
- सिंधिया और उनके समर्थक मंत्रियों के मेल-मिलाप से कयासों का दौर शुरु
गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में भाजपा प्रदेशाध्यक्ष की चल रही कवायद के बीच जिस तरह से तमाम बड़े नेताओं का पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा के घर आना जाना लगा है। इस दौरान उनके बीच बंद कमरों में हो रहीं चर्चाओं से एक बार फिर से यह कयास लगाए जाने लगे हैं कि प्रदेश में पार्टी की कमान मिश्रा को मिल सकती है। हालांकि उनके विरोधी लोग इसे प्रेशर पॉलिटिक्स के रूप में प्रचारित कर रहे हैं। बीते रोज तब राजनीति पर गहरी नजर रखने वाले चौंक गए, जब केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया लाव-लश्कर के साथ डॉ. नरोत्तम मिश्रा से मिलने उनके भोपाल स्थित निवास पर पहुंच गए। उनके साथ मौजूदा मंत्री गोविंद सिंह राजपूत, मंत्री तुलसीराम सिलावट और पूर्व मंत्री प्रभुराम चौधरी के अलावा कई समर्थक भी थे। इस दौरान सिंधिया-नरोत्तम में बंद कमरे में करीब 15 मिनिट तक चर्चा हुई। माना जा रहा है कि इस दौरान उनके बीच ग्वालियर चंबल के अलावा प्रदेश की राजनीति को लेकर चर्चा की गई है। इसे खासतौर पर पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष के चुनाव से भी जोडक़र देखा जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि इसके पहले मिश्रा से मिलने उनके घर चार दिन पहले मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, मंत्री एदल सिंह कंषाना भी जा चुके हैं। इन नेताओं के पहले प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा भी मिलने उनके बंगले पर पहुंचे थे। शिवराज सरकार में नंबर दो पर रहे नरोत्तम मिश्रा भले ही अभी संगठन व सरकार में किसी पद पर नहीं हैं, लेकिन जिस तरह से उनसे मिलने के लिए प्रदेश के नेताओं का बंगले पर आना जाना लगा रहता है, उससे उनका पार्टी व सरकार में प्रभाव समझा जा सकता है। उन्हें प्रदेश की राजनीति में केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह का बेहद करीबी माना जाता है। यही वजह है कि प्रदेश में संगठन सरकार में पटरी न बैठने वाले नेता तो उनके बंगले पर नजर आते ही है साथ ही दूसरे नेता भी आने से गुरेज नहीं करते हैं।
इस तरह के कयास
माना जा रहा है कि इस तरह की मेल मुलाकातों के बहाने प्रदेश के कई बड़े पार्टी के चेहरे खुद को उनके साथ होने का संदेश देने में लगे हैं। सियासी गलियारों में माना जा रहा है कि ये नेता संकेत दे रहे हैं कि वे निकट भविष्य में होने वाले फैसलों में यदि नरोत्तम का नाम आता है तो समर्थन कर सकते हैं। ज्ञात रहे कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में नरोत्तम को भी जिम्मा दिया गया था। उनके प्रभार वाली सीटों पर भाजपा प्रत्याशी जीते हैं। ऐसे में शीर्ष नेतृत्व की नजर में नरोत्तम का सियासी कद बढ़ा है।
इनसे भी मुलाकात
सूत्रों के मुताबिक हाल के दिनों में पार्टी राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिव प्रकाश, मप्र छत्तीसगढ़ के क्षेत्रीय संगठन मंत्री अजय जामवाल जैसे नेताओं से भी नरोत्तम की मुलाकात हो चुकी है। उनकी दावेदारी को मजबूत इसलिए माना जा रहा है कि वे जातिगत समीकरण के साथ ही क्षेत्रीय समीकरण में भी पूरी तरह से फिट बैठते हैं।
दिल्ली सरकार के गठन का इंतजार
दिल्ली को नया सीएम मिलने के बाद प्रदेश भाजपा को नया अध्यक्ष मिलेगा। सरकार ने उसके पहले मौजूदा अध्यक्ष वीडी शर्मा की जिम्मेदारी बढ़ा दी है। उन्हें जीआईएस को सफल बनाने के लिए गठित शीर्ष समिति का सदस्य बनाया गया है। माना जा रहा है कि वे सरकार को संगठन की ओर से पूरी मदद करेंगे। हालांकि दूसरी ओर नए प्रदेश अध्यक्ष को लेकर हलचल जारी है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष को लेकर करीब डेढ़ माह से कवायद की जा रही है। इसको लेकर पार्टी में अलग-अलग स्तर पर चर्चाएं हो चुकी हैं। माना जा रहा है कि अब महज नए अध्यक्ष के लिए चुनाव अधिकारी एवं केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की औपचारिक बैठक होना बाकी है। माना जा रहा है कि मौजूदा अध्यक्ष वीडी को एक बार और मौका नहीं मिला तो ऐसी स्थिति में नया अध्यक्ष चुना जाएगा। इसके लिए कई दावेदार हैं, डॉ. नरोत्तम मिश्रा उन्हीं में से एक दावेदार माने जा रहे हैं। इस दावेदारी के बीच जिस तरह से नरोत्तम के भोपाल स्थित बंगले में पार्टी के कद्दावर नेताओं का आना जाना लगा हुआ है उससे कई तरह के राजनीतिक संकेत मिल रहे हैं। हालांकि दूसरे नेता भी जोर आजमाइश में कसर नहीं छोड़ रहे। वे भी भोपाल से दिल्ली तक आना जाना कर रहे हैं।