बिहाइंड द कर्टन/भूपेन्द्र आए गोंविद के समर्थन में

  • प्रणव बजाज
भूपेन्द्र-गोंविद

भूपेन्द्र आए गोंविद के समर्थन में
पंचायत चुनाव में नगरीय विकास मंत्री भूपेन्द्र सिंह का साथ गोविंद सिंह को मिल गया है। इसकी वजह से गांविंद के भाई हीरा सिंह की राह का एक बड़ा सकंट टल गया है। दरअसल हीरा सिंह जिस जिला पंचायत के वार्ड से चुनाव में प्रत्याशी बने हैं, उसी वार्ड से भूपेन्द्र सिंह के एक रिश्तेदार राजकुमार धनेरा ने भी नामाकंन जमा कर दिया था। इसकी वजह से हीरा सिंह की राह बहुत मुश्किल नजर आने लगी थी, लेकिन दोनों मंत्रियों के बीच एक राय बनने के बाद अब धनेरा नाम वापस ले रहे हैं। यह बात अलग है की अब भी हीरा सिंह को पूर्व विधायक हरवंश सिंह से चुनावी मुकाबला करना पड़ रहा है। दरअसल इस एकता की वजह बनी है दोनों मंत्रियों की अपने ही साथी मंत्री गोपाल भार्गव को सागर महापौर प्रत्याशी को लेकर पटखनी देने की रणनीति की वजह  गोविंद सिंह इस मामले में भूपेन्द्र सिंह के साथ खड़े हो गए हैं। अब देखना यह है की इस मामले में मंत्रियों की जोड़ी भारी पड़ती है या गोपाल भार्गव। वैसे सामाजिक समीकरण के हिसाब से अब तक भार्गव ही भारी नजर आ रहे हैं। भार्गव ने समीकरणों की जानकारी प्रदेश संगठन को भी दे दी है।

छवि भारद्वाज की जगह लेंगी प्रीति मैथिल
मुख्यमंत्री कार्यालय में अपर सचिव छवि भारद्वाज की जगह अब शासन ने प्रीति मैथिल को पदस्थ करने का आदेश जारी कर दिया है। उनके पास इसके साथ ही कृषि संचालक का दायित्व भी बना रहेगा, हालांकि उन्हें बीज निगम के एमडी पद से हटा दिया गया है। फिलहाल मैथिल तब  तक छवि भारद्वाज के साथ काम करेंगी, जब तक भारद्वाज को रिलीव नहीं कर दिया जाता है। दरअसल हाल ही में छवि भारद्वाज का चयन मसूरी स्थित राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी में बतौर उप संचालक के रुप में हुआ है। उनकी प्रतिनियुक्ति पर जाने वाली फाइल शासन से मुख्यमंत्री सचिवालय पहुंच चुकी है। मैथिल की पदस्थापना से यह तो तय हो गया है कि मुख्यमंत्री स्तर से भी उनके प्रतिनियुक्ति पर जाने की मंजूरी मिलना तय है। उनके साथ ही एक अन्य आइएएस अफसर नंदकुमारम भी मंसूरी प्रतिनियुक्ति पर जा रहे हैं। इन दोनों अफसरों की प्रतिनियुक्ति पर जाने की फाइल क्लियर होने से उन अफसरों ने भी राहत की सांस ली है, जिनके प्रतिनियुक्ति पर जाने की अनुमति को लेकर संशय बना हुआ था।

जारी है पदस्थापनाओं में खेल
जिन आला अफसरों को मुख्यमंत्री की नाराजगी की वजह से जिलों से हटाया गया था, वे चंद दिनों में ही नई पदस्थापना पाने में न केवल सफल हो रहे हैं, बल्कि उनकी पदस्थापनाएं भी उन जिलों में की जा रही हैं, जिन मामलों में उन्हें हटाया गया था और नए जिले  भी उसी तरह के मामलों में सिसेंटिब माने जाते हैं। इसका नया उदाहरण हंै आईपीएस अफसर कुमार प्रतीक।  इस तरह की पदस्थापनाएं होने की वजह से अन्य अफसर हैरान परेशान हैं कि आखिर इन अफसरों में ऐसी क्या योग्यता है की हटाए जाने के कुछ दिनों के भीतर ही उन्हें नई और पहले से अच्छी मैदानी पदस्थापना मिल जाती है। अब कुमार प्रतीक को शहडोल जैसे बड़े जिले की कमान दे दी गई है। इस तरह की पदस्थापनाएं होने से अब तो साथी अफसर यह कहकर तंज कसने से पीछे नही रह रहे हैं कि ऐसे दाग तो अच्छे हैं। दरअसल इस मामले में सजा की जगह उन्हें इनाम देना माना जा रहा है।  

मानसून सत्र बीस दिन का बुलाने की मांग
नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर विधानसभा के बुलाए जाने वाले मानसून सत्र की अवधि कम से कम बीस दिन रखने की  मांग की है। उन्होंने पत्र में लिखा है की सत्र को पंचायत व निकाय चुनाव के बाद ही आहूत किया जाए। उनका कहना है कि कम अवधि के सत्र में प्रदेश की जन समस्याओं व ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा नहीं हो पाती है। सिंह का कहना है कि विस में राज्य की पूरी जनता का प्रतिनिधित्व किया जाता है, जिसमें सरकार की नाकामियों को उजागर करने, जनहितैषी योजनाओं के क्रियान्वयन और भ्रष्टाचार जैसे महत्वपूर्ण अवसर प्राप्त होते हैं, लेकिन प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद से लगातार सदन की बैठकों में कमी होती जा रही है, जबकि संविधान विशेषज्ञों ने कम से कम 60 से 75 बैठकें हर साल आहूत करने की सिफारिशें की हैं।

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