
गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। एक वक्त था जब भाजपा चाल, चरित्र और चेहरे की बात भी करती थी और उस पर अमल भी। लेकिन समय के साथ पार्टी पूरी तरह बदल गई है। आज स्थिति यह है कि पार्टी का चेहरा अब आयातित नेता बन गए हैं। जबकि पार्टी की परिपाटी में पनपे दरी बिछाने वाले नेताओं की पूछ-परख कम हो गई है। इसका परिणाम यह हो रहा है कि भाजपा के मूल कार्यकर्ता या तो घर बैठ गए हैं या फिर किसी अन्य पार्टी में भविष्य तलाश रहे हैं। यानी भाजपा में बाहर से आए नेता दमदार हो रहे हैं और अपने बेकाम।
मप्र में पिछले 1 जनवरी से लेकर अब तक कांग्रेस सहित दूसरी पार्टियों के करीब 1000 नेता भाजपा में शामिल हो चुके हैं। इससे मूल भाजपाईयों को अपना भविष्य खतरे में नजर आने लगा है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि भाजपा में दूसरी पार्टियों से आए नेता आज बड़े-बड़े पदों पर बैठ गए हैं। खासकर विंध्य क्षेत्र में तो आयातितों का ही दबदबा है। देश और प्रदेश में जब कांग्रेस की तूती बोलती थी, तब विंध्य समाजवादियों का गढ़ था। अब विंध्य इलाका भाजपा के गढ़ में तब्दील हो चुका है। विंध्य में भाजपा के तकरीबन सभी बड़े नेता दूसरे दलों से आए हैं। विंध्य में भाजपा के जितने बड़े नेता है, तकरीबन सब दूसरे दलों से आए है। भाजपा ने सीधी से डॉ. राजेश मिश्रा को टिकट दिया है। वे बसपा के रास्ते भाजपा में आए है। रीवा से जनार्दन मिश्रा भाजपा सांसद और मौजूदा प्रत्याशी है। वे समाजवादी पार्टी से भाजपा में आए है। सतना सांसद गणेश सिंह और शहडोल की सांसद हिमाद्री भी भाजपा प्रत्याशी है। गणेश जनता दल और हिमाद्री कांग्रेस से भाजपा में गई हैं।
भाजपा को अलविदा कह रहे भाजपाई
आयतित नेताओं का भाजपा में कब्जा होने के बाद से दरी बिछाकर संगठन को खड़ा करने वाले नेता अब एक-एक कर पार्टी छोड़ रहे हैं। पूर्व सांसद गोविंद मिश्रा, पूर्व विधायक केदारनाथ शुक्ला के बाद अब राज्यसभा सांसद अजय प्रताप सिंह ने भी पार्टी को अलविदा कह दिया है। तीनों नेताओं की गिनती खाटी संघी के तौर पर होती है। यह बात अलग है कि तीनों नेता किसी दूसरे दल में नहीं गए, लेकिन पार्टी छोडक़र घर बैठ गए हैं। जिस तरह से पार्टी का चेहरा रहे नेता घर बैठ रहे हैं, यह भाजपा जैसे दल के लिए चिंतनीय पहलू है। विंध्य में भाजपा नेताओं के घर बैठने का मामला इसलिए ताजा हो गया कि पार्टी के राज्यसभा सांसद अजय प्रताप सिंह ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने अपना एक लाइन का इस्तीफा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को भेजा है।
उन्होंने इस्तीफे में सिर्फ इतना लिखा कि पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से त्यागपत्र देता हूं। अजय प्रताप सिंह की जड़े भाजपा और संघ में काफी गहरी हैं। उनके पिता दधिबल सिंह की गिनती सीधी जिले के बड़े नेताओं में होती थी। उन्होंने खुद दरी और जाजम डालकर भाजपा को खड़ा किया था। यह बात भी उस दौर की है, जब कांग्रेस से लोहा लेना आसान नहीं होता था। दूसरे नेता गोविंद मिश्रा हैं। वे भाजपा टिकट पर विधायक और सांसद रहे हैं। उन्होंने भी पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया है। तीसरे नेता केदारनाथ शुक्ला है। वे दो सीटों से चार बार भाजपा के विधायक रहे हैं। मिश्रा और शुक्ला उस दौर में सांसद विधायक चुने गए थे, जब विंध्य में भाजपा जड़े जमाने के लिए संघर्ष कर रही थी। दोनों नेता पार्टी छोडक़र घर बैठ गए हैं, लेकिन कांग्रेस सहित किसी दूसरे दल में नहीं गए हैं। अजय प्रताप सिंह ने भी किसी दूसरे दल में जाने से इनकार किया है।
नेता भले किसी पार्टी में नहीं जाएं, लेकिन पार्टी के मूल नेताओं का घर बैठना भी भाजपा जैसे संगठन को चिंतन के लिए मजबूर करता है। विंध्य अब भाजपा का गढ़ है और इलाके में पार्टी की स्थिति काफी मजबूत है। इसलिए पार्टी एक-एक कर घर बैठने वाले नेताओं की परवाह नहीं करती है। पार्टी की मजबूती का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि विंध्य इलाके में लोकसभा की चार सीटें हैं और चारों मौजूदा सांसद भाजपा के हैं। इलाके में विधानसभा की कुल 30 सीटें हैं और उनमें से 25 सीटों पर भाजपा के विधायक हैं। दूसरा कारण यह भी है कि विंध्य में भाजपा के तमाम बड़े नेता दूसरे दलों से आए हैं। वे पार्टी में रच-बस गए हैं, इसलिए पार्टी आलाकमान को लगता है कि हमारी जड़े दूसरे दलों के नेताओं के कारण गहरी है। दूसरे दलों से भाजपा में आए नेता विधायक और सांसद के साथ तमाम अहम पदों पर बैठे हैं। इनमें मौजूदा उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम से लेकर बहुत सारे बड़े नेता शामिल हैं।
इन आयातितों को दबदबा
विंध्य क्षेत्र में भाजपा के जितने बड़े नेता हैं ,उनमें से अधिकांश आयातित हैं। जो नेता कांग्रेस से भाजपा में आए हैं, उनमें राजेंद्र शुक्ला उप मुख्यमंत्री, नागेंद्र सिंह गुढ़ विधायक, दिव्यराज सिंह विधायक, हर्ष सिंह पूर्व मंत्री, बिसाहूलाल सिंह विधायक,नारायण त्रिपाठी पूर्व विधायक, विश्वामित्र पाठक विधायक, रामलल्लू वैश्य पूर्व विधायक और हिमाद्री सिंह सांसद हैं। वहीं पूर्व विस अध्यक्ष गिरीश गौतम कम्युनिस्ट पार्टी से डॉ. राजेश मिश्रा पूर्व जिलाध्यक्ष बसपा, रीति पाठक विधायक गोंडवाना गणतंत्र पार्टी, शरदेंदु तिवारी पूर्व विधायक गोंडवाना गणतंत्र पार्टी, गणेश सिंह सांसद जनता दल, ज्ञान सिंह पूर्व सांसद जनता दल, जनार्दन मिश्रा सांसद समाजवादी पार्टी, शंकरलाल तिवारी पूर्व विधायक समाजवादी पार्टी, प्रदीप पटेल विधायक बहुजन समाज पार्टी और सिद्धार्थ तिवारी विधायक कांग्रेस आए हैं।