जमीनी विवाद मिटाने बनाया जाएगा एक लैंड रिकॉर्ड

लैंड रिकॉर्ड

भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। विभिन्न सरकारी विभागों के बीच समय-समय पर जमीनों को लेकर होने वाले विवाद की स्थिति न बने इसके लिए अब राज्य सरकार द्वारा एक इंटीग्रेटेड लैंड रिकॉर्ड तैयार करने की योजना बनाई जा रही है। खास बात यह है कि इसका उपयोग विकास कार्यों से जुड़े सभी विभागों द्वारा किया जाएगा। इसमें प्रमुख तौर पर राजस्व, नगरीय प्रशासन, भू अभिलेख, टाउन एंड कंट्री प्लानिंग, पंजीयन विभाग जैसे विभाग शामिल हैं। इन सभी विभागों द्वारा एक ही लैंड रिकॉर्ड का उपयोग करने से विवाद की स्थिति से मुक्ति मिल जाएगी। इस रिकार्ड को तैयार करने की समय सीमा दो साल की तय की गई है। इसके लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया है। जिसमें आयुक्त भू अभिलेख, प्रमुख राजस्व आयुक्त, आयुक्त नगरीय प्रशासन, टाउन एंड कंट्री प्लानिंग और मैप आईटी के अफसरों को शामिल किया गया है। इस सर्वे में मैप आईटी विभाग को इंटीग्रेटेड लैंड रिकॉर्ड तैयार करने के सर्वे के लिए कॉमन जानकारियों के बिन्दु बताने का जिम्मा दिया गया है। इसके साथ ही यह भी तय किया गया है कि भविष्य में जब भी राजस्व विभाग अपने रिकॉर्ड को कंप्यूटरीकृत और अपडेट करने के लिए सर्वे करेगा तो उसमें भी अन्य विभाग शामिल रहेंगे। यह इंटीग्रेटेड लैंड रिकॉर्ड तैयार होने का यह फायदा होगा कि सारे विभाग एक ही डेटाबेस का उपयोग करेंगे तो किसी भी प्रकार के विवाद की स्थिति नहीं बनेगी। सब जगह एक जैसा रिकॉर्ड  होने की वजह से रिकॉर्ड ना मिलने, एक जमीन दूसरे के नाम पर होने और मौके पर जमीन उपलब्ध ना होने जैसी समस्याएं खुद व खुद समाप्त हो जाएंगी।
अभी अलग-अलग लैंड रिकॉर्ड
अभी तक विभागों के अपने-अपने लैंड रिकॉर्ड हैं। इनमें कई असमानताएं होने की वजह से विवाद की स्थिति बनती रहती है। राजस्व विभाग अपना अलग लैंड रिकॉर्ड, भूमि के नक्शे, खसरे तैयार करता है। वहीं नगरीय प्रशासन विभाग शहरी क्षेत्रों में विकास योजनाओं के लिए अलग लैंड रिकॉर्ड का उपयोग करता है। जमीनों और संपत्तियों की खरीदी बिक्री के लिए पंजीयन विभाग का अपना अलग रिकॉर्ड होता है। टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग भी अपना अलग डाटाबेस रखकर उसके आधार पर विकास योजनाएं बनाता है। इसकी वजह से कई बार दिक्कतें आती है, एक विभाग का रिकॉर्ड दूसरे विभाग से मैच नहीं होने की वजह से विवाद होता है। शहरी इलाकों के ऐसे अधिकांश मामले कोर्ट में भी जाते हैं। यही वजह है कि अब राज्य सरकार ने प्रदेश का एक इंटीग्रेटेड लैंड रिकॉर्ड तैयार करने का तय किया है।  
सर्वे में किया जाएगा ड्रोन का इस्तेमाल
लैंड रिकॉर्ड तैयार करने के सर्वे में ड्रोन का उपयोग किया जाएगा। इसके आधार पर ही खसरे और नक्शे तैयार होंगे और इनका दस्तावेजी करण डिजिटल रूप से भी किया जाएगा। इसमें वे सभी जानकारियां होंगी जो अलग-अलग विभागों को अपने-अपने कामों के लिए जरूरी होती है। ड्रोन सर्वे से आबादी क्षेत्र में दीवार, खेतों की मेड़, सडक, नाले, गली और बनाए गए मकानों की स्थिति स्पष्ट आ सकेगी इससे राजस्व अमले को काम के दौरान क्षेत्रफल आंकलन में दिक्कत नहीं होती है।

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