- समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी कर आत्मनिर्भर बनेंगी महिलाएं
विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। महिला सशक्तीकरण की दिशा में काम कर रही मप्र सरकार महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना चाहती है। डॉ. मोहन यादव सरकार द्वारा हर क्षेत्र में महिलाओं के लिए सक्षम और सुदृढ़ बनाने के प्रयास जारी है। इसके अंतर्गत महिला स्वसहायता समूहों का गठन और प्रशिक्षण उपरांत उपक्रमी गतिविधियों के माध्यम से आर्थिक रूप से सक्षम बनाते हुए समाज की आर्थिक गतिविधियों की मुख्यधारा से जोडऩे का प्रयास विशेष रूप से किया जा रहा है। इस कड़ी में इस बार भी महिलाओं को समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी का कार्य सौंपा जाएगा। यानी प्रदेश की ग्रामीण महिलाएं व्यापारियों की जगह लेंगी और सीधे किसानों से कृषि उत्पाद खरीदकर अपनी आमदनी भी बढ़ाएंगी। गौरतलब है कि पिछले कुछ साल से राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की महिला स्व सहायता समूहों को गेहूं उपार्जन का काम दिया जा रहा है। इस बार भी उन्हें यह काम दिया जाएगा। इस संबंध में खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग ने आदेश जारी कर दिए हैं। समूहों को इस साल खरीदी का काम देने को लेकर ऊहापोह की स्थिति बनी हुई थी। पिछले दिनों संगठनों की महिलाओं ने खाद्य मंत्री को ज्ञापन दिए थे। उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने चार साल पहले निर्णय लिया था कि ग्रामीण आजीविका मिशन की महिला समूहों को गेहूं और धान उपार्जन का काम दिया जाएगा।
पुरुषों के वर्चस्व को चुनौती
नारी तू नारायणी, इस जग का आधार… किसी रचना की इन पंक्तियों को सच साबित कर रही हैं मध्य प्रदेश की कुछ महिलाएं। हजारों की संख्या में इन महिलाओं की सक्रियता से पुरुषों का वर्चस्व समाप्त हो रहा है। हर वर्ष प्रदेश के 52 जिलों की 4500 से अधिक महिलाएं सीधे किसानों से कृषि उत्पाद खरीदती हैं। महिलाएं आत्मनिर्भर बनने के साथ-साथ घर का खर्च भी चला रही हैं। खरीद के दौरान सरकार की ओर से निर्धारित, न्यूनतम समर्थन मूल्य का पूरा ध्यान रखा जाता है। स्थानीय लोगों का मानना है कि महिलाओं के मोर्चा संभालने के बाद खरीद प्रक्रिया से करप्शन खत्म हो रहा है। सबसे उत्साहित करने वाली बात ये है स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं को रोजगार के अवसर मिल रहे हैं। कृषि उत्पाद खरीदने में महिलाओं के जुडऩे से किसानों और बाजार के बीच बिचौलिए की भूमिका में मुनाफाखोरी करने वाले प्राइवेट व्यापारियों पर शिकंजा कस रहा है। साहूकारों की धौंस खत्म होने का ही परिणाम है कि पूरे मध्य प्रदेश में अब तक चार सैकड़ा से अधिक महिला समूह सीधा किसानों से कृषि उत्पाद खरीदने के काम में शामिल हो चुके हैं। मध्य प्रदेश में चल रहे इस कार्यक्रम के एक हिस्से के रूप में ग्रामीण महिलाओं को सरकारी गोदामों के आसपास कृषि उत्पाद खरीदने के लिए परचेज सेंटर यानी खरीद केंद्र आवंटित किए जाते हैं। इन केंद्रों पर किसानों से गेहूं, चना और सरसों खरीदे जाते हैं। राज्य सरकार की मशीनरी महिलाओं की मदद करती है। सरकार का खाद्य नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता संरक्षण विभाग किसानों की उपज ट्रांसपोर्ट करने में लगने वाले वाहनों का इंतजाम करता है।
