
- मप्र में भ्रष्टों पर कसी जा रही है नकेल
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में भ्रष्टों के खिलाफ सरकार सरकार की सख्ती नजर आने लगी है। डॉ. मोहन यादव ने मुख्यमंत्री बनने के साथ ही भ्रष्टों के खिलाफ अभियान चलाने की कवायद तेज कर दी है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इस साल सरकार ने 29 फरवरी तक 29 मामलों में चलान पेश करने की अनुमति दे दी है। सरकार के इस कदम से भ्रष्टों में हडक़ंप मचा हुआ है। हालांकि विगत वर्ष भी 267 प्रकरणों में आरोपियों के खिलाफ चालान पेश किए गए।
गौरतलब है कि प्रदेश में भ्रष्टों के खिलाफ केस तो दर्ज हो जाते हैं, लेकिन उनके खिलाफ चालान पेश करने की अनुमति नहीं मिल पाती है। इस कारण लोकायुक्त में सालों पुराने मामले पेंडिंग पड़े हुए हैं। लेकिन अब मप्र सरकार इस दिशा में ताबड़तोड़ फैसले लेने लगी है। सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद अब लोकायुक्त में भ्रष्टों की फाइल खोल दी गई हैै। वहीं ऐसे करीब 280 अफसर हैं, जिनके खिलाफ ईओडब्ल्यू को शिकायत मिली है। लोकायुक्त संगठन को ऐसे 280 अधिकारी कर्मचारियों के खिलाफ जांच शुरू करने का इंतजार है। इजाजत नहीं मिलने की वजह से भ्रष्टाचार के 15 केस 11 साल से लंबित हैं। सबसे ज्यादा नगरीय आवास और विकास विभाग के लगभग 31 मामले लंबित हैं। सामान्य प्रशासन विभाग और पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के 29-29 मामले लंबित हैं। वहीं राजस्व विभाग के 25 और स्वास्थ्य विभाग के 17 मामले लंबित हैं। अभियोजन स्वीकृति समय पर नहीं मिलने के कारण चार्जशीट पेश करने में देर हो रही है। वैसे नियम के अनुसार अधिकतम 4 महीने में अभियोजन की स्वीकृति मिलनी चाहिए।
पिछले साल 287 चालान पेश: लोकायुक्त संगठन पुलिस ने साल 2023 में सबसे ज्यादा 287 प्रकरणों के आरोपियों के खिलाफ चालान पेश किए हैं। यह अब तक का रिकॉर्ड है। वर्ष 2023 में मध्यप्रदेश में विधानसभा का चुनाव था। चुनावी साल में राज्य सरकार ने भी चालान पेश करने की खूब अनुमतियां प्रदान की थी। साल 2024 में 29 फरवरी तक 29 मामलों में चालान पेश किए गए हैं। यह आंकड़ा भी बड़ा है, क्योंकि पहले साल के शुरुआती दो महीनों में बामुश्किल 15 प्रकरणों के आसपास चालान पेश किए जाते थे। सामान्य तौर पर राज्य सरकार पर आरोप लगता है कि वह अपने चहेते अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ चालान पेश करने की अनुमति नहीं देती है। खासतौर पर बड़ी मछलियों के खिलाफ तो बिल्कुल नहीं। साल 2023 में मध्यप्रदेश में विधानसभा का चुनाव था। इस कारण चुनावी साल के शुरुआत से नजर आने लगा था। राज्य सरकार ने भी चालान पेश नहीं करने की अनुमति देने के आरोपों से निकलने की कोशिश की थी। जांच एजेंसी ने पुराने प्रकरणों का निकाल करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ी है। लिहाजा उसी तेजी से राज्य सरकार से चालान पेश करने की अनुमतियां भी मांगी गई थी। राज्य सरकार ने चालान पेश करने की अनुमति देने में उतनी तेजी भले नहीं दिखाई हो, लेकिन काफी बड़ी संख्या लोकायुक्त संगठन पुलिस में अनुमति प्रदान की थी। इसका नतीजा यह था कि जांच एजेंसी ने पुराने प्रकरणों में चालान पेश करने का रिकार्ड बनाया है।
सीएम का सख्त रुख
मप्र में भ्रष्टाचार की समस्या को जड़ से उखाड़ने के लिए सरकार ने कमर कस ली है। मंत्रालयीन सूत्रों का कहना है की प्रदेशभर में अभी तक जितने अधिकारी कर्मचारी भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी में पकड़ाए हैं उसकी तहकीकात की जा रही है, ताकि उसके मूल को जाना जा सके। क्योंकि प्रदेश में बिना रुपए दिए कोई काम नहीं होता। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि प्रदेश में 9 साल में 1925 से अधिक घूसखोर अफसर पकड़ाए हैं। इस कारण लोग अब देश के हृदय प्रदेश मप्र को घूसखोर प्रदेश भी कहने लगे हैं।
केस कम दर्ज, चालान अधिक पेश
पिछले सालों की तुलना में लोकायुक्त पुलिस ने 2023 में नए मुकदमे कम दर्ज किए थे, लेकिन चालान ज्यादा पेश किए थे। साल 2022 में लोकायुक्त पुलिस ने 294 मामले दर्ज किए थे और चालान 210 प्रकरणों में पेश किया था। साल 2023 में 262 नए मुकदमे दर्ज किए गए थे, लेकिन चालान 287 प्रकरणों में पेश किया गया। साल 2024 में मध्यप्रदेश में नई सरकार अस्तित्व में आ गई है। नई सरकार भी चालान पेश करने की अनुमति देने में ज्यादा आनाकानी नहीं कर रही है। लोकायुक्त पुलिस के अफसरों की माने तो व्यवस्थित तरीके से प्रकरण बनाकर चालान पेश करने की अनुमति मांगी जाए, तो शासन से मिलती है। साल 2024 के शुरुआती दो माह में कुल 25 प्रकरण दर्ज किए गए हैं, लेकिन चालान 29 मामलों में मामलों में पेश किया गया है। पहले के सालों में प्रकरण दर्ज करने का आंकड़ा बड़ा होता था और चालान पेश करने की संख्या कम होती थी। साल 2023 और 2024 में जांच एजेंसी ने इस मिथक को तोड़ा है। लोकायुक्त महानिदेशक योगेश चौधरी का कहना है कि अपराध दर्ज होना और चालान पेश होना, यह सब रूटीन प्रक्रिया का हिस्सा है। मैं यह कोशिश जरूर कर रहा हूं कि पुराने लंबित प्रकरणों का निकाल किया जाए, उसमें काफी सफलता मिली है।