प्रदेश के हजारों लोग आग से बचाएंगे जंगल को

  • वन क्षेत्रों के आसपास के लोगों ने दी सहमति

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। जंगलों में अचानक से लगने वाली आग से होने वाले नुकसान को देखते हुए अब प्रदेश के हजारों लोग इस समस्या से निपटने के लिए वन महकमे की मदद के लिए तैयार है। ऐसे लोगों की संख्या करीब 68 हजार बताई जाती है। यह वे लोग हैं, जिन्हें इसके बदले में विभाग से कोई अपेक्षा नही है। खास बात यह है कि इतनी बड़ी संख्या में अन्य प्रदेशों में सामने नहीं आए हैं। इस मामले में मप्र के बाद दूसरे स्थान पर हिमाचल प्रदेश है। वहां पर इस काम के लिए 52 हजार लोग सामने आए हैं। यह वे लोग हैं जो वन क्षेत्रों के आसपास के गांवों में रहते हैं। इन लोगों द्वारा वन सुरक्षा समितियों के जरिए वन विभाग के पोर्टल पर अपना पंजीयन भी करा लिया गया है। इनके द्वारा इस बात के लिए सहमति प्रदान की गई है कि यदि उनके गांवों से सटे वन क्षेत्रों में कहीं आग लगी तो वे न केवल वन अधिकारियों व स्थानीय निकायों को सूचना देंगे, बल्कि बुझाने में भी पूरी तरह से मदद करेंगे, ताकि उनके गांव का पर्यावरण न बिगड़े और आग से होने वाले नुकसान को भी बचाया जा सके। दरअसल हर साल अक्टूबर से लेकर जून तक करीब नौ माह में वनों में आग लगने की गंभीर घटनाएं होती रहती हैं।
इनमें भी गर्मी के मौसम में इस तरह की घटनाएं सर्वाधिक होती हैं। सरकारी स्तर पर तमाम प्रयासों के बाद भी इस तरह की घटनाओं पर रोक नहीं लग पा रही है। अब इस पर पूरी तरह से काबू पाने के लिए एक मात्र तरीका सामुदायिक प्रयास को ही माना जा रहा है। यही वजह है कि प्रदेश का वन महकमा बीते कुछ सालों से लोगों में इस मामले को लेकर जन जागरुकता लाने के प्रयास कर रहा है। दरअसल जंगलों में आग लगने से पर्यावरण को तो नुकसान होता ही है साथ ही वन्य जीवों का घर भी छिन जाता है। यही नहीं सरकार को भी हर साल लकड़ी से मिलने वाले राजस्व की भी क्षति का सामना करना पड़ता है। इस मामले में विभाग का कहना है कि वनों में आग न लगे, इसके लिए अलग-अलग स्तर पर प्रयास कर रहे हैं। वन सुरक्षा समितियों को सक्षम बना रहे हैं। आग लगने की स्थिति में जल्द सूचना मिले और बुझाने में स्थानीय समुदाय का सहयोग मिले, इसके लिए वन अमला लोगों के बीच पहुंच रहा है। इसी का नतीजा है कि मप्र में 68 हजार 87 लोगों ने पंजीयन कराया है।
इन वजहों से होती हैं घटनाएं
दरअसल गर्मी के मौसम में महुआ एकत्रित करने के लिए पेड़ों की नीचे आग लगा दी जाती है जिससे कि पेड़ों के नीचे का कचरा साफ हो जाए। इसकी वजह से सर्वाधिक आग लगती है। इसके अलावा कई बार आपसी विवाद के चलते एक-दूसरे को फंसाने के नियत से भी आग लगाई जाती है। इस तरह के कई मामले पूर्व में सामने आ चुके हैं। गेहूं समेत रबी फसलों की कटाई शुरू हो चुकी है। कुछ किसान खेतों से नरवाई साफ करने के लिए आग लगा देते हैं, जो नजदीक के वन क्षेत्रों तक पहुंच जाती है। इसके अलावा कई बार चरवाहों द्वारा भी जलती हुई बीड़ी सिगरेट को भी फेंक दी जाती है, जो भी आग का बड़ा कारण बन जाता है।
किस साल में कितनी घटनाएं और नुकसान
साल घटनाएं प्रभावित क्षेत्र
2018 37552 11777
2019 23568 13930
2020 11619 4994
2022 31918 22623
2023 17495 8586
2024 1382 23546
किस वन मंडल में कितने लोग तैयार  
वन मंडल लोग

बैतूल दक्षिण 6068
दमोह वन मंडल 4569
खंडवा 4377
सागर दक्षिण 4300
बैतूल पश्चिम 2732

Related Articles