भू-जल मामले में ग्वालियर व जबलपुर में स्थिति खतरनाक

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में भू-जल की स्थिति में लगातार गिरावट हो  रही है, जिसकी वजह से ङ्क्षचता बढ़ती ही जा रही है। इस मामले में अगर अभी ध्यान नहीं दिया गया तो आने वाले समय में यह समस्या भयावह हो सकती है। इस मामले में इंदौर में लोग जागरूक हो गए हैं, जिसकी वजह से वहां पर गुणात्मक रुप से सुधार हुआ है। यही वजह है कि प्रदेश में सबसे अच्छी स्थिति इंदौर में ही मिली है। इस बार अच्छी बारिश तो हुई ही है साथ ही लोगों में रिचार्ज को लेकर भी जागरूकता आई है। इसके अलावा खेती में पानी के इस्तेमाल में भी कमी इसकी एक वजह है। अहम बात यह है कि इंदौर शहर से लगे सांवेर और देपालपुर में इस तरह की स्थिति नही है। अच्छी स्थिति के मामले में इंदौर के बाद आगर-मालवा और फिर देवास का नंबर आता है।  इस मामले में सबसे बुरी स्थिति ग्वालियर और जबलपुर शहरों की है। इस बार ग्वालियर में अच्छी बारिश नहीं हुई और भूजल का दोहन भी जमकर किया गया है, जिसकी वजह से यह अलार्मिंग स्थिति बन गई है। भोपाल में बारिश अच्छी हुई, पर यहां रिचार्जिंग को लेकर जागरुकता का अभाव बना हुआ है। यह खुलासा हुआ है जल-संसाधन विभाग की भूजल स्तर पर एक दशक की स्थिति पर जारी रिपोर्ट में। रिपोर्ट के लिए चार सीजन के हिसाब से भूजल स्तर को देखा जाता है। बीते साल प्रदेश के कई इलाकों में अच्छी बारिश होने से भूजल में सुधार दर्ज हुआ है। यह रिपोर्ट इस साल जनवरी के भूजल की स्थिति का आंकलन कर जारी की गई है। इसके लिए प्रदेश के 1612 जल स्रोत की निगरानी के आधार पर भी भू-जल का आंकलन किया गया है। इस रिपोर्ट को  केंद्र सरकार को भेजा जाएगा और फिर वहां से समीक्षा कर सुधार के लिए निर्देश दिए जाएंगे।  
यह होते हैं चार सीजन  
चार सीजन जनवरी, मई, अगस्त और नवंबर के भूजल का आकलन होता है। नवंबर में भूजलस्तर बढ़ता है, है, यानी बारिश अच्छी होने से रिचार्ज अच्छा रहा। जनवरी में बढ़त से खेती में पानी कम खर्च होना पता चलता है। मई में भूजल बढ़ता है तो ओवरऑल साल में भूजल का उपयोग कम होना दिखाता यह है।
पानी रिचार्जिंग की स्थिति
रिपोर्ट के अनुसार, इंदौर, आगर-मालवा, देवास, धार, मंदसौर, नर्मदापुरम सीहोर, उज्जैन, सागर, भिंड में अच्छी बारिश हुई। इससे वाटर रिचार्जिंग भी अच्छी हुई। इंदौर के बाद आगर-मालवा में बारिश सामान्य की तुलना में सबसे ज्यादा हुई। भूजल स्तर भी अच्छा हुआ। इसी तरह से भूजल स्थिति ठीक न होने की वजह से ग्वालियर की स्थिति चिंताजनक है। ग्वालियर के बाद सिंगरौली, जबलपुर, छिंदवाडा, खरगोन, मुरैना, बड़वानी, आलीराजपुर, बुहरानपुर, भोपाल, रायसेन में भी स्थिति अच्छी नही है। इन जगहों पर रिचार्जिंग की स्थिति भी खराब पाई गई है।
यहां कम हुआ पानी का उपयोग
रिपोर्ट के अनुसार भू-जल का कम दोहन करने वाले जिलों में भी इंदौर बेहतर है। वहीं, बारिश ज्यादा न होने के बाद भी पानी दोहन करने में मंदसौर ने स्थिति सुधारकर दूसरे स्थान पर जगह बनाई है। बुरहानपुर में प्राकृतिक रिचार्ज की स्थिति अच्छी नहीं है लेकिन भूजल का उपयोग कम हुआ। ऐसे में वह तीसरे नंबर पर है। इसके बाद दमोह, रीवा, सीहोर, श्योपुर, शिवपुरी, भिंड हैं। ग्वालियर, जबलपुर, झाबुआ, पन्ना, बैतूल, डिंडोरी, खरगोन, रतलाम, छतरपुर में कम बारिश या सामान्य बारिश के बाद भी भूजल का ज्यादा इस्तेमाल करने के कारण से हालात बिगड़े हैं।

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