मध्यप्रदेश के 1060 चिकित्सा छात्र नियम तोड़कर गायब

चिकित्सा छात्र
  • गांव में डॉक्टरी न करने के बाद भी नहीं भरी बांड  की राशि

    भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश के पांच सरकारी मेडिकल कालेजों के 1060 चिकित्सा छात्र नियम तोड़कर गायब हो गए हैं। इन्होंने एमबीबीएस और पीजी की पढ़ाई के बाद न तो गांव में डॉक्टरी की और न ही ग्रामीण क्षेत्रों में ड्यूटी न करने के एवज में जमा की जाने वाली बांड राशि जमा की। प्रदेश में ऐसे डिफाल्टर छात्रों की संख्या सबसे ज्यादा भोपाल स्थित सरकारी मेडिकल कालेज से पढ़ाई कर चुके छात्रों की है। समय-समय पर चिकित्सा शिक्षा विभाग ऐसे डॉक्टरों को नोटिस भेजने की खानापूर्ति करता रहा, लेकिन सख्त कार्रवाई न होने से इन पर कोई असर नहीं पड़ता है।
    गौरतलब है कि शहर के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में बेपटरी हो चुकी चिकित्सा सेवा को पटरी पर लाने के लिए सरकार ने शासकीय मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई पूरी करने वाले छात्रों को अपनी सेवाएं ग्रामीण क्षेत्र में देना अनिवार्य किया है। इसके लिए उनसे बांड तक भराया जाता है। बांड का उल्लंघन करने पर तय राशि जब्त करना या वसूलने का भी प्रावधान है। लेकिन सरकार के दिशा निर्देश के बाद भी 1060 चिकित्सा छात्र नियम तोड़कर गायब हैं। इन्होंने न गांव में डॉक्टरी की, न ही बांड राशि जमा की। अब इनकी खोज की जा रही है।
    नोटिस के बाद कुछ ने जमा कराई राशि
    मार्च में ऐसे छात्रों को मप्र मेडिकल काउंसिल के निर्देश पर मेडिकल कालेजों की ओर से नोटिस जारी किए गए, इसके बाद भी कुछ ही छात्रों ने बांड राशि जमा की। अधिकांश छात्रों ने नोटिस को भी गंभीरता से नहीं लिया। इस मामले में डीएमई डा.जितेंद्र शुक्ला का कहना है कि ऐसे छात्रों की सूची तैयार की गई है, ऐसे छात्रों का पंजीयन निरस्त करने की कार्रवाई की जाएगी। एमबीबीएस के बाद पीजी डिग्री करने वाले सबसे ज्यादा छात्र ऐसे हैं, जिन्होंने सबसे ज्यादा नियम तोड़ा। ऐसे 408 छात्र पूरे प्रदेश के हैं। वहीं पीजी डिप्लोमा के 385 छात्र हैं, जबकि एमबीबीएस के 267 छात्र हैं।
    पीजी डिग्री करने के बाद नियम तोड़ने  वाले सबसे ज्यादा छात्र भोपाल के हैं, ऐसे छात्रों की संख्या भोपाल में 116 है। जबकि पीजी डिप्लोमा के बाद नियम तोड़ने े वाले सबसे ज्यादा छात्र इंदौर के हैं, इनकी संख्या 128 है।  डीएमई डा.जितेंद्र शुक्ला का कहना है कि ऐसे जो भी चिकित्सा छात्र हैं, जिन्होंने बांड राशि जमा नहीं की और न ही ग्रामीण क्षेत्र में सेवा दी। ऐसे छात्रों को नोटिस जारी किए गए हैं, अगर इनकी ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया तो इनके पंजीयन निरस्त किए जाएंगे। इसे लेकर सभी मेडिकल कालेजों के डीन को निर्देशित किया है।
    सबसे अधिक भोपाल के छात्र
    मप्र मेडिकल काउंसिल से मिले आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में सबसे अधिक डिफाल्टर छात्र भोपाल के है। यहां कुल 306 छात्रों ने न गांव में डॉक्टरी की, न ही बांड राशि जमा किया। वहीं 282 छात्रों  के साथ  दूसरे नंबर पर इंदौर के चिकित्सा छात्र हैं। इसी तरह ग्वालियर के 186, जबलपुर के 137 और रीवा के 149 छात्रों ने न गांव में डॉक्टरी की, नही बांड राशि जमा किया है।
    2002 से नियम लागू
    गांव में डॉक्टरी करने और  बांड राशि जमा करने का  नियम 2002 में लागू हुआ था। इसके बाद समय-समय पर बांड राशि बढ़ाई गई। एमबीबीएस और पीजी के लिए अलग-अलग बांड राशि है, साथ ही सामान्य और आरक्षित वर्ग के लिए भी अलग है। 1060 में से कई छात्र ऐसे हैं, जो सालों पहले पढ़ाई पूरी कर चुके हैं, लेकिन न बांड राशि जमा की, न ही ग्रामीण क्षेत्र में सेवा की। इस पूरी कवायद के पीछे उद्देश्य था कि ग्रामीण इलाकों में लोगों को डाक्टर उपलब्ध हो सकें, लेकिन डॉक्टर ग्रामीण इलाकों में जाना ही नहीं चाहते। यही वजह है कि ऐसे डिफाल्टर छात्रों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।

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