
- इस साल उत्पादन कम होकर महज 49 फीसदी रह गया
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र ऐसा राज्य है, जहां पर देश का सबसे बड़ा हीरा भंडार है, इसके बाद भी उत्पादन में लगातार गिरावट आती जा रही है। खास बात यह है कि यह गिरावट बीते तीन सालों से जारी है। अब तो हालात यह हो गए हैं कि प्रदेश में इस साल हीरों के उत्पादन में 49 फीसदी तक की गिरावट आ चुकी है।
इस गिरावट की वजह है वन विभाग से क्लीयरेंस नहीं मिलना। इसकी वजह से एनएमडीसी हीरा खदान से 8.5 लाख कैरेट हीरे का उत्पादन प्रभावित हुआ है। इस खदान पर फॉरेस्ट ने 1 जनवरी 2021 से रोक लगा दी है। इसकी वजह से रायल्टी के रूप में मप्र सरकार को मिलने वाली करोड़ों रुपए की आय का भी नुकसान हो रहा है। गौरतलब है कि मप्र के पन्ना जिले में कुल 22 लाख कैरेट हीरे का भंडार है, जिसमें से 13 लाख कैरेट हीरा निकाला जा चुका है। इसी तरह से बकस्वाहा के जंगल में पन्ना से 15 गुना ज्यादा हीरे का भंडार होने का अनुमान लगाया गया है। हालांकि इन हीरों को निकालने के लिए बकस्वाहा में लगे करीब 2,15,875 पेड़ों को काटा जाएगा। इनमें 40 हजार पेड़ सागौन के हैं, इसके अलावा केम, पीपल, तेंदू, जामुन, बहेड़ा, अर्जुन जैसे औषधीय पेड़ भी हैं। एशिया में मप्र के पन्ना जिले में सर्वाधिक हीरे का उत्पादन होता है। यहां निजी तौर पर भी लोग खदान लेकर हीरा निकालने का काम करते हैं, लेकिन मैकेनाइज्ड हीरे का उत्पादन एनएमडीसी लिमिटेड द्वारा ही किया जाता है। पन्ना से 20 किमी की दूरी पर स्थित यह हीरा खदान वर्ष 1968 से लगातार हीरे का उत्पादन कर रही है। अभी तक उक्त खदान से 13 लाख कैरेट हीरा निकाला जा चुका है और वर्तमान में साढ़े आठ लाख कैरेट हीरा निकालना शेष है, लेकिन फॉरेस्ट क्लीयरेंस नहीं मिलने के कारण हीरे के उत्पादन में 51.70 फीसदी गिरावट आयी है। एनएमडीसी की यह खदान पन्ना टाइगर रिजर्व के गंगऊ अभ्यारण्य में 74.018 हेक्टेयर में संचालित। हीरे के उत्पादन से मप्र सरकार को 15 से 30 प्रतिशत तक रायल्टी मिलती थी, वह रायल्टी भी अब मिलना बंद हो गई है।
मप्र में होता है सर्वाधिक उत्पादन
मध्यप्रदेश देश का 32 प्रतिशत हीरा उत्पाद करता है। मध्यप्रदेश में हीरे का भंडार तकरीबन 45,80,336 कैरेट है जो कि 31.5 फीसदी पन्ना जिले में स्थित हैं। इसके अलावा हीरे का उत्पादन करने वाले अन्य राज्य छग, झारखंड, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक और केरल हैं।
बीते तीन सालों का उत्पादन
प्रदेश में हीरा उत्पादन पर अगर बीते तीन सालों के आंकड़ों को देखें तो पता चलता है कि लगतार इसके उत्पादन में कमी आ रही है। वर्ष 2018-19 में 38,437, 2019-20 में 28,816 और 2020-21 में 13,917 कैरेट हीरा का उत्पादन हुआ है।
20 साल पहले शुरू हुआ ता सर्वे
बंदर डायमंड प्रोजेक्ट के तहत इस स्थान का सर्वे करीब 20 साल पहले शुरू हुआ था। दो साल पहले प्रदेश सरकार ने इस जंगल की नीलामी की। आदित्य बिड़ला समूह की एस्सेल माइनिंग एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने सबसे ज्यादा बोली लगाई। प्रदेश सरकार ने यह जमीन इस कंपनी को 50 साल के लिए लीज पर दी है। इस जंगल में 62.64 हेक्टेयर क्षेत्र हीरे निकालने के लिए चिह्नित किया है। यहीं पर खदान बनाई जाएगी, लेकिन कंपनी ने 382.131 हेक्टेयर का जंगल मांगा है। बाकी 205 हेक्टेयर जमीन का उपयोग खनन करने और प्रोसेस के दौरान खदानों से निकला मलबा डंप करने में किया जा सके।