
400 पद खाली होने के बाद भी नहीं की जा रही हैं भर्तियां
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में एक तरफ सरकार उद्यानिकी विभाग पर केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं के क्रियान्वयन का भार बढ़ाते जा रही है, वहीं दूसरी तरफ विभाग कर्मचारियों की कमी से जूझ रहा है। इसका परिणाम यह हो रहा है कि किसान कल्याणकारी संबंधी योजनाओं का क्रियान्वयन समय से नहीं हो पा रहा है। कलेक्टरों के माध्यम से डिपाटमेंट को पद पूर्ति के लिए अवगत कराया जा रहा है। उसके बाद भी भर्ती प्रक्रिया में विभाग गंभीर नहीं है।
गौरतलब है कि उद्यानिकी विभाग में सरकार विभिन्न योजनाओं से किसानों को प्रगति के पायदान ले जाना चाहती है, लेकिन वहां मेन पावर की कमी से हालात सुधरने की बजाय बिगड़ रहे हैं। जिलों से निरंतर विभाग को मैदानी रिपोर्ट प्रेषित की जा रही है। उसके बाद भी रिक्त पदों पर भर्तियों के लिए कोई सक्रियता नहीं दिखाई जा रही है। मप्र में करीब चार सौ उद्यान हैं। जहां केन्द्र और राज्य के मद से पीएम कृषि सिंचाई, फालोद्यान, आरकेव्हीवाई, हार्टिकल्चर सहित अनेक योजनाओं का संचालन हो रहा है। इन पर बड़ी धनराशि खर्च हो रही है। रिटायर्ड वरिष्ठ उद्यान विस्तार अधिकारी राजेन्द्र शर्मा का कहना है कि हम लोग मांग करते करते रिटायर्ड हो गए हैं। कलेक्टरों के माध्यम से भी पत्र लिखवाये गये, लेकिन विभाग ने भर्ती प्रक्रिया पर कोई ध्यान नहीं दिया। जिससे डिपार्टमेंट में सभी योजनाओं का कार्य प्रभावित हो रहा है।
मुख्यालय से लेकर ब्लॉक स्तर तक पद खाली
जानकारों का कहना है कि उद्यानिकी विभाग में स्थिति यह है कि मुख्यालय से लेकर ब्लाक स्तर तक पद खाली हैं। जिससे किसान कल्याणकारी संबंधी इन योजनाओं का क्रियान्वयन समय से नहीं हो पा रहा है। मौजूदा अधिकारी कर्मचारियों की माने तो यह हालात होने के कारण योजनाओं की समय पर निगरानी नहीं हो पा रही है। इससे शासन की किसान हितैषी जो मंशा है। उन उम्मीदों पर पानी फिर रहा है। मैदानी स्तर पर अधिकारी कर्मचारियों की कमी से अनेक परेशानियां सामने आ रही हैं। जिन उद्यानों में किसानों के लिए विभिन्न फलों संबंधी पौधे तैयार किए जाते हैं। वहां मालियों की कमी से उत्पादन प्रभावित हो रहा है। कितने किसान शासन की योजनाओं से लाभान्वित हो रहे हैं। उनकी समय पर निगरानी नहीं हो रहा है। कारण है कि वर्तमान अधिकारियों के कंधों पर क्षमता से अधिक काम है।
योजनाओं का क्रियान्वयन प्रभावित
विभाग में मौजूदा और रिटायर्ड होते अधिकारी कर्मचारी कहते हैं कि वर्ष 2013 में विभाग ने युक्तिकरण प्रक्रिया से निम्न श्रेणी लिपिकों के 550 पद खत्म कर दिए थे। इनकी जगह कम्प्यूटर ऑपरेटरों को रखा गया था। अब स्थिति देखें कि बाबुओं की तरह ऑपरेटर पूरा काम ऑनलाइन संभाल रहे है। जबकि इनका वेतन 20 हजार से ऊपर नहीं है। जबकि समान काम है तो इन्हें वेतन भी उसी अनुपात में दिया जाना चाहिए। फील्ड में उद्यान अधिकारी कहते हैं कि हैं कि अनेक जिलों से कलेक्टर विभाग को पत्र लिख चुके। इसमें यह डिमांड प्रमुखता से की गई कि कर्मचारी चयन मंडल से अविलंब भर्ती परीक्षा से पद पूर्ति की जाए। दो साल से कलेक्टर डिमांड कर रहे हैं। जिलों के प्रवास पर पहुंच रहे डिपार्टमेंट मंत्री को भी यही समस्या बताई जा रही है, लेकिन आज तक विभाग कर्मचारी चयन मंडल को प्रस्ताव नहीं भेज पाया है। रिटायर्ड सहायक संचालक उद्यानिकी विभाग एसके शर्मा का कहना है कि विभाग में केन्द्र और राज्य सरकार के मद से जितनी भी किसान कल्याण संबंधी योजनाएं चल रही है। बल के अभाव में उनका पारदर्शी क्रियान्वयन नहीं हो पा रहा है। इससे शासन का ही नुकसान हो रहा है।