हालांकि भारी मालवाहक वाहनों जैसे ट्रक, डंपर और कंटेनर के संचालन में आई तीस फीसदी की गिरावट के व्यवस्थित संचालन में समय लगेगा। संभवत: 15 जून के बाद ही संभागीय और जिला कार्यालयों में कामकाज व्यवस्थित हो सकेगा। पिछले साल भी 2020 में यह तीन महीने राजस्व संग्रहण की दृष्टि से बहुत खराब रहे थे। पिछले वित्तीय वर्ष में लॉकडाउन से 105 करोड़ राजस्व संग्रहण किया था। कोरोना के चलते लंबे समय तक विभागीय गतिविधियां बंद थी इसके बावजूद विभाग ने निर्धारित लक्ष्य से 105 करोड़ रुपया अधिक का राजस्व संग्रहण किया था। इस बार भी विभागीय अधिकारियों का कहना है कि कोरोना का प्रभाव कम होते ही जब कर्फ्यू पूरी तरह से हट जाएगा तो विभिन्न विभागीय माध्यमों से ज्यादा से ज्यादा राजस्व संग्रहण का प्रयास किया जाएगा।