सरकार गेंहू पर देगी प्रति क्विंटल 125 रुपए बोनस
उधर, लोकसभा चुनाव से पहले सरकार ने प्रदेश के किसानों को बड़ी सौगात दी है। सरकार ने किसानों को गेहूं पर 2275 रुपए समर्थन मूल्य के साथ ही प्रति क्विंटल 125 रुपए बोनस देने का निर्णय लिया है। साथ ही किसानों को खाद और उर्वरक की जरूरत को ध्यान में रखकर फिर से मध्य प्रदेश राज्य सहकारी विपणन संघ को नोडल एंजेसी घोषित किया है।
उसमें 850 करोड़ रुपए की नि:शुल्क शासकीय प्रत्यावृति स्वीकृत की गई है। समर्थन मूल्य पर खाद्यान्न उपार्जन के लिए 30 हजार करोड़ की राशि शासन ने तय की है। इसको कैबिनेट ने मंजूर किया है। भाजपा के संकल्प पत्र में किसानों के लिए गेहूं का उपार्जित मूल्य बढ़ाने का फैसला किया गया था। अभी किसानों का गेहूं का उपार्जन मूल्य 2275 है। इसमें 125 रुपए प्रति क्विटंल बोनस देंगे। इस तरह 2400 रुपए क्विंटल किसानों को मिलेगा। एक अन्य फैसला किसानों को खाद की उपलब्धता बनाए रखने के लिए हुआ है।
व्यापारियों की जगह लेती ग्रामीण महिलाएं
बड़े पैमाने पर कृषि उपज की खरीद-फरोख्त में परंपरागत रूप से पुरुषों का दबदबा रहा है। इस काम में ज्यादातर धनी साहूकार और स्थानीय राजनीतिक नेता जुड़े होते थे, लेकिन प्रदेश सरकार की पहल पर व्यापारियों की जगह ग्रामीण महिलाएं ले रही हैं। खरीद केंद्रों के प्रबंधन से जुडऩे के बाद महिलाओं का आत्मविश्वास बढ़ा है। पिछले सालों से करीब 400 समूहों को विभिन्न जिलों में खरीदी की जिम्मेदारी दी जा रही है, लेकिन इस साल समूहों के स्थान पर ग्राम संगठनों को काम दिए जाने का निर्णय लिया गया। ग्राम संगठन का गठन एक हजार महिलाओं से होता है जब कि समूहों में 15-20 महिलाएं होती हैं। आजीविका मिशन में पांच लाख स्व सहायता समूह हैं। हाल ही में खाद्य और पंचायत तथा ग्रामीण विकास सहित अन्य विभागों की बैठक बुलाई गई थी। इस मौके पर ग्रामीण आजीविका मिशन ने खरीदी के संबंध में अपना पक्ष रखा था कि महिला समूह गेहूं-धान की खरीदी का काम अच्छे से कर रही हैं, उन्हें गेहूं खरीदी का काम दिया जाना चाहिए। वहीं, खाद्य मंत्री गोविंद राजपूत ने भी महिला समूहों को खरीदी केंद्र बनाने का आश्वासन दिया था। खाद्य विभाग ने सभी जिलों के कलेक्टरों को जारी आदेश में कहा है कि उन महिला समूहों को खरीदी की सहमति दी जाएगी, जिन्होंने एक साल पहले एनआरएलएम में पंजीयन कराया हो। समूहों अथवा ग्राम संगठनों के खाते में कम से कम दो लाख रुपए जमा होने चाहिए। समूह में सभी सदस्य अथवा पदाधिकारी महिलाएं होनी चाहिए। उल्लेखनीय है कि पिछले साल गेहूं और धान उपार्जन के नाम पर कुछ महिला समूहों की खरीदी केंद्रों में गड़बडिय़ां मिली थीं। प्रदेश में ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाएं घर से बाहर निकल कर न केवल परिवार चलाने में अपना योगदान दे रहीं है, बल्कि महिला सशक्तिकरण की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहीं हैं। वे छोटे-छोटे व्यवसायों के माध्यम से स्वयं को आत्मनिर्भर और स्वावलम्बी बना रही हैं। ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को व्यावसायिक रूप से दक्ष बनाने में महिला स्व-सहायता समूह अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। प्रदेश में पिछले कुछ साल से महिला स्व सहायता समूह अनेक क्षेत्रों के साथ ही समर्थन मूल्य पर गेहूं उपार्जन केन्द्र का संचालन भी कर रहे हैं